wine beer : स्टील के गिलास में शराब पीनी से क्या होता है, जानिये सच्चाई
शराब के शौकिनों के लिए यह खबर बड़े काम की है ज्यादातर लोग स्टील के गिलास में शराब पीने को सही नहीं मानते. क्या सेहत के नजरिए से भी यह ठीक नहीं है? आइए, जानते हैं क्या है सच्चाई.
HR Breaking News (नई दिल्ली)। पूरी दुनिया में शराब सबसे ज्यादा शीशे के गिलास में ही परोसी जाती है. देखा जाए तो पीने के शौकीन लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता कि पैमाना किस चीज का बना है. आपने भी लोगों को शीशे के चमचमाते पैमानों से लेकर प्लास्टिक गिलास और मिट्ठी के कुल्हड़ों तक में इसका आनंद उठाते देखा होगा. हालांकि, संभ्रांत समाज में स्टील के गिलास में शराब परोसा जाना और पीना जरा 'डाउनमार्केट' माना जाता है. आखिर क्या वजह है कि बहुत सारे लोग स्टील के गिलास में शराब(wine in steel glass) पीने को सही नहीं मानते. क्या सेहत के नजरिए से भी यह ठीक नहीं है? आइए, जानते हैं क्या है सच्चाई.
सेहत के लिए नुकसानदायक नहीं
जानकार मानते हैं कि स्टील के गिलास में शराब पीने का सेहत के नजरिए से कोई नुकसान नहीं है. शराब बनाने की पूरी प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले उपकरण तक स्टेनलेस स्टील के बने होते हैं. फर्मेंटिंग टैंक से लेकर फिल्टरिंग उपकरण तक स्टील के बने होते हैं. इस बात के सबूत भी नहीं मिले कि स्टील के गिलास में शराब डालने से उसका केमिकल नेचर या फ्लेवर प्रभावित होता हो. यानी स्टील के गिलास में शराब बिलकुल सेफ है. बाजार में तो कुछ स्टायलिश बीयर मग भी मौजूद हैं, जो स्टेनलेस स्टील(Stainless Steel) के बने होते हैं. और तो और, कॉकटेल्स बनाने के शेकर्स और दूसरे मिक्सिंग उपकरण भी स्टेनलेस स्टील के ही बने होते हैं.
तो स्टील गिलास से क्या नुकसान
जानकारों के मुताबिक, शराब पीने के एहसास को बेहतर बनाता है उसे पूरी शिद्दत से महसूस कर पाना. खाने-पीने के स्वाद के एहसास की सबसे बड़ी ताकत है हमारी आंखें. बाकी शराब की महक, उसका स्वाद, उसका स्पर्श आदि महसूस करने के लिए हमारी दूसरी ज्ञानेंद्रियां मदद करती हैं. कान का इस्तेमाल तब होता है, जब हम पैमाने टकराते हैं और इसकी खनक हमारे कानों तक पहुंचती है. ऐसे में स्टील के गिलास का सबसे बड़ा नुकसान यही है कि पीते वक्त शराब को देख पाना ही मुमकिन नहीं हो पाता. पीने से पहले आंखों से शराब को देखने का मनोवैज्ञानिक असर बहुत बड़ा होता है, जिसका संबंध सीधे उसके स्वाद से होता है. स्टील के गिलास इसी एहसास को बेहद सीमित कर देते हैं. यह कुछ वैसा ही है, मानो आंखों पर पट्टी बांधकर कोई स्वादिष्ट चीज खाना. वहीं, स्टेनलेस स्टील के गिलास में धातु की महक भी आ सकती है, जो शराब के फ्लेवर के एहसास में बाधा बन सकती है. कांच के गिलास गंधहीन होते हैं, इसलिए ये नुकसान नहीं होता.
ये तो स्टाइल का भी मामला है!
भारत में अधिकतर लोगों को शराब में पानी, सोडा, जूस, कोल्ड ड्रिंक आदि मिलाने की आदत होती है. शीशे के गिलास में यह सुविधा है कि पीने वाले को डाली गई शराब और उसमें मिलाए जाने वाले दूसरे तरल की मात्रा का पूरा एहसास रहता है. वहीं, शराब बेचने वाली कंपनियों ने भी इसकी मार्केटिंग कुछ तरह की है कि पीने के साथ-साथ पीने का तरीका भी बेहद अहम हो चला है. विज्ञापनों ने खूबसूरत ग्लासेज में महंगी शराब पीने को इतना स्वीकार्य बना दिया है कि स्टील के गिलास उस एहसास को कमतर करते हुए लगते हैं. रूपहले पर्दे पर किसी रईस किरदार को स्टील के गिलास में शराब पीते आपने शायद ही कभी देखा हो.