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Success Story : केवल 8वीं पास शख्स ने भुजिया बेचकर खड़ी कर दी 12 हजार करोड़ की कंपनी, अब 32 देशों चलता है बिजनेस

Success Story : जब हम किसी मुकाम को हासिल करने की ठान लेते है तो दुनिया की कोई ताकत हमें रोक नही सकती है, ऐसी ही कहानी आज हम आपको बताने जा रहे है, हम आपको बताने जा रहे है 8वीं पास शख्स के बारे में  जिसने भुजिया बेचकर खड़ी कर दी 12 हजार करोड़ की कंपनी, आइए जानते है इनके बारे में विस्तार से।

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HR Breaking News, Digital Desk - जब भी बात नमकीन भुजिया की होती है तो जुबान पर अपने आप बीकानेरी भुजिया का नाम आ जाता है। मोठ की दाल, बेसन और मसालों से बना ये स्वाद आज बीकानेर की छोटी सी भट्टी से निकलकर विदेशों तक पहुंच गया है। बीकानेर की गलियों का यह स्वाद विदेशों में डंका बजा रहा है। बीकाजी की भुजिया (Bikaji's Bhujia) आज फ्रेंच फ्राई , पास्ता, कॉर्न पफ जैसे स्नैक्स को टक्कर दे रहा है। भारतीय स्नैक्स में अपनी साख बनाने के बाद बीकाजी फूड्स इंटरनेशनल(Bikaji Foods International)  ने वेस्टर्न स्कैक्स कैटेगरी में खुद की पहचान बना ली है। जो कंपनी आज दुनियाभर में डंका बजा रही है, उसके पीछे एक 8वीं पास शख्स का दिमाग है।


​8वीं पास ने की बीकाजी भुजिया की शुरुआत​


भारत में नमकीन सेक्टर में दो कंपनियों का बोलबाला है। पहला हल्दीराम और दूसरा बीकाजी। हालांकि बहुत कम लोग ही जानते हैं कि बीकाजी का जन्म भी हल्दीराम से ही हुआ है। यानी दोनों कंपनियां एक ही परिवार का हिस्सा है। इस कहानी की शुरुआत 80 साल पहले साल 1940 में राजस्थान के बीकानेर से हुई। बीकानेर की गलियों में छोटी की भट्टी पर भुजिया बनाकर बेचने वाले अग्रवाल परिवार ने देखते ही देखते 12000 करोड़ की कंपनी खड़ी कर दी। हल्दीराम बीकाजी भुजिया के फाउंडर और डायरेक्टर(Founder and Director of Haldiram Bikaji Bhujia) शिवरतन अग्रवाल के दादाजी थे। हल्दीराम खुद अपने हाथों से भुजिया बनाकर बेचा करते थे। धीरे-धीरे उनकी प्रसिद्धी शहरभर में फैल गई। बाद में हल्दीराम कोलकाता चले गए और वहीं बस गए। हल्दीराम भुजियावाले का कारोबार उनके बेटे मूलचंद अग्रवाल के पास पहुंचा। मूलचंद अग्रवाल के चार बेटे शिवकिशन अग्रवाल, मनोहर लाल अग्रवाल, मधु अग्रवाल और शिवरतन अग्रवाल। तीन भाईयों ने मिलकर हल्दीराम के कारोबार को आगे बढ़ाया तो वहीं चौथे बेटे ने उससे अलग होकर अपना नया ब्रांड शुरू किया, जिसका नाम रखा बीकाजी।


​काम का अलग तरीका​


शिवरतन अग्रवाल ने साल 1987 में बीकाजी भुजिया की शुरुआत की, जिसका नाम बीकानेर शहर के संस्थापक राव बीकाजी के नाम पर रखा गया। उन्हें बीकानेर से इतना लगाव था कि उन्होंने अपने कारोबार की शुरुआत उसी शहर से की। हल्दीराम उस वक्त मशहूर हो चुका था, लेकि शिवरतन को बीकाजी भुजिया के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी। उत्पादन के मामले में उनकी सोच काफी अलग थी। उन्होंने भुजिया को बनाने के लिए मशीनों का प्रयोग करना शुरू किया। देश में ऐसा पहली बार हुआ था, जब भुजिया बनाने के लिए फैक्ट्री की शुरुआत की गई, जहां मशीनों से इसे बनाया जाता था। बीकाजी भुजिया बनाने में कहीं भी इंसानी हाथों का इस्तेमाल नहीं किया जाता। हर काम मशीनों से होती है।
 

​8वीं पास ने खड़ी कर दी कंपनी ​


शिवरतन अग्रवाल की बचपन से ही भूजिया बनाने में रुचि थी। उन्होंने अपने दादाजी हल्दीराम से भुजिया बनाना सीखा था। 8वीं की पढ़ाई के बाद ही वो परिवारिक कारोबार में शामिल हो गए थे। हालांकि उन्होंने अपने बेटे को पढ़ने के लिए विदेश भेजा। भले ही वो 8वीं पास हो, लेकिन शिवरतन अग्रवाल के पास बिजनेस चलाने के सारे गुर थे। उन्होंने भुजिया के स्वाद से कभी समझौता नहीं किया। इसी के दम पर उन्होंने देश ही नहीं विदेशों तक अपने कारोबार का विस्तार किया। आज उनकी कंपनी 250 से ज्यादा तरह के प्रोडक्ट तैयार करती है। भुजिया, नमकीन, डिब्बाबंद मिठाइयां, पापड़ और साथ ही अन्य व्यंजन बनाती है। बीकाजी भारत की तीसरी सबसे बड़ी पारंपरिक स्नैक निर्माता है, जिसका डंका अब विदेशों में भी बज रहा है। देशभर में इसकी 8 लाख से अधिक दुकानें और रेस्टोरेंट हैं।
 

​250 तरह के स्नैक्स बना रही कंपनी​


कंपनी के 80 फीसदी कर्मचारी बीकानेर के रहने वाले हैं। समय के साथ बीकाजी ने पैंकजिंग से लेकर विज्ञापन तक में बदलाव किया। वर्तामान में शिवरतन अग्रवाल के बेटे दीपक अग्रवाल कारोबार आगे बढ़ा रहे हैं । आज 32 देशों में बीकाजी के स्कैक्स पहुंच रहे हैं। बीकाजी ने साल 1994 में विदेशों में एक्सपोर्ट करना शुरू किया। आज अमेरिका, संयुक्‍त अरब अमीरात, ऑस्‍ट्रेलिया, रूस, फ्रांस, जर्मनी, स्‍पेन, पोलैंड, बेल्जियम, न्‍यूजीलैंड, इंग्‍लैंड, बहरीन, नॉर्वे, स्‍वीडन, नीदरलैंड जैसे देशों में बीकाजी के प्रोडक्ट्स बिक रहे हैं।