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लैब में तैयार किया गया कृतिम मानव मस्तिष्क, 5 हफ्ते के भ्रूण के मस्तिष्क जैसा दीखता है

जर्मनी के वैज्ञानिकों ने लैब में एक कृत्रिम मानव मस्तिष्क तैयार किया है। इस मिनी ब्रेन में आंखें भी हैं। हालांकि आंखें पूरी तरह विकसित नहीं हैं। इस मिनी ब्रेन को इंसान की स्टेम कोशिकाओं से विकसित किया गया है। इसे जर्मनी के इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन जेनेटिक्स के शोधकर्ताओं ने तैयार किया है। वैज्ञानिकों का
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लैब में तैयार किया गया कृतिम मानव मस्तिष्क, 5 हफ्ते के भ्रूण के मस्तिष्क जैसा दीखता है

जर्मनी के वैज्ञानिकों ने लैब में एक कृत्रिम मानव मस्तिष्क तैयार किया है। इस मिनी ब्रेन में आंखें भी हैं। हालांकि आंखें पूरी तरह विकसित नहीं हैं। इस मिनी ब्रेन को इंसान की स्टेम कोशिकाओं से विकसित किया गया है।

इसे जर्मनी के इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन जेनेटिक्स के शोधकर्ताओं ने तैयार किया है। वैज्ञानिकों का कहना है, मिनी ब्रेन में आंखें ऐसे विकसित हुई हैं जैसे 5 हफ्ते के भ्रूण की होती हैं। भविष्य में इससे कई नई बातें सामने आ सकेंगी जो कई बीमारियों के इलाज में मदद करेंगी।

क्यों खास है यह मिनी ब्रेन, जानिए इसकी 3 बड़ी बाते

  • मिनी ब्रेन 3 मिमी. चौड़ा है। इसमें मौजूद आंखों में कॉर्निया, लेंस और रेटिना है, इसकी मदद से यह रोशनी को देख पाता है। ये आंखें न्यूरॉन और नर्व कोशिकाओं की मदद से यह ब्रेन से कम्युनिकेट भी कर सकती हैं। वैज्ञानिकों का कहना है, लैब में तैयार यह रेटिना भविष्य में उन लोगों के काम आ सकेगा जो चीजों को देख नहीं पाते।
  • जर्नल सेल स्टेम में पब्लिश रिसर्च कहती है, जब इन आंखों पर प्रकाश की किरणें डाली गईं तो सिग्नल दिमाग तक पहुंच गए। इससे साबित होता है कि आंखें जो देख रही हैं वो बात दिमाग तक पहुंच रही है। पहली बार लैब में विकसित किए गए ब्रेन में ऐसा देखा गया है।
  • शोधकर्ता गोपालकृष्णन कहते हैं, मिनी ब्रेन की मदद से यह पता चल सकेगा कि भ्रूण के विकास के दौरान, जन्मजात रेटीना से जुड़े डिस्ऑर्डर में और रेटीन पर खास तरह की दवाओं की टेस्टिंग करने पर आंख और मस्तिष्क के बीच कैसा तालमेल रहता है।

ब्लड सप्लाई न होने पर नहीं बरकरार रह सके
वैज्ञानिकों का कहना है, 60 दिनों में करीब 314 ऐसे मिनी ब्रेन तैयार किए गए। इनमें से तीन चौथाई पूरी तरह से विकसित हो गए थे। ये दिखने में इंसानी भ्रूण की तरह थे। बिना ब्लड सप्लाई के ये लम्बे समय तक नहीं बरकरार रह सके। ब्लड सप्लाई न मिलने पर यह ढाई महीने में धीरे-धीरे खत्म हो गए।

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