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Liquor Bottles : शराब की बोतल को क्यों कहा जाता है खंभा, अद्धा, पव्वा और बच्चा, हैवी ड्रिंकर भी जानते

alcohol news  : जब भी कोई शराब ककी दूकान पार बोतल खरीदने जाता हैं तो उसे कभी भी शराब की एक लीटर की बोतल नहीं मिलती और शराब एक लीटर की बोतल में आती भी नहीं, शराब हमेशा खंभा, अद्धा, पव्वा और बच्चा में आती है , पर शराब की बोतलों को इन नामों से क्यों जाना जाता है, इसके बारे में बहुत कम लोग ही है जो जानते हैं और आज हम इसके बारे  में ही आपको बताने जा रहे हैं
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HR Breaking News, New Delhi : हम भारतीयों ने दारू की बोतलों (Liquor Bottles) को ये विचित्र नाम दिये हुए हैं। खंबा यानी 750 एमएल की फुल बोतल। 375 एमएल की हाफ बोतल हुई, तो उसको कहते हैं अद्धा और 180 एमएल की बोतल यानी क्वाटर को कहा जाता है पौवा। 50 एमएल के मिनिएचर को कई जगहों पर बच्चा भी कहा जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दारू की फुल बोतल 750 एमएल (Why are Liquor Bottles 750ml) की ही क्यों होती है। फुल बोतल 1 लीटर, हाफ बोतल आधा लीटर और क्वाटर बोतल 250ml की क्यों नहीं होती? अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों में शराब की फुल बोतल एक लीटर की ही होती है। अलग-अलग देशों में शराब को मापने के अलग-अलग तरीके हैं। आज हम आपको बताएंगे कि भारत में शराब की फुल बोतल 750 एमएल की ही क्यों होती है।

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ग्लास ब्लोइंग तकनीक से बनती थी बोतल

शुरुआत में शराब को बैरल्स में ही रखा जाता था। लेकिन 18वीं सदी में कांच की कीमत पहले से काफी कम हो गई थी। हर घर में कांच का ग्लास होता था। इस दौरान यह आम सहमति बनी कि शराब रखने के लिए कांच की बोतल सबसे बेस्ट है। उस समय बोतल बनाने के लिए ग्लास ब्लोइंग तकनीक यूज होती थी। इस तकनीक में मेटल के एक खोखले पाइप के सिरे को उबलते शीशे में डाला जाता था। जब गर्म शिशा पाइप के चारों ओर लिपट जाता तो उसे एक स्टील की प्लेट पर घुमाकर आकार दिया जाता था।

कारीगर मुंह से फुलाता था बोतल

इसके बाद कारीगर खोखले पाइप से फूंककर शीशे में हवा भरते थे। इससे बोतल का आकार बढ़ता था। एक व्यक्ति की क्षमता के अनुसार, पूरी सांस में बोतल अधिकतम 750 एमएल साइज तक ही फूलती थी। ऐसे में 750 एमएल को कांच की बोतल के लिए स्टैंडर्ड साइज मान लिया गया। अब तक भी यही साइज प्रचलन में है। हालांकि, अब बोतलें मशीनों द्वारा तैयार की जाती हैं।

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60ml का पैग भी है वजह

शराब कि फुल बोतल के 750 एमएल की होने के पीछे एक वजह और मानी जाती है। यह पैग से जुड़ी है। शराब के पैग का हिसाब रखने के लिए 750 एमएल एक आदर्श मात्रा है। शराब के एक स्मॉल पैग की साइज 30 एमएल और बड़े पैग की साइज 60 एमएल होती है। बोतल में शराब की मात्रा भी इसी लार्ज और स्मॉल पैग के मल्टीपल में होती है। जैसे- एक पौवा (180 एमएल) में तीन लार्ज या 6 स्मॉल पैग बनाए जा सकते हैं। इसी तरह शराब की फुल बोतल (750 एमएल) में 12 लार्ज और एक स्मॉल पैग या 25 स्मॉल पैग बनाए जा सकते हैं।


मिनिएचर का नाम भी सुना होगा

शराब के शौकीन लोगों को मिनिएचर (Miniature) के बारे में भी पता होगा। ये मिनिएचर बोतलें अक्सर फ्लाइट में सर्व की जाती हैं। 5-स्टार होटल्स के रूम में बनी मिनी बार में भी मिनिएचर बोतल होती हैं। मिनिएचर बोतलें अक्सर महंगी शराब की होती हैं। पहली बार 1889 में जॉन पावर एंड संस आयरिश व्हिस्की कंपनी ने मिनिएचर पैक लॉन्च किया था। लोग महंगी शराब का स्वाद चखने के लिए भी मिनिएचर बोतल लेते हैं। आमतौर पर ये बोतलें 50 एमएल की होती हैं। भारत में कुछ जगहों पर इसे बच्चा भी कहा जाता है। लोगों को ये बोतलें फैशनेबल लगती हैं।

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