Dhan Ki Kheti : किसान भाई ध्यान दें! धान की खेती के साथ करें ये खेती, कमाई होगी जबरदस्त
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HR Breaking News : नई दिल्ली : धान के खेत में अजोला की खेती की जाए तो मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी और पैदावार भी खरीफ फसलों की बुवाई का सीजन शुरू हो गया है।
इस मौसम में उगाई जाने वाली फसलों में धान खास महत्व रखता है. भारत में कई राज्यों में धान की खेती प्रमुख रूप से की जाती है। अक्सर किसान भाई ऐसा सोचते हैं कि ऐसा क्या किया जाए कि धान की खेती करने के लिए मिट्टी की उर्वरता बढ़ जाए। आज हम किसान भाइयों के लिए अजोला की खेती के बारे में जानकारी लेकर आए हैं।
हम किसान भाइयों को बताएंगे कि यदि धान के खेत में अजोला की खेती की जाए तो मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी और पैदावार भी। धान के खेत में अजोला की खेती सिद्ध होगी वरदान की तरह धान के लिए अजोला बहुत फायदेमंद है क्योंकि अजोला में अच्छी मात्रा में नाइट्रोजन होता है जिसे भूमि की उर्वरता बढ़ती है।
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अजोला फॉर्मिंग (Ajola Farming) के फायदे
-यह रासायनिक खाद का काम करता है.
-इससे धान में खतरनाक रसायनों का प्रयोग कम होता है और लागत भी कम होती है .
-दुधारू पशुओं के लिए उपयोगी है. अजोला सिर्फ मिट्टी की उर्वरा शक्ति ही नहीं बनाता बल्कि यह दुधारू पशुओं के लिए अच्छा चारा भी है. इसे खाने से पशुओं के दूध में वृद्धि होती है।
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ये है अजोला
अजोला एक जलीय प्रकार का जलीय फ़र्न है और यह समशीतोष्ण किस्म की जलवायु में पाया जाता है. यह फ़र्न पानी पर एक हरे रंग की परत जैसा दिखता है . इसके निचले हिस्से में नीली हरी एल्गी (सायनोबैक्टीरिया) पाया जाता है। इसमें पाई जाने वाली नाइट्रोजन मिट्टी के लिए बहुत फायदेमंद होती है. क्या अजोला धान की फसल और मिट्टी की उर्वरा शक्ति दोनों दृष्टि से उपयोगी होता है। भारत में अजोला की सन्नाटा किस में पाई जाती है जो आसानी से गर्मी सहन कर लेती है।
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किस तरह उगाएं धान के खेत में अजोला
जानकारों के अनुसार अजोला को पानी से भरे हुए खेत में लगभग 2 सप्ताह के लिए अकेले ही उगाया जाता है. बाद में पानी को बाहर निकाल दिया जाता है और अजोला फ़र्न को धान की रोपाई से पहले खेत में मिला दिया जाता है. धान की रोपाई के सप्ताह भर बाद पानी से भरे खेत में अजोला का छिड़काव भी किया जा सकता है।
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अजोला बढ़ाता है भूमि की उर्वरता
यह वायुमंडल की कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन को कार्बोहाइड्रेट और अमोनिया में बदल देता है और जब इसका अपघटन हो जाता है तब फसल को नाइट्रोजन मिल जाती है. यह मिट्टी को जैविक कार्बन से समृद्ध करता है जो मिट्टी के पोषण के लिए काफी अच्छा होता है।
कई कहावतों को साबित करता है अजोला
अजोला सिर्फ भूमि की उर्वरता और धान का उत्पादन ही नहीं बढ़ाता बल्कि इसका उपयोग पशु आहार और मछलियों के लिए दिए जाने वाले आहार में भी किया जाता है. यह जैविक खाद बनाने के लिए तो उपयोगी है ही, इससे मच्छर रोधक क्रीम भी बनाई जाती है।
जानिए, खेती के लिए जरूरी बातें
इसकी खेती के लिए पीएच तापमान 5.5 से 7 के बीच होना जरूरी है.
यह भी ध्यान रखें कि वातावरण संक्रमण से मुक्त हो.
अजोला की नियमित कटाई भी जरूरी है।
अच्छी पैदावार के लिए लगभग 35 डिग्री सेल्सियस तापमान होना जरूरी है. यदि आपका क्षेत्र ठंडा है तो अजोला की क्यारी को प्लास्टिक की शीट से ढककर तापमान को नियंत्रित किया जा सकता है। अजोला को उगाने के लिए ऐसे स्थान का चयन होना जरूरी है जहां सूरज की पर्याप्त रोशनी आती हो. छाया वाली जगह अजोला के लिए ज्यादा फायदेमंद नहीं है. धान के साथ अजोला की खेती करके किसान भाई मिट्टी की उर्वरता और पैदावार दोनों में वृद्धि कर सकते हैं. इसके साथ ही उन्हें पशुओं के लिए चारा भी आसानी से उपलब्ध हो जाएगा।