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युवा व किसान चुनौतियों में अवसर खोजकर समाज में बदलाव ला सकते हैं : प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज

एचआर ब्रेकिंग न्यूज। हिसार। किसानों को उनकी आमदनी में इजाफा करने के लिए फसल विविधिकरण एवं मूल्य संवर्धन को अपनाना होगा। इसके लिए किसान मूल्य संवर्धन संबंधी प्रशिक्षण हासिल करने के लिए एचएयू से संपर्क कर सकते हैं। ये विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय एवं गुरू जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हिसार के
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युवा व किसान चुनौतियों में अवसर खोजकर समाज में बदलाव ला सकते हैं : प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज

एचआर ब्रेकिंग न्यूज। हिसार। किसानों को उनकी आमदनी में इजाफा करने के लिए फसल विविधिकरण एवं मूल्य संवर्धन को अपनाना होगा। इसके लिए किसान मूल्य संवर्धन संबंधी प्रशिक्षण हासिल करने के लिए एचएयू से संपर्क कर सकते हैं। ये विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय एवं गुरू जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने एक किसान गोष्ठी में कहे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय हर समय किसानों की सेवा के लिए तैयार है और किसानों को विश्वविद्यालय से जुडक़र आधुनिक तकनीकों व उन्नत किस्मों की जानकारी लेनी चाहिए। साथ ही यहां दिए जाने वाले प्रशिक्षण हासिल कर अपने उत्पादों का मूल्य संवर्धन कर सकते हैं और अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं। इसके लिए विश्वविद्यालय लगातार किसानों के हित के लिए इस तरह के प्रशिक्षण प्रदान करता रहता है। इसके अलावा स्वरोजगार भी स्थापित कर दूसरों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन सकते हैं।

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युवा व किसान चुनौतियों में अवसर खोजकर समाज में बदलाव ला सकते हैं। साथ ही किसान को वैज्ञानिक सलाह, किसान की मेहनत व सरकार की सुविधाओं का भरपूर फायदा उठाना चाहिए तभी जाकर उसे सफलता हासिल हो सकती है। प्रदेश व केंद्र सरकार किसानों के हित के लिए नित्त नई कल्याणकारी योजनाएं लागू कर रही हैं ताकि किसानों का अधिक से अधिक फायदा हो सके। इसके अलावा किसानों को भी अपनी फसलों से अधिक उत्पादन हासिल करने के लिए परम्परागत खेती की बजाय समन्वित खेती पर ध्यान देना होगा। फसल विविधिकरण को अपनाना आज के समय की मांग है जिससे न केवल आमदनी बढ़ेगी बल्कि पर्यावरण संरक्षण भी होगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की टीमें इस बार लगातार किसानों के फील्ड में जाकर कपास व  अन्य फसलों की समस्याओं के समाधान को लेकर किसानों को जागरूक कर रही हैं। यही वजह है कि कपास की फसल में गत वर्षों की भांति बीमारियों का प्रकोप कम है। इस दौरान विभिन्न गांवों में फसलों का जायजा लिया गया और संबंधित समस्याओं के लिए वैज्ञानिकों की टीम ने मौके पर ही समाधान बताया।

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किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए लगातर फील्ड में हैं वैज्ञानिक

विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. रामनिवास ढांडा ने कृषि वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे किसानों के साथ मिलकर समय-समय पर उनकी समस्या के निदान के लिए जुटे रहें। अनुसंधान निदेशक डॉ. एसके सहरावत ने कहा कि किसानों को कृषि वैज्ञानिकों द्वारा समय-समय पर दी जाने वाली सलाह व कीटनाशकों को लेकर की गई सिफारिशों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान डॉ. अनिल यादव, डॉ. ओमेंद्र सांगवान, डॉ. करमल मलिक, डॉ. अनिल जाखड़ व डॉ. मनमोहन सिंह ने कपास की फसल की अधिक पैदावार हासिल करने के लिए अपनाई जाने वाली सस्य क्रियाओं, बीमारियों व कीटों के प्रति जागरूक करते हुए अपने व्याख्यान दिए। कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ संयोजक डॉ. उमेश शर्मा, डॉ. मुरारी लाल, डॉ. गुलाब सहित क्षेत्र के कई गांवों के किसानों ने हिस्सा लिया।