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Success Story : रिक्शा-चालक कहकर बुलाते थे रिश्तेदार, ये है कर्मचारियों को करोड़पति बनाने वाला अरबपति

Success Story : बाहरवीं में फेल होने के बाद रिश्तेदारों ने जिस लड़के को उपहास का पात्र बना दिया, वही आगे चलकर अरबपति बना और सबके मुंह पर ताला जड़ दिया. यही नहीं, ऐसा काम किया कि उन्होंने अपने साथ 500 से अधिक लोगों को एक झटके में करोड़पति बना दिया.आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.

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HR Breaking News (नई दिल्ली)। गिरीश जब 12वीं कक्षा में फेल हुआ तो रिश्तेदार उसे रिक्शा चालक कहकर बुलाने लगे. परंतु, गिरीश ने हार नहीं मानी और पढ़ते रहे. कड़ी मेहनत के बाद उन्हें आईटी कंपनी एचसीएल में पहली नौकरी मिली. बाद में वे भारत की बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी ज़ोहो में लीड इंजीनियर बने. आज गिरीश 80,000 करोड़ रुपये की कंपनी संभालते हैं. कंपनी का नाम है फ्रेशवर्क्स (Freshworks). आपने बेशक इसका नाम न सुना हो, मगर SaaS (Software as a Service) इंडस्ट्री में इस कंपनी का नाम बहुत ऊंचा है. इतना ऊंचा कि यह कंपनी अमेरिकी शेयर बाजार नैस्डैक में लिस्ट है. 9 फरवरी 2024 तक कंपनी की नेट वर्थ 6.41 बिलियन डॉलर है. गूगल (एल्फाबेट) ने भी फ्रेशवर्क्स में निवेश किया हुआ है.

49 वर्षीय गिरीश का पूरा नाम गिरीश मात्रुबूथम है. ज़ोहो (Zoho) में लीड इंजीनियर बनने के बाद वे 7 साल तक उसी कंपनी में रहे और 2007 में प्रोडक्ट मैनेजमेंट में वाइस प्रेजिडेंट तक पहुंचे. ज़ोहो भी एक बड़ी SaaS कंपनी है. ज़ोहो के विश्व प्रसिद्ध मैनेज्ड इंजिन को खड़ा करने में गिरीश मात्रुबूथम का बड़ा हाथ रहा. सबकुछ ठीक ही चल रहा था कि उनके जीवन में एक मुसीबत आन पड़ी. उस मुसीबत के बाद उनकी लाइफ पूरी तरह बदल गई.

क्या थी वह मुसीबत


गिरीश ने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्हें कैसे ये कंपनी बनाने का विचार आया. 2009 में जब वे ऑस्टन टेक्सॉस से काम कर रहे थे. वे अमेरिका से अपना सबकुछ समेटकर चेन्नई (भारत) में शिफ्ट हो रहे थे. गिरीश फ्लाइट पकड़कर चेन्नई पहुंच गए, लेकिन उनका सामान पहुंचने में 70 दिन लग गए. सामान में एक 40 ईंच का एलसीडी टीवी भी था. जब उन्होंने सामान देखा तो वह टीवी टूटा हुआ था. उनके पास टीवी का इंश्योरेंस था, तो उन्हें लगा कि पैसा मिल जाएगा. बीमा क्लेम पाने के लिए गिरीश ने ई-मेल लिखे और हर तरह से कंपनी से संपर्क किया, लेकिन नतीजा सिफर रहा.

