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Mixed Farming: किसान ने एक ही खेत में लगाएं 11 तरीके के फल - सब्जी, मालामाल हुआ किसान

Mixed Farming: जब कोई किसान एक ही जमीन में कई तरह की खेती एक साथ करता है तो उसे मिश्रित खेती कहते हैं। वहीं अगर कोई किसान ये सब नेचुरल फार्मिंग (Natural Farming) के जरिए करता है तो उसकी कमाई और बढ़ जाती है, क्योंकि लागत और कम हो जाती है। वहीं मिश्रित खेती से कमाई दोगुनी से लेकर चौगुनी तक या उससे भी अधिक हो सकती है। आइए समझते हैं इसे और जानते हैं कैसे कुछ किसान इससे मोटी कमाई (Earning By Mixed Farming) कर रहे हैं।
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HR Breaking News, नई दिल्ली: नेचुरल फार्मिंग (Natural Farming) कितनी फायदेमंद हो सकती है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इससे किसानों की बाजार पर निर्भरता ही खत्म हो जाती है। उन्हें ना तो बाजार से कोई उर्वरक खरीदना पड़ता है, ना ही किसी तरह का कीटनाशक खरीदना पड़ता है। बहुत से किसान तो बीज के लिए भी बाजार पर निर्भर नहीं हैं।

 

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वहीं कई किसानों ने साथ मिलकर कुछ ग्रुप बना लिए हैं, जिसके चलते मंडी से भी उनकी निर्भरता खत्म हो गई है और वह सीधे ग्राहकों को फल और सब्जियां बेच रहे हैं। इन सब से तो किसानो की कमाई दोगुनी हो गई है, लेकिन मिश्रित फार्मिंग (Mixed Farming) से उनकी आय 4-5 गुनी तक हो गई (Earning By Mixed Farming) है।

 

मिश्रित खेती कर रहे किसान

मिश्रित खेती कर रहे किसान
 

नागपुर से करीब 60 किलोमीटर दूर वर्धा में किसान ना केवल नेचुरल फार्मिंग पर जोर दे रहे हैं, बल्कि वह मिश्रित खेती भी कर रहे हैं। इसमें उनकी हरसंभव मदद कर रहा है कमलनयन जमनालाल बजाज फाउंडेशन, जो किसानों को मिश्रित खेती और नेचुरल फार्मिंग सिखा रहा है।

मिश्रित खेती में किसान एक जमीन पर सिर्फ एक फसल नहीं उगाते, बल्कि कई तरह की फसल उगाते हैं। वह जिस जमीन पर फलों के पेड़ लगा रहे हैं, उसी जमीन पर कई तरह की सब्जियां भी उगा रहे हैं।

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एक ही खेत में 10 तरीके के फल और सब्जियां, शहद अलग से

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वर्धा के एक किसान सतीश मिश्रित खेती कर के खूब पैसा कमा रहे हैं। उन्होंने करीब पौन एकड़ जगह में मिश्रित खेती का मॉडल तैयार किया है। इसमें उन्होंने 10 तरीके के फल और सब्जियां लगाई हैं। इनमें संतरा, मौसंबी, अमरूद, पपीता, चीकू और ड्रैगन फ्रूट जैसे फल हैं।

साथ ही टमाटर, पालक, करेला और पत्ता गोभी जैसी सब्जियां भी हैं। वहीं कई पेड़ों पर छोटी मधुमक्खी के पालन का काम भी हो रहा है, जिनमें मिलने वाले शहद से अतिरिक्त कमाई होती है। इस पूरे खेत में फलों के करीब 80 पेड़ लगे हैं।

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पूरे साल आती रहती है इनकम

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मिश्रित खेती का सबसे बड़ा फायदा ये है कि किसान को कमाई के लिए महीनों का इंतजार नहीं करना होता। जब फलों का सीजन होता है तो वह थोड़े-थोड़े फल बेच-बेच कर हर हफ्ते कुछ ना कुछ कमाता है।

वहीं जब फल नहीं होते तो सब्जियां उसके लिए आए दिन कुछ न कुछ पैसों का इंतजाम करती रहती हैं। वहीं ये किसान सीधे ग्राहकों को सामान बेचते हैं और नेचुरल फार्मिंग करते हैं, ऐसे में उन्हें अच्छा दाम मिलता है। मंडी में बेचने पर दाम भी कम मिलता है और एक ही बार बहुत सारी चीजें बेचनी होती हैं।

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यूं समझिए कमाई का गणित

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सतीश बताते हैं कि पहले वह पौन एकड़ के इस टुकड़े में कपास लगाते थे, जिससे वह सारे खर्च काटने के बाद सालाना 22-25 हजार रुपये तक की कमाई कर पाते थे। अब वह उसी खेत में मिश्रित खेती कर रहे हैं, जिससे एक से सवा लाख रुपये तक की कमाई होती है। वहीं शहद से भी कुछ न कुछ कमाई हो जाती है। यानी उनकी आमदनी पहले की तुलना में 4-5 गुना तक हो गई है, जो उनका जीवन बेहतर बना रही है।