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Success story : IAS बनने की खाई कसम ,4 बार फेल होने पर भी नहीं बदली राह, 5वीं बार में बने IAS

देश की सभी कठिन मानी जाने वाली यूपीएससी परीक्षा क्रैक करना सबके बस की बात नहीं होती। हर साल लाखों उम्मीदवार अपने आईएएस बनने के सपने को पूरा करने के लिए सिविल सर्विस एग्जामिनेशन में उपस्थित होते हैं लेकिन उनमे से कुछ के ही सपने पुरे हो पाते हैं। 
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Success story :  IAS बनने की खाई कसम ,4 बार फेल होने पर भी नहीं बदली राह, 5वीं बार में बने IAS

HR Breaking News, Digital Desk- जिंदगी में सबसे ज्यादा हम किस चीज को सीखते हैं. जवाब है तजुर्बे से. जिस दौर में हम कोशिशों में लगे होते हैं, असफलता से सफलता तक का यही वो दौर है जो हमें सबस ज्यादा सिखाता है. ऐसी ही सीख ली, 4 बार यूपीएससी परीक्षा में फेल होने वाले रालापल्ली जगत साई ( Rallapalli Jagath Sai) ने. यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पांचवे प्रयास में पास करने वाले रल्लापल्ली जगत साई मानते हैं असफलता सबसे अच्छी शिक्षक है. उन्होंने परीक्षा उत्तीर्ण कर अखिल भारतीय रैंक 32 प्राप्त की. रालापल्ली जगत साई ने सिविल सेवा परीक्षा में इंटरव्यू में 200 और लिखित परीक्षा में 804 अंकों सहित 1004 नंबर पाए.


जहां साईं अपने पहले प्रयास में प्रीलिम्स भी पास नहीं कर पाए थे. दूसरे प्रयास में वे इंटरव्यू राउंड तक पहुंचे थे, लेकिन पास नहीं हो पाए थे. परीक्षा के फाइनल स्टेज पर पहुंचने के बाद भी इस झटके ने उन्हें निराश कर दिया . वे तीसरे प्रयास में अपना सर्वश्रेष्ठ शॉट नहीं दे सके. अपनी चौथी बार में वे फिर से साक्षात्कार में पहुंचे लेकिन कुछ अंकों से चूक गए. अंतत: पांचवें और अंतिम प्रयास में उन्होंने सफलता पाई.

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उन्होंने अपने असफल प्रयासों से बहुत कुछ सीखा. रल्लापल्ली जगत साई ने बताया "अपने पहले प्रयास में, मैं अकादमिक ज्ञान की कमी से नहीं अपनी प्रतिस्पर्धा को कमजोर करने की वजह से असफल हुआ. उनके पास तब तक कोई कोचिंग नहीं थी. बाद में वह दिल्ली चले गए और अमृता आईएएस अकादमी में शामिल हो गए.


आंध्र प्रदेश के गुंडुगोलानु गांव से आते हुए, उनके लिए राष्ट्रीय राजधानी में रहना मुश्किल था, खासकर कोविड-19 के प्रकोप के बीच. “पहली लहर के दौरान, मैंने अपना ज़्यादातर समय किताबें पढ़ने में बिताया. हालांकि, दूसरी लहर के दौरान स्थिति दर्दनाक थी. लोगों को बुनियादी संसाधनों के लिए संघर्ष करते देखना अभी भी मुश्किल था. मैं मानसिक रूप से थका हुआ था. इसी थकान ने मुझे संकट के समय में लोगों और मेरे देश की मदद करने के लिए और अधिक प्रेरित किया.

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आईएएस ने उम्मीदवारों के लिए एक संदेश में कहा- जो परीक्षा को क्रैक करने में असमर्थ हैं, "मैं लोगों के दर्द को समझता हूं, मैं बहुत पहले उनमें से एक था. जिस चीज ने मेरी मदद की वह दूसरों की भी कर सकती है. अपने सपने पर कायम रहें और खुद पर से विश्वास न खोएं. यदि वे इस पर कायम रहे, आज नहीं तो कल सफल होंगे.


साई के पिता बिजली वितरण कंपनी (power distribution company) में सहायक अभियंता (assistant engineer) हैं, उनकी माँ गृहिणी हैं. उनका छोटा भाई भी सिविल सेवाओं की तैयारी कर रहा है. उनकी एक छोटी बहन भी है, जिसके बारे में उनका कहना है कि वह "उन सभी में सबसे प्रतिभाशाली" है. वह लेक्चरर बनने की तैयारी कर रही हैं. साई के पास वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री है.