Punjab Election Result 2022: पंजाब में AAP ने दिखाया जादू, नही काम आई कांग्रेस की रणनीति, जानिए हार जीत के ये पांच कारण

HR Breaking News, पंजाब, Punjab Election 2022: वर्ष 2017 में 77 सीटें जीतकर पूरी राजनीति को आश्चर्यचकित करने वाली कांग्रेस पार्टी 2022 में विधान सभा चुनाव में औंधे मुंह गिर गई। कांग्रेस की अपनी ही रणनीति ने पार्टी का जहाज डूबो दिया। वहीं, आम आदमी पार्टी ने अपनी शानदार एंट्री से सबको चौका दिया है।
वर्ष 2022 के परिणाम की कहानी कांग्रेस ने 2021 में तब लिखनी शुरू कर दी थी जब पार्टी में तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाने की साजिश रची गई। कैप्टन को हटाकर कांग्रेस ने विधान सभा चुनाव को देखते हुए एससी कार्ड खेलते हुए चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया लेकिन चुनाव परिणाम में कांग्रेस को इसका लाभ नहीं मिला।
चन्नी व सिद्धू में खींचतान
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और कांग्रेस के प्रदेश प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चली खींचतान के कारण कांग्रेस महज 15 सीटों के करीब सिमटती नजर आ रही है। कांग्रेस के करीब 16 मंत्री भी चुनाव हार रहे हैं। चुनाव के दौरान भी कांग्रेस में खींचतान का दौर जारी रहा।
नवजोत सिंह सिद्धू लगातार चन्नी पर हमला करते रहे और कांग्रेस यह मानती रही कि सिद्धू जितना ज्यादा चन्नी पर हमला कर रहे है उनकी आम आदमी की छवि मजबूत हो रही है। कांग्रेस यह मान रही थी कि एससी मुख्यमंत्री और आम आदमी की छवि के जरिये पार्टी न सिर्फ आम आदमी पार्टी बल्कि सिद्धू से भी निपट लेंगे।
सिद्धू और चन्नी की लड़ाई का खामियाजा यह हुआ कि न तो चन्नी अपनी दोनों ही सीटों को बचा पाए और न ही नवजोत सिंह सिद्धू। और तो और मुख्यमंत्री समेत कांग्रेस के 16 मंत्री भी चुनाव हार गए। चुनाव के दौरान न तो कांग्रेस के ऊपर एससी मतदाताओं ने विश्वास किया और नहीं शहरी मतदाता ने।
कांग्रेस ने हिंदुओं का विश्वास खोया
हिंदुओं का विश्वास कांग्रेस तब ही खो बैठी थी जब पार्टी ने सुनील जाखड़ के स्थान पर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया था। चुनाव के दौरान सुनील जाखड़ लगातार इस मुद्दे को उठाते रहे कि जिन्हें 41 वोट पड़े वह मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। जिन्हें तीन वोट पड़े वह मुख्यमंत्री बन गया। चुनाव के दौरान ही सुनील जाखड़ द्वारा सक्रिय राजनीति से खुद को अलग करना से भी हिंदू कांग्रेस से दूर होता रहा।
कांग्रेस की हार में यह रहे विलेन
हरीश रावत: आशा कुमारी को पंजाब प्रभारी पद से हटाने के बाद कांग्रेस ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को प्रदेश प्रभारी की कमान दी। रावत के पंजाब आते ही कांग्रेस की अंतरकलह की शुरूआत हुई। कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस की सक्रिय राजनीति से दूर चल रहे नवजोत सिंह सिद्धू को रावत ने हवा दी। जिसके बाद सिद्धू ने कैप्टन के खिलाफ ट्वीट वार शुरू किया।
धीरे-धीरे कैबिनेट मंत्री भी कैप्टन को पद से हटाने के लिए बगावत पर उतर आये। अंततः कैप्टन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और मुख्यमंत्री की कमान चरणजीत सिंह चन्नी ने संभाली।
पार्टी हाईकमान कैप्टन को मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए इतने अमादा थे कि उन्होंने पार्टी के अंदर उठते विद्रोह को संभालने की कोशिश ही नहीं की। जिसके कारण लोगों में कांग्रेस के प्रति सही संदेश नहीं गया।
नवजोत सिंह सिद्धू: सिद्धू ने पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ विद्रोह किया और बाद में वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में एसा शामिल हुए कि उन्होंने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ भी खुल कर बोलना शुरू कर दिया। सिद्धू खुल कर कहते थे के वह दर्शनीय घोड़ा नहीं बनेंगे और ईंट से ईंट बजा देंगे। चन्नी और सिद्धू की खींचतान कांग्रेस को ले डूबी।
चरणजीत सिंह चन्नी: मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने 111 दिनों की सरकार में सबसे ज्यादा फोकस अपनी पर्सनाल्टी डेवलपमेंट पर किया।
हरीश चौधरी: कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी चन्नी और सिद्धू के बीच की दूरी को कम नहीं कर पाए। वह हमेशा ही मुख्यमंत्री के साथ खड़े नजर आए। लगातार यह संकेत मिल रहे थे कि शहरी वोटबैंक कांग्रेस से दूर जा रहा है। हिंदू दूर हो रहा है लेकिन वह इसे संभालने में विफल साबित हुए।
आप की जीत के पांच प्रमुख कारण
1. आम आदमी पार्टी ने बहुत रणनीतिक तरीके से चुनाव लड़ा। पार्टी में अनुशासन दिखा।
2. आप में कांग्रेस की तरह नेतृत्व की लड़ाई नहीं दिखा। भगवंत मान सर्वमान्य चेहरा रहे।
3. लोग कांग्रेस व अकाली दल से उब चुके थे और वह कुछ नया (बदलाव) चाहते थे।
4. आम आदमी पार्टी के दिल्ली माडल से पंजाब के लोग प्रभावित दिखे।
5. केजरीवाल ने चुनाव की घोषणा से पहले ही पंजाब में डेरा डाला और लगभग सभी इलाकों का दौरा किया।