home page

Diwali Gift To Farmers : सरकार के इस फैसले से किसान हो गए खुश, सरकार ने बढ़ा दिए फसलों के दाम

दिवाली के मौके पर सरकार ने किसानों को खुश कर दिया है क्योंकि सरकार ने फसलों के दाम बढ़ा दिए हैं जिसे किसान बहुत खुश हैं।  आइये जानते हैं कितने बढ़े है दाम।  
 | 

HR Breaking News, New Delhi : मोदी सरकार ने किसानों के खाते में पीएम किसान योजना के पैसे ट्रांसफर किए और उसके अगले ही दिन सरकार ने किसानों को दिवाली से पहले एक और सौगात दी है. केंद्र की अगुवाई वाली मोदी सरकार ने 2023-24 के रबी सीजन के लिए रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मुल्य में बढ़ोतरी करने का एलान किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट के आर्थिक मामलों की कमिटी की बैठक में MSP बढ़ाने पर मुहर लग गई है.


आने वाले रबी सीजन के लिए सरकार ने गेंहू की MSP में 110 रुपये की बढ़ोतरी कर उसे 2015 रुपये से बढ़ाकर 2125 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है. चना के MSP में भी 110 रुपये की बढ़ोतरी की गई है और इसे बढ़ाकर 5230 रुपये से बढ़ाकर 5335 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. सरकार ने सबसे ज्यादा मसूर की MSP बढ़ाई है. मसूर के MSP में 500 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है. मसूर की MSP 5500 रुपये से बढ़कर 6000 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. रेपसीड ( सफेद सरसों) और पीली सरसों की MSP 400 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 5050 रुपये से बढ़ाकर 5450 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है. सैफ फ्लावर के MSP में 209 रुपये का इजाफा किया गया है. सैफ फ्लावर की MSP 5441 रुपये से बढ़कर 5650 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. बार्ली के MSP को 100 रुपये बढ़ाया गया है और इसे 1635 रुपये से बढ़ाकर 1735 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. 


सरकार का दावा कि रबी फसलों के MSP में की गई बढ़ोतरी 2018-19 के आम बजट में उत्पादन लागत के डेढ़ गुना MSP देने के घोषणा के अनुरूप है. सरकार का दावा है कि रेपसीड और सरसों पर 104 फीसदी का रिटर्न मिलेगा. गेंहू पर 100 फीसदी, मसूल पर 85 फीसदी, 66 फीसदी चना पर, सैफ फ्लावर पर 50 फीसदी और बार्ली पर 60 फीसदी का रिटर्न मिल रहा है.


कृषि ऑयल सीड्स और दालों के उत्पादन को बढ़ाने पर सरकार को लगातार फोकस रहा है और उसके बेहतर नतीजे भी देखने को मिले हैं. ऑयल सीड्स का उत्पादन 2014-15 में 27.51 मिलियन टन से बढ़ाकर 2021-22  में 37.70 मिलियन टन करने में सफलता मिली है. दालों के उत्पादन को भी बढ़ाने में कामयाबी हासिल हुई है.