हरियाणा के इस गांव में 6 दिन में 36 लोगों ने गवां दी जान, लोगों का कहना टेस्ट करवाने का फायदा नही, न इलाज है, न ही स्थान
HR BREAKING NEWS. रोहतक जिले के टिटौली और घिलौड गांव में पिछले 5-7 दिनों में 36 लोगों की मौत हुई है। बता दें कि टीटोली में 27 और घिलौड में 9 लोग काल का ग्रास बने हैं। गांव के लोगों का कहना है कि उनके गांव में कोरोना की बजाय दूसरी बीमारियों से मौत हो रही है। लोगों की मौत का कारण बुखार और हार्ट अटैक को बताया जा रहा है।
Oxygen की कमी से मरीजों की मौत या हत्या? – कुमार विश्वास
इस गांव में अभी भी लोग बीमार हैं, लेकिन टीटोली के लोग कहते हैं कि उनके गांव में कोरोना के कारण मौत हुई है। पीड़ित परिवारों में कुछ परिवार ऐसे भी हैं जिनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। टीटोली में शायद ही ऐसा कोई घर बचा है जिसका कोई सदस्य बुखार, खांसी, जुकाम की चपेट में न हो। बता दें कि टीटोली में हो रही मौतों की खबर प्रशासन के कानों तक भी पहुंच चुकी है। 1 मई को पंचायत विभाग के अधिकारी गांव पहुंचे और गांव को सैनिटाइज करवाया।
पंचायत विभाग ने भी 75 लोगों की कोरोना की जांच की। यहां ज्यादा लोगों की मौत के कारण लोग कोविड टेस्ट नहीं करवा रहे। लोगों में कोरोना को लेकर दहशत फैली हुई है। लोगों का कहना है कि अगर रिपोर्ट पॉजिटिव भी आई, तो इस बीमारी का कोई इलाज तो है नहीं, फिर टेस्ट करवाने का क्या फायदा।
6 दिनों में 36 लोगों ने गवाई जान
बता दें कि टीटोली गांव में मौत का सिलसिला 25 अप्रैल को शुरू हुआ था। जिसके बाद, बीते शनिवार तक एक के बाद एक करके 23 लोगों की जान चली गई। वही लोगों का कहना है कि किसी को तो 1 दिन या 2 दिन बुखार हुआ है और चल बसा। कुछ लोगों पर तो घंटों में ही मौत ने झपटा मार लिया। गांव में पिछले कुछ दिनों से ऐसे हालात हो गए हैं कि एक व्यक्ति का दाह संस्कार करके लोग घर ही लौटते हैं और इससे पहले दूसरे की मौत हो जाती है।
पीएम केयर फंड से नागरिक अस्पताल में ऑक्सिजन उत्पादन प्लांट संचालित करने का कार्य आरंभ
लोगों ने 24 घंटों में चार चार आर्थियों को कंधा दिया है। टीटोली गांव की गिनती बड़े गांवों में होती है, लेकिन मौत के आंकड़ों ने गांव को इतना छोटा कर दिया है कि अब हर गली में खामोशी है। जैसे ही गांव के लोगों को किसी व्यक्ति के बीमार होने की जानकारी मिलती है, वें उनके घर पहुंच कर उनका हौसला बढ़ाने लग जाते हैं। वही लोगों के सामने कितनी बड़ी विडंबना है कि वह बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को इलाज के लिए कहीं नहीं ले जा पा रहे। एक तो कोरोना का कोई इलाज नहीं, दूसरा अस्पतालों में मरीजों के लिए जगह ही नहीं है। जिन परिवारों में मौत हुई है, इनमें कई परिवारों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई है।