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Kisan Yojana: किसानों के लिए आय बढ़ाने को लेकर सरकार का बड़ा ऐलान, जानिए क्या कहा

सरकार  ने किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा ऐलान किया है। जिसे सुनकर किसानों के चेहरों पर खुशी छा गई है। खबर में चेक करें आखिर सरकार ने ऐसा क्या ऐलान कर दिया।
 
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Kisan Yojana: किसानों के लिए आय बढ़ाने को लेकर सरकार का बड़ा ऐलान, जानिए क्या कहा

HR Breaking News : नई दिल्ली : भारत अपनी घरेलू खाद्य तेल जरूरतों के लगभग 60 प्रतिशत हिस्से का आयात करता है. सिंह ने आधुनिक तकनीक को अपनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया और कृषि अनुसंधान संस्थानों से ड्रोन के उपयोग के लिए जल्द से जल्द एक प्रोटोकॉल विकसित करने का आह्वान किया।
Kisan Scheme: किसानों के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. वहीं किसानों की आय को बढ़ाने के लिए भी सरकार की ओर से लगातार कोशिशें की जा रही है।

अब कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने और खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए मक्का, सरसों और मूंग की खेती को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के उप महानिदेशक (कृषि विस्तार) और केंद्र सरकार के कृषि आयुक्त एके सिंह ने कृषि क्षेत्र में ड्रोन जैसी तकनीकों को अपनाने पर भी जोर दिया।


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आय बढ़ाने पर दिया जोर

एक बयान के मुताबिक, इस परिचर्चा में सिंह ने कहा, ‘‘गेहूं और चावल पर ध्यान केंद्रित करने की बजाय फसल विविधीकरण को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जाना चाहिए. अंग्रेजी के तीन 'एम' अक्षर से शुरू होने वाले- मक्का, मूंग और सरसों (मस्टर्ड) की खेती को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. यह देश को आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर सकता है और किसानों की आय में भी वृद्धि कर सकता है.’’


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भारत में दालें भी की जाती हैं आयात 


भारत अपनी घरेलू खाद्य तेल जरूरतों के लगभग 60 प्रतिशत हिस्से का आयात करता है. कम मात्रा में दालें भी आयात की जाती हैं. सिंह ने आधुनिक तकनीक को अपनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया और कृषि अनुसंधान संस्थानों से ड्रोन के उपयोग के लिए जल्द से जल्द एक प्रोटोकॉल विकसित करने का आह्वान किया।

आकस्मिक योजना की भी जरूरत

सिंह ने कहा, ‘‘हमें विभिन्न फसलों के लिए पहले से एक आकस्मिक योजना की भी आवश्यकता है ताकि किसान इसे अपना सकें.’’ इस परामर्श बैठक में 33 कृषि विद्यालय केंद्रों (केवीके) के कई प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिकों के साथ-साथ आईसीएआर के वैज्ञानिकों ने भाग लिया. इसमें नीति निर्माताओं, उद्योग जगत की प्रमुख कंपनियों और किसानों की भागीदारी भी देखी गई।

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