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Success Story : कभी ट्यूशन पढ़ाकर निकाला था घर का खर्चा, फिर घर आई 5-5 सरकारी नौकरियों की चिट्‌ठी

Success Story : हर एक विघार्थी के लिए सरकारी नौकरी सबसे ज्यादा प्राथमिकता रखती हैं। इसी को लेकर हम आपको बताने जा रहे हैं कि ये कामयाबी मेहनत करने वालों के ही कदम चुमती हैं। आपको बता दें कि किसान परिवार के बेटे अंगद के पास  पांच-पांच सरकारी नौकरियों का अपॉइंटमेंट लेटर आया है। जानिए पूरी कहानी...
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HR Breaking News (नई दिल्ली)। Success Story : एक युवक संघर्ष का परिभाषा बन कर सामने आया है। मेहनत की बदौलत एक नहीं बल्कि पांच-पांच सरकारी नौकरी मिली है। रेलवे की ग्रुप-डी से लेकर बिहार सब इंस्पेक्टर और अब सचिवालय सहायक के पद पर चयन हुआ। ये कारनामा करने वाले अंगद राज है, जो उदवंतनगर गांव के निवासी है। भोजपुर जिला मुख्यालय आरा से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इनका गांव है। इस सफलता के बाद अंगद राज को बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।

रेलवे में ग्रुप-डी (Group-D) की पहली नौकरी - 

अंगद ने साबित कर दिया कि अगर मेहनत की जाए तो सफलता निश्चित है। किसान परिवार से आने वाले अंगद राज का अब तक का जीवन संघर्षपूर्ण रहा है। उदवंतनगर गांव के किसान रमाशंकर सिंह के बेटे हैं। चाचा छोटे से व्यपारी हैं और दादा जी रिटायर्ड जेल सिपाही। दादा जी के पेंशन और चाचा के मामूली आय से जैसे-तैसे घर तो चल जाता है लेकिन अंगद की पढ़ाई की जरूरतें भी जैसे-तैसे पूरी होती थी। ट्यूशन पढ़ाकर भी पढ़ाई का खर्च निकालते थे।

2019 में अंगद राज को पहली सरकारी नौकरी मिली मुंबई में रेलवे ग्रुप-डी में चयन हुआ। वहां पर यार्ड में लगी ट्रेन में अंगद रहते थे। उसी में रहकर पढ़ाई करते और सोते थे, फिर वहीं से ड्यूटी भी करते थे। ऐसे करते दो साल बीत गया, जिसके बाद अंगद का चयन बिहार पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर हुआ। लेकिन परिवार की इच्छा पुलिस की नौकरी की नहीं थी। जिसके बाद बीपीएसी के प्रशाखा पदाधिकारी के रूप में चयन हुआ और अब सचिवालय सहायक (Assistant Section Officer, ASO) का रिजल्ट आया है।

8 घंटे की नौकरी के बाद 10 घंटे की पढ़ाई -

एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में अंगद ने बताया की संघर्ष से इंसान और छात्रों को भागना नहीं चाहिए बल्कि उसका सामना करना चाहिए। तब ही आप समस्या का समाधान कर सकते हैं। आरक्षण या सिस्टम में भ्रष्टाचार का दुख भी तैयारी करने वाले छात्रों को नहीं रोना चाहिए। खुद पर विश्वास कर मेहनत करते रहना चाहिए, सफलता जरूर मिलेगी।

अंगद ने बताया कि रेलवे की 8 घंटे की नौकरी करते हुए भी वो 10 घंटे का समय पढ़ाई पर देते थे। अभी भी वो अपने नौकरी से संतुष्ट नहीं है, अंगद का सपना है कि बीपीएसी निकाल कर वो डीएसपी बन लोगों की सेवा करें। अंगद की सफलता के बाद अब गांव वाले काफी खुश हैं। अंगद के गांव पहुंचने पर लोगों ने जोरदार स्वागत किया क्योंकि उसने पांच-पांच नौकरियों में सफलता पाई है।