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Success Story : 5 हजार रुपये उधार लेकर शुरू किया बिजनेस, बार बार हुए फेल, अब खड़ी कर दी 14000 करोड़ की कंपनी

आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे है जिन्हाने बार-बार फैल होने के बावजूद भी नही मानी हार, एक समय 5 हजार रुपये उधार लेकर शुरू किया था बिजनेस और आज खड़ी कर दी 14000 करोड़ की कंपनी।

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Success Story : 5 हजार रुपये उधार लेकर शुरू किया बिजनेस, बार बार हुए फेल, अब खड़ी कर दी 14000 करोड़ की कंपनी

HR Breaking News (ब्यूरो)।  ‘आया नया उजाला चार बूंदों वाला’..90 के दशक में एडवरटाइज की ये लाइन आपने जरूर सुनी होंगी. कपड़ों की सुपर सफेदी के लिए उजाला नील का इस्तेमाल लोग कई वर्षों से करते आ रहे हैं. लेकिन, क्या आप उजाला नील को बनाने वाली कंपनी और उसके मालिक के बारे में जानते हैं. एम.पी.रामचंद्रन की सफलता की कहानी (Success story of M.P.Ramachandran) जानने के बाद हो सकता है कि आप भी जिंदगी में कुछ बड़ा करने के लिए प्रेरित हों.

उजाला नील बनाने वाली ज्योति लेबोरेटरीज लिमिटेड के संस्थापक एम.पी.रामचंद्रन अपनी मेहनत और लगन से लाखों युवा उद्यमियों के लिए मिसाल बने हैं. ज्योति लेबोरेटरीज के दो अहम प्रोडक्ट उजाला लिक्विड क्लॉथ व्हाइटनर और मैक्सो मॉस्किटो रिपेलेंट्स देश में काफी फेमस हुए हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि 13,583 करोड़ की कंपनी के मालिक एम.पी.रामचंद्रन ने कभी उधार के 5000 रुपये से बिजनेस की शुरुआत की थी.


उधार के 5000 से खड़ा किया 14000 करोड़ का बिजनेस साम्राज्य


एमपी रामचंद्रन ने अपने भाई से 5000 रुपये उधार लिए थे और इस रकम से एक अस्थायी फैक्ट्री स्थापित की. लेकिन, उनकी मेहनत और लगन से आज एक मल्टी ब्रांड कंपनी बन गई है. ज्योति लेबोरेटरीज का मार्केट कैप 135.83 बिलियन यानी 13,583 करोड़ रुपये है.

एम पी रामचंद्रन ने पोस्ट-ग्रेजुएशन के बाद अकाउंटेंट के रूप में काम करना शुरू किया. वे हमेशा से सीखने की इच्छा और लीक से हटकर सोच रखते थे. इसी वजह से उन्होंने बिजनेस करने का फैसला लिया और व्यवसाय में भी अपनी इसी सोच को कायम रखकर कुछ अलग प्रोडक्ट्स बनाए.

व्हाइटनर बनाने के लिए करते रहे प्रयोग


कपड़ों के लिए व्हाइटनर बनाने के लिए उन्होंने अपनी रसोई में इसे लेकर प्रयोग करना शुरू कर दिए, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. एक दिन उनकी नज़र एक रासायनिक उद्योग पत्रिका पर पड़ी जिसमें कहा गया था कि बैंगनी रंग के रंगों का उपयोग कपड़ा निर्माताओं को यथासंभव सफ़ेद, चमकीले रंग प्राप्त करने में मदद करने के लिए किया जा सकता है. इसके बाद रामचन्द्रन एक वर्ष तक बैंगनी रंगों के साथ यह प्रयोग करते रहे.

परिवार की जमीन पर खोली छोटी-सी फैक्ट्री


रामचंद्रन ने 1983 में केरल के त्रिशूर में पारिवारिक जमीन के एक छोटे-से भाग पर उन्होंने पर एक अस्थायी कारखाना लगाया. इसके लिए उन्होंने अपने भाई से 5000 रुपये का लोन लिया था. अपनी बेटी ज्योति के नाम पर उन्होंने कंपनी का नाम ज्योति लेबोरेटरीज रखा. चमकीले और सफेद कपड़ों की उपभोक्ता मांग के जवाब में लैब ने उजाला सुप्रीम लिक्विड फैब्रिक व्हाइटनर (Ujala Supreme Liquid Fabric Whitener) बनाया.
6 महिलाओं के एक समूह ने शुरुआत में उत्पाद को घर-घर जाकर बेचा. उजाला सुप्रीम ने जल्द ही हर भारतीय घर में लोकप्रियता हासिल कर ली. शुरुआत में ज्योति लेबोरेटरीज का बाज़ार दक्षिण भारत में बढ़ा और 1997 तक, यह प्रोडक्ट पूरे देश में प्रसिद्ध हो गया. आज, उजाला के पास लिक्विड फैब्रिक क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी हिस्सेदारी है.