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ग्रुप बनाए टाइगर जिंदा है और हर-हर महादेव के नाम से और ग्रुपों में हो रहा था ये काम

अंबाला। अवैध खनन का खेल चलाने के लिए ऐसे ऐसे नाम से व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए जिन्हें देखकर आप सोचेंगे कि इन ग्रुपों में फिल्म या धार्मिक मुद्दों पर चर्चा की जाती होगी। लेकिन जब आप इसकी सच्चाई जानेंगे तो आपकी आंखें खुली की खुली रह जाएंगी। व्हाट्सएप ग्रुपओं के नाम रखे गए टाइगर जिंदा
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ग्रुप बनाए टाइगर जिंदा है और हर-हर महादेव के नाम से और ग्रुपों में हो रहा था ये काम

अंबाला। अवैध खनन का खेल चलाने के लिए ऐसे ऐसे नाम से व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए जिन्हें देखकर आप सोचेंगे कि इन ग्रुपों में  फिल्म या धार्मिक मुद्दों पर चर्चा की जाती होगी। लेकिन जब आप इसकी सच्चाई जानेंगे तो आपकी आंखें खुली की खुली रह जाएंगी। व्हाट्सएप ग्रुपओं के नाम रखे गए टाइगर जिंदा है, जय बजरंगबली, हर-हर महादेव।

ये ग्रुप दरअसल खनन करने वाले माफियाओं को अलर्ट करने के लिए बनाए गए थे। ग्रुप चलाने वाले अफसरों की गाड़ियों पर नजर रखते है और खनन माफियाओं को अलर्ट करते हैं। जैसे ही अफसर किसी रूट पर निकलते व्हाट्सएप ग्रुप में खनन माफियाओं को अलर्ट कर दिया जाता है। माफिया उस सड़क से फरार हो जाते। अब पुलिस ने ऐसे ग्रुप चलाने वाले 7 लोगों को पकड़ा है।

 अंबाला में खनन माफियाओं की मदद करने के लिए 5 व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए थे और इन ग्रुपों में 500 से ज्यादा लोगों को जोड़ा गया था। प्रशासनिक अधिकारियों के मूवमेंट की जानकारी व्हाट्सएप ग्रुप से मिलती थी। इन ग्रुपस में ट्रांसपोर्ट और डंपर चालकों को जोड़ा गया था।  एसडीएम प्रीति ने सात आरोपियों के पास से मोबाइल फोन बरामद किया हैं। जिनमें व्हाट्सएप ग्रुप मिले हैं। अधिकारियों की गतिविधि की जानकारी संबंधित टेक्स्ट मैसेज भी ग्रुप में मिले हैं।

ग्रुप चलाने वाले रामेश्वर ने बताया है कि वह व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से डंपर चालकों और ट्रांसपोर्ट मालिकों तक जानकारी पहुंचाने के लिए प्रत्येक गाड़ी से ₹2000 महीना लेता था। इस धंधे में शामिल लोग अलग-अलग पेट्रोल पंप और ढाबों पर अपना ठिकाना बनाए रहते थे। जैसे ही एसडीएम की गाड़ी कार्रवाई के लिए निकलती तो व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से चालकों और ट्रांसपोर्ट मालिकों को इसकी सूचना दे दी जाती थी। यमुनानगर, पानीपत में भी कार्रवाई की गई है।  ये लोग कार्यालय टाइम पर ही अफसरों की गाड़ियों के आसपास तैनात हो जाते हैं जैसे ही अधिकारी बाहर निकलते हैं तो व्हाट्सएप ग्रुप में जानकारी देना शुरू कर देते हैं।