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Success Story : पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए की वेटर की नौकरी, फिर बने IAS अफसर

Success Story : कामयाबी वही कहानी बनती है, जिसमें संघर्ष और सफलता का फासला लंबा होता है। आज ऐसे ही एक और आईएएस अधिकारी के स्ट्रगल की कहानी लेकर आए हैं जिन्होंने यूपीएससी क्रैक करने के सफर में बेशुमार मुश्किलें और अभावों का सामना किया।

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Success Story : पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए की वेटर की नौकरी, फिर बने IAS अफसर

HR Breaking News (नई दिल्ली)। आईएएस-आईपीएस बनने के लिए सिविल सेवा परीक्षा देने वालों में काफी लोग मध्यमवर्गीय और गरीब परिवारों के होते हैं. आज ऐसे ही एक और आईएएस अधिकारी के स्ट्रगल की कहानी लेकर आए हैं जिन्होंने यूपीएससी क्रैक करने के सफर में बेशुमार मुश्किलें और अभावों का सामना किया. यह आईएएस अधिकारी हैं के जयगणेश. वेल्लोर जिले के विनवमंगलम नाम के एक छोटे से गांव में जन्मे और पले-बढ़े के जयगणेश की पारिवारिक पृष्ठभूमि बेहद कमजोर आर्थिक स्थिति वाली रही है. उनके पिता एक कारखाने में काम करते थे. जिससे किसी तरह परिवार का भरण-पोषण होता था.

पहली नौकरी में मिलती थी 2500 रुपये सैलरी

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के जयगणेश की 10वीं कक्षा तक पढ़ाई गांव में ही हुई थी. इसके बाद उन्होंने पॉलिटेक्निक कॉलेज में एडमिशन ले लिया. दरअसल, उनसे बताया गया था कि पॉलिटेक्निक करने के बाद तुरंत नौकरी मिल जाएगी. उन्होंने पॉलिटेक्निक में 91% मार्क्स हासिल किए. इसके बाद मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई तांथी पेरियार इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से की. इसके बाद उन्हें इंजीनियर की नौकरी नहीं मिली तो एक सिनेमा हॉल में बिलिंग क्लर्क बने. जहां वह इंटरवल में वेटर का भी काम किया करते थे. यहां उन्हें 2500 रुपये महीने मिलते थे. लेकिन कुछ समय बाद ही उन्हें महसूस हुआ कि इस सैलरी में परिवार का खर्च चलाना बहुत मुश्किल है. दूसरी ओर उनका सपना आईएएस अफसर बनने का भी था. इसी सब के चलते उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी.


होटल में की वेटर की नौकरी 

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बिलिंग क्लर्क की नौकरी छोड़कर उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की. लेकिन एक बार फिर से खर्च चलाने के लिए पैसे का संकट खड़ा हुआ. इस बार उन्होंने एक होटल में वेटर का काम शुरू किया. इस नौकरी के बाद बचे हुए समय में वह यूपीएससी की पढ़ाई करते थे. इस दौरान उन्हें यूपीएससी की परीक्षा में 6 बार असफलता हाथ लगी.

नहीं ज्वाइन की आईबी की नौकरी

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एक बार उनका सेलेक्शन इंटेलिजेंस ब्यूरो में हुआ था. लेकिन उनके लिए यह तय करना मुश्किल था कि सातवीं बार यूपीएससी की परीक्षा दें या अपना संघर्ष यहीं बंद करके आईबी ज्वाइन कर लें. आखिरकार उन्होंने 2008 में एक बार और यूपीएससी परीक्षा देना तय किया. हालांकि उनका यह निर्णय सही साबित हुआ और 156वीं रैंक के साथ यूपीएससी क्रैक करके आईएएस बने.