गिरीश मात्रुबूथम गुस्से में थे और बदला लेने की योजना बना रहे थे. उन्होंने अपनी समस्या एक ऐसी ऑनलाइन फोरम पर डाल दी, जहां दूसरे देश में शिफ्ट होने वाले लोग अपने अनुभव शेयर करते हैं. मुद्दा गर्म हुआ तो अगले ही दिन टीवी बनाने वाली कंपनी के प्रेसीडेंट आए और गिरीश से माफी मांगी. माफी के साथ ही गिरीश को क्लेम का पैसा भी दे दिया. यहीं गिरीश को लगा कि उनकी तरह बहुत सारे ग्राहक रोज परेशान होते होंगे. कंपनियों की परेशानी है कि उन तक हर ग्राहक की शिकायत नहीं पहुंचती. यदि कंपनी को सभी ग्राहकों की समस्या एक ही जगह पर मिल जाए तो स्थिति बेहतर हो सकती है. इसी को दिमाग में रखते हुए गिरीश ने एक कंपनी बना दी, जो इसी समस्या का हल करती थी.

शुरुआत 6 लोगों की टीम से


इसी दौरान गिरीश ने नोटिस किया कि एक सॉफ्टवेयर कंपनी ज़ेनडेस्क ने अपनी सर्विस का प्राइस 60 से 300 प्रतिशत तक बढ़ा दिया. गिरीश ने यहीं पर अवसर भांपते हुए ज़ोहो की नौकरी छोड़कर 700 स्क्वेयर फुट एरिया किराये पर लिया. यह एक वेयरहाउस था, जिसमें उनके साथ 6 लोगों की टीम भी शिफ्ट हुई. अक्टूबर 2010 में उन्होंने फ्रेशडेस्क (Freshdesk) की स्थापना की.


उन्होंने पहला ऑर्डर ऑस्ट्रेलिया में एक पब्लिक कॉलेज से मिला. इसके अगले 200 दिनों में कंपनी को 200 और कॉन्ट्रैक्ट मिल गए. फंड की जरूरत महसूस हुई तो उन्होंने 5 करोड़ रुपये एसेल (Accel) से जुटाए. 2012 आते-आते कंपनी में 1000 कर्मचारी हो चुके थे. फिर बड़े निवेशक ‘टाइगर ग्लोबल’ से 35 करोड़ रुपये जुटाए.


इसके बाद धीरे-धीरे कंपनी का प्रारूप भी बदलता गया. अब उनकी सर्विस कस्टमर सपोर्ट से बढ़कर इंटरनल टीम सपोर्ट तक पहुंच गई थी. IT टीमों के लिए उन्होंने 2014 में फ्रेश सर्विस (FreshService) सेवा लॉन्च की. अगले 10 महीनों में फ्रेश सर्विस ने मिलियन डॉलर रेवेन्यू पा लिया. टाइगर ग्लोबल ने 500 करोड़ रुपये फिर दिए.

500 कर्मचारी एक झटके में हुए करोड़पति


2018 आते-आते कंपनी के पास 125 देशों के 1 लाख से क्लाइंट हो गए थे. अब कंपनी ने 10,000 करोड़ रुपये के मूल्य पर 100 मिलियन डॉलर फिर से हासिल किए और यह कंपनी एक यूनिकॉर्न बन गई. 2020 में कंपनी ने पहली बार 1500 करोड़ रुपये का रेवेन्यू बनाया. क्लाइंट बढ़कर 2 लाख हो गए. अब समय था कि कंपनी और ऊंची उड़ान भरे. इसी वर्ष अमेरिकी एक्सचेंज नैस्डैक पर कंपनी क लिस्टिंग हुई. शेयर अपने ऑफरिंग प्राइस 36 डॉलर से 21% ऊपर खुला और निवेशकों ने खूब पैसा बनाया. कंपनी ने अपने कर्मचारियों को शेयर दिए थे तो कंपनी के 500 कर्मचारी करोड़पति बन गए, जिनकी उम्र तब 30 साल से कम थी.

मात्रुबूथम की नेट वर्थ : गिरीश मात्रुबूथम के पास फिलहाल कंपनी की 5.229 प्रतिशत हिस्सेदारी है. उनके पास कुल शेयर 13,226,074 हैं. कंपनी के शेयर फिलहाल 21.58 डॉलर पर हैं. इस हिसाब से गिरीश मात्रुबूथम की नेट वर्थ 285,418,676 डॉलर अथवा 2369 करोड़ रुपये बनती है.