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संस्कृत दिवस आज: विद्वानों और पंडितों ने की नई पहल, राखी बांध लिया ग्रंथो की रक्षा का प्रण

आज रक्षाबंधन के साथ-साथ संस्कृत दिवस भी है। संस्कृत ज्ञान की रक्षा और संरक्षण के लिए जयपुर में संस्कृत विद्वानों, ज्योतिषियों, पंडितों ने ग्रंथों को राखी बांधकर एक नई पहल की है। ताकि भावी पीढ़ियों तक संस्कृत में लिखे ज्ञान, विज्ञान, धर्मशास्त्रों का लगातार प्रवाह होता रहे। वैदिक ज्ञान का प्रचार प्रसार हो। साथ ही
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संस्कृत दिवस आज: विद्वानों और पंडितों ने की नई पहल, राखी बांध लिया ग्रंथो की रक्षा का प्रण

आज रक्षाबंधन के साथ-साथ संस्कृत दिवस भी है। संस्कृत ज्ञान की रक्षा और संरक्षण के लिए जयपुर में संस्कृत विद्वानों, ज्योतिषियों, पंडितों ने ग्रंथों को राखी बांधकर एक नई पहल की है। ताकि भावी पीढ़ियों तक संस्कृत में लिखे ज्ञान, विज्ञान, धर्मशास्त्रों का लगातार प्रवाह होता रहे। वैदिक ज्ञान का प्रचार प्रसार हो। साथ ही संस्कृत, संस्कार और धर्म की रक्षा हो सके।

ज्योतिष परिषद एवं शोध संस्थान के अध्यक्ष पंडित पुरूषोत्तम गौड़ ने रक्षा बंधन पर्व पर विधिवत पूजा कर ‘धर्म सिंधु’, ‘निर्णय सिंधु’, ‘सिद्ध विद्या रहस्य’ सहित अन्य धार्मिक ग्रंथों के रक्षा सूत्र बांधा। साथ ही इन ग्रंथों और धार्मिक ज्ञान की संस्कृत पुस्तकों के संरक्षण और ज्योतिष विद्यार्थियों को उनके ज्ञान से अवगत करवाने का संकल्प लिया। पंच सिद्धान्तिका में वर्णित पांच ज्योतिष सिद्धांत ग्रंथों का पूजन किया। रक्षा सूत्र बांधते समय मंत्रोच्चारण किया गया।

संस्कृत दिवस आज: विद्वानों और पंडितों ने की नई पहल, राखी बांध लिया ग्रंथो की रक्षा का प्रण

सरस निकुंज के प्रवक्ता प्रवीण भैया ने शुक संप्रदाय पीठाधीश्वर अलबेली माधुरी शरण महाराज के सान्निध्य में शुक संप्रदाय की परंपरागत ‘आचार्य वाणी’, ‘श्री भक्ति सागर ‘, ‘श्री सरस सागर’ , ‘श्रीमद् भागवत महापुराण’, ‘श्री भक्ति रस मंजरी’, ‘ श्री नव भक्तमाल’, ‘ श्री रामचरितमानस पर रक्षा सूत्र बांधा। साथ ही नारियल मेवा का भोग और दुपट्टा धारण कराकर विधिवत पूजन किया।

सर्व ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष पंडित सुरेश मिश्रा ने रक्षाबंधन के अवसर पर श्री गणेश सहस्त्रनाम स्तोत्र के रक्षा सूत्र बांधकर इसे कंठस्थ रखने और भावी पीढ़ी को भी इसके महत्व से अवगत करवाने का संकल्प लिया। भगवान श्रीगणेश देवताओं में प्रथम पूज्य माने गए हैं। यानी किसी भी शुभ कार्य से पूर्व गणपतिजी की पूजा की जाती है। वेद-पुराणों में भी गणेशजी के विभिन्न स्तोत्र, मंत्र और पूजन आदि का वर्णन मिलता है।

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