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Alcohol Facts : पुरानी और नई शराब में जान लें अंतर, क्या होती है पुरानी शराब की खासियत

Facts About Liquor : कहते हैं कि प्यार जितना पुराना होता है वह उतना ही गहरा होता है। शराब के साथ भी कुछ ऐसा ही। अक्सर मयखानों (दारू के ठेके) पर लोग पुरानी शराब मांगते दिखते हैं। कहते हैं कि दारू का रंग जितना गहरा होगा उसकी रंगत भी उतनी मदहोश कर देगी। आखिर पुरानी और नई शराब के बीच फर्क क्या है,लोग पुरानी शराब को बेहतर क्यों मानते है। अपने इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे-
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HR Breaking News, Digital Desk - कहते हैं कि प्यार जितना पुराना होता है वह उतना ही गहरा होता है। शराब के साथ भी कुछ ऐसा ही। अक्सर मयखानों (दारू के ठेके) पर लोग पुरानी शराब मांगते दिखते हैं। कहते हैं कि दारू का रंग जितना गहरा होगा उसकी रंगत भी उतनी मदहोश कर देगी। आखिर पुरानी और नई शराब के बीच फर्क (difference between old and new wine) क्या है,लोग पुरानी शराब को बेहतर क्यों मानते है। अपने इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे-


जितनी पुरानी शराब उतना गहरा चढ़ेगा रंग-


जैसे रिश्ते पुराने होने के साथ गहरे होते हैं वैसे ही शराब के जानकार और उसे पीने वाले किसी व्यक्ति को पता होता है कि पुरानी शराब का रंग भी समय के साथ गहराता चला जाता है। पुरानी शराब के रंग के साथ उसके स्वाद में भी खास तरह की परिपक्वता और गहराई सी होती है।शराब को पुराना और परिपक्व करने के लिए बकायदा एक प्रक्रिया को भी अपनाया जाता है जिसे एजिंग कहते हैं।कहते हैं पुरानी शराब की खुमारी धीरे-धीरे चढ़ती है।


पुरानी शराब की खासियत-


पुरानी शराब का रंग नई शराब के मुकाबले ज्यादा गहरा होता है।

रंग से ज्यादा खास होता है स्वाद जो पुरानी शराब का होता है। शराब जितनी पुरानी होती है उतनी ही जवान होती जाती है।यही कारण है कि इसे पीने के शौकीन लोगों में पुरानी शराब की जबरदस्त मांग रहती है।


जितनी पुरानी शराब उतनी ज्यादा कीमत-


जैसा कि हमने बताया शराब जितनी पुरानी होती है उसका रंग और नशा उतना ही खास होता है। यही कारण है कि उनकी कीमतों में भी बहुत अंतर होता है।नई शराब के मुकाबले पुरानी शराब की कीमतें ज्यादा होंगी। मान लो कि अगर कोई स्कॉच 50 साल पुरानी है तो वह 10 साल पुरानी स्कॉच से बहुत महंगी होगी।


ब्रांडी और व्हिस्की को होती एजिंग की खास जरूरत-


ब्रांडी और व्हिस्की शराब के दो अलग-अलग प्रकार होते हैं। इन्हें एजिंग की खास जरूरत होती है जो कि कम से कम तीन साल होती है। रम और टकीला में भी एजिंग की प्रक्रिया करने से वह बेहतर होती है। हालांकि इनमें जरूरी नहीं कि बहुत लंबी प्रक्रिया अपनाई जाए।