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छातर गांव में 150 दलित परिवारों का बहिष्कार, FIR वापस लेने के लिए बना रहे दबाव – ग्राउंड रिपोर्ट

जींद जिले के छातर गांव में पीछले करीब 21 दिन से खबर आ रही थी कि गांव में लगभग 150 दलित परिवारों का बहिष्कार किया गया है | इस खबर की पुष्टि के लिए 20 सदस्यों की फैक्ट चैक टीम वीरवार को गांव में पहुंची | टीम में अलग अलग जगह से 4 वकील 6
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छातर गांव में 150 दलित परिवारों का बहिष्कार, FIR वापस लेने के लिए बना रहे दबाव – ग्राउंड रिपोर्ट

जींद जिले के छातर गांव में पीछले करीब 21 दिन से खबर आ रही थी कि गांव  में लगभग 150 दलित परिवारों का बहिष्कार किया गया है | इस खबर की पुष्टि के लिए 20 सदस्यों की फैक्ट चैक टीम वीरवार को गांव में पहुंची | टीम में अलग अलग जगह से  4 वकील 6 छात्र 7 लोग अलग अलग सामाजिक संगठन से और 4 पत्रकार थे जिसमें HR Breaking News के पत्रकार भी शामिल थे |

छातर गांव में 150 दलित परिवारों का बहिष्कार, FIR वापस लेने के लिए बना रहे दबाव – ग्राउंड रिपोर्ट

शुरू में ही गांव में प्रवेश पर स्थित दुकान में जब इस मसले व रास्ते के बारे में पूछा गया तो व्यक्ति द्वारा ठीक से जवाब नहीं दिया गया और कहा कि आप मुझसे ना पूछे इस बारे में, 11 हजार का जुर्मना है | गांव का क्षेत्र कुछ हिस्सों में बंटा हुआ है जिन्हे सामर पट्टी, रमना पट्टी, सिंगारा पट्टी के नाम से जाना जाता है | उसमें भी अलग अलग बगड़ में पट्टी का हिस्सा बंटा हुआ है |

छातर गांव में 150 दलित परिवारों का बहिष्कार, FIR वापस लेने के लिए बना रहे दबाव – ग्राउंड रिपोर्ट

मांगू बगड़ में जब पहुँचे तो अमरदीप [ उम्र 33, सबमर्सिबल  मिस्त्री ] ने बताया कि घोघड़िया गांव में कब्बडी का टूर्नामेंट था जहाँ गांव के कई लोग गए थे उन्ही में गुरमीत भी था जिसके साथ वहाँ गांव के ही दूसरे लड़कों ने झगड़ा व मार पिटाई कर लिया जिनके साथ करीब 8 महीने पहले भी झगड़ा हुआ था और FIR भी हुई थी जो बाद में आपसी समझौते से कैंसिल कर दी गई थी और वह मसला वहीं निपट गया था | और उन्ही लोगों के द्वारा टूर्नामेंट में झगड़ा किया गया जिसके बाद गुरमीत ने झगडे के आधार पर FIR कर दी | कई लोगों के द्वारा गुरमीत को समझाकर FIR वापिस लेने की बात कही गई और इसी मसले पर पंचायत भी की गई जिसमें आरोपी पक्ष द्वारा माफी माँगी गई और पंचायत द्वारा गुरमीत पर FIR वापिस लेने के लिए दबाव बनाया लेकिन गुरमीत ने FIR वापिस लेने से मना कर दिया गया | जिस वजह से गांव की पंचायत ने गुरमीत के बगड़ व एक अन्य बगड़ जिसे मांगू बगड़ के नाम से जाना जाता है वहाँ रहने वाले सभी परिवारों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया जिसके तहत गांव का कोई व्यक्ति इन परिवार के लोगों को न तो दुकान से सामान, ना घरों से दूध दिया जा रहा है और ना ही आने जाने के लिए साधन में बैठा रहे हैं |

इन मोहौले के कुछ लोग जो सवारी ढ़ोने के साधन चलाते हैं उन्हें भी स्टैंड पर खड़े नहीं होने दिया जाता और जिन दुकानदारों की किराए पर दुकान थी उनसे दुकान खाली करवा ली गई है | और गांव में काम भी नहीं दिया जा रहा है |

छातर गांव में 150 दलित परिवारों का बहिष्कार, FIR वापस लेने के लिए बना रहे दबाव – ग्राउंड रिपोर्ट
Amardeep

