सर्वे के अनुसार 53% पेरेंट्स चाहते है बच्चों को स्कूल भेजना, जून में हुए सर्वे के मुकाबले 20% बढ़ा आंकड़ा

हाल ही में लोकल सर्किल की तरफ से किए गए एक सर्वे से पता चला है कि देश में लगभग 53% पेरेंट्स अगस्त या सितंबर में स्कूल फिर से खोले जाने के पक्ष में हैं, जबकि 44% इसके खिलाफ है। जो की जून किए गए सर्वे से एकदम विपरीत है, जब 76% माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते थे, जो आंकड़ा पिछले दो महीनों में लगभग 30% घट गया है, और तब केवल 20% अभिभावक चाहते थे कि स्कूल जुलाई 2021 तक खुल जाएं।
लोकल सर्किल शासन, सार्वजनिक और उपभोक्ता हितों से जुड़े मुद्दों पर सर्वे करने वाला एक मंच है। हाल ही में हुए सर्वे के नतीजे मंगलवार को जारी किए गए, जिसमें लोकल सर्किल ने कहा कि उसे भारत के 378 जिलों में रहने वाले 24,000 पेरेंट्स की तरफ से 47,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं मिली हैं। सर्वे के दौरान प्रतिभागियों में लगभग 66% पुरुष थे जबकि 34% महिलाओं ने हिस्सा लिया था। सर्वे में यह भी पाया गया कि माता-पिता चाहते हैं कि स्थानीय प्रशासन स्कूल के शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों का टीकाकरण कराए।
सर्वे की रिपोर्ट में बताया गया है कि ‘सर्वे में माता-पिता से इस पर राय मांगी गई थी कि क्या राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अगस्त और सितंबर में जिला प्रशासन स्कूलों में या उनके नजदीक मुफ्त टीकाकरण शिविर लगाएं जहां सभी स्कूल कर्मचारियों को प्राथमिकता के आधार पर टीका लग सके। इसके जवाब में सर्वे में शामिल 89 फीसदी पेरेंट्स में से अधिकांश ने ‘हां’ कहा।’ अमेरिकन कॉन्फ्रेंस ऑफ गवर्नमेंट इंडस्ट्रियल हाइजीनिस्ट्स (एसीजीआईएच) की तरफ से जारी किए गए एक डेटा का हवाला भी दिया गया जो यह संकेत देता है कि मास्क (एन 95) लगाने के साथ छह फीट की दूरी बनाए रखने वाले लोगों के बीच संक्रमण फैलने के लिए 677 घंटे की जरूरत होती है।
स्कूलों के विषय में इसमें आगे जोड़ा गया, ‘जहां तक स्कूलों की बात है तो यदि एन-95 मास्क अनिवार्य कर दिए गए हों और स्कूल की अवधि दिन में बिना किसी ब्रेक या लंच ब्रेक के 3 घंटे तक सीमित रहे और छह फीट की सामाजिक दूरी का पूरी तरह पालन किया जाए तो संक्रमण की संभावना ना के बराबर हो जाती है।’
पेरेंट्स का मानना है की, रैपिड एंटीजन टेस्ट किट उपलब्ध होनी चाहिए
- इन सब निष्कर्षों के अलावा, बड़े पैमाने पर 74% माता-पिता यह भी मानते हैं कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिला प्रशासन नियमित रूप से रैंडम टेस्ट के लिए स्कूलों को आरएटी किट मुहैया कराए।
- सर्वे में कहा गया है, ‘स्कूलों में रैंडम रैपिड एंटीजन टेस्ट ऐसा है जिसकी सिफारिश स्कूल फिर से खोलने के संदर्भ में दुनियाभर के विशेषज्ञ कर रहे हैं। क्योंकि अगर किसी कर्मचारी या किसी छात्र में मामूली लक्षण—सिर दर्द, गंध और स्वाद का पता न चलना, नाक बंद होना या बहना, खांसी, मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश, बुखार, दस्त और सांस लेने में कठिनाई आदि—भी नजर आएं तो उनके एंटीजन टेस्ट के जरिये तुरंत यह पता लगाया जा सकेगा कि कहीं कोविड तो नहीं है।’
- चूंकि, देश में कोविड के मामलों में पीक के दौरान वाले महीनों मई और जून की तुलना में लगातार कमी बनी हुई है, इसलिए कई राज्य सरकारों ने स्कूल खोलने का फैसला कर लिया है।
- इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी और लर्निंग डिवाइस उपलब्ध न हो पाने के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में तमाम बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल होने में असमर्थ थे।