मोहौले की ही मामो देवी [उम्र 40, मजदूर ] ने बताया कि उसे बहिष्कार के बारे में नहीं पता लेकिन  वह पहले गांव के खेतो में ही फसल चुगाई का काम करती थी लेकिन फ़िलहाल गांव में कोई काम नहीं दे रहा और जब पड़ोस के गांव में काम के लिए जाते हैं तो वहाँ जाकर भी गांव के लोग काम न देने की बात कहते हैं जिसके चलते अब काम के लिए उचाना जाते हैं वहां के जो किसान इन्हे खेत में मजदूरी के लिए लेने आते व छोड़ कर जाते हैं उन्हें भी मना किया जाता है | और 15 दिन से ज्यादा हो गए दुकानदार समान भी नहीं देते हैं |  

छातर गांव में 150 दलित परिवारों का बहिष्कार, FIR वापस लेने के लिए बना रहे दबाव – ग्राउंड रिपोर्ट
Tinku and Pooja

18 साल की पूजा जो 12वीं क्लास की छात्रा हैं ने बताया कि गांव के ही सरकारी स्कूल में वह पढ़ती है और आने जाने में किसी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ रहा है, लेकिन दुकान से समान नहीं मिलता है और उनके माता-पिता मजदूरी करते हैं उन्हें गांव के खेतो में काम नहीं दिया जा रहा | वहीं पर 23 साल के टिंकू साधन न मिलने के कारण करीब 20 दिन से आईटीआई में नहीं जा पा रहा हैं |

छातर गांव में 150 दलित परिवारों का बहिष्कार, FIR वापस लेने के लिए बना रहे दबाव – ग्राउंड रिपोर्ट
House of Kamla Devi

कमला देवी का मकान भी इसी मोहौले में है जिनके पति 2015 में CRPF में काम करते हुए शहीद हो गए थे उन्हें भी इस सामाजिक व आर्थिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है |

छातर गांव में 150 दलित परिवारों का बहिष्कार, FIR वापस लेने के लिए बना रहे दबाव – ग्राउंड रिपोर्ट
shopkeeper

आस पास के दुकानदारों का कहना है कि किसी तरह का बहिष्कार नहीं है सभी को समान दिया जा रहा है | वहीं पर राह चलते और गांव के बस स्टैंड के स्थित लोगों से बात करने पर उनकी जातिगत संकीर्ण सोच देखने को मिलती है | गांव के ही प्रदीप नाम के व्यक्ति का कहना है कि गांव में भाईचारे का माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही है “उन (गुरमीत व अन्य परिवार ) लोगों से कई बार माफ़ी भी मांगी गई और समझाया भी गया लेकिन वह समझौते को तैयार नहीं है इसलिए उन्हें भुगतना तो पड़ेगा ही, रहना तो गांव में ही है “| प्रदीप के साथ ही बैठे रणदीप नाम के व्यक्ति का कहना है कि “हमारे बुजुर्गों ने इनके सामने पगड़ी तक रख दी लेकिन वह (गुरमीत) मानने को तैयार नहीं है ये लोग ज्यादा ही हवा में उड़ रहे हैं और अब भी (सामाजिक और आर्थिक बंदी के बाद ) नहीं माने तो यहाँ मिर्चपुर से भी बड़ी घटना कर देंगे है मिर्चपुर वाले तो बच गए थे ये बचेंगे भी नहीं” |   

छातर गांव में 150 दलित परिवारों का बहिष्कार, FIR वापस लेने के लिए बना रहे दबाव – ग्राउंड रिपोर्ट
SI Ram Mehar

इस मामले पर प्रशासन में सब – इंस्पेक्टर राम मेहर ने बताया कि अब तक 23 लोगों के नाम पर FIR दर्ज की गई इस पूरे मसले पर और जल्द ही नामों की सही पहचान करके गिरफ्तारी की जाएगी | गांव में लगातार पुलिस जीप की पेट्रोलिंग होती है और बगड़ के दरवाजे पर 5 पुलिस कर्मी के 24 घंटे की ड्यूटी लगाई गयी है सुरक्षा के लिए | साथ ही SDM ने आश्वाशन दिया है कि आर्थिक असर को कम करने के लिए काम करने के इच्छुक लोगों को मनरेगा के तहत तुरंत प्रभाव से काम दिया जायेगा | और राशन की समस्या होने पर डिपो से राशन भी उपलब्ध करवाया जायेगा | स्वास्थ्य संबंधी परेशानी को देखते हुए मेडिकल कैंप भी लगा दिए गए हैं |

यह गांव उचाना हल्के में आता है और प्रदेश के उप मुख्यमंत्री इस विधानसभा सीट से विधायक है जिन्होंने ने अभी तक इलाके में स्थिति का जायजा नहीं लिया है |

 

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