Hisar Mandi Update हिसार मंडी में 21 मार्च से शुरू होगी सरसों की सरकारी खरीद, जानिए कितना मिलेगा भाव
HR Breaking News, हिसार ब्यूरो, हिसार की अनाज मंडियों में फसलों की 21 मार्च से सरकारी खरीद शुरू होगी। इस बार सरकारी खरीद में आवक कम होने की संभावना है। अभी तक मंडियों में सफाई व्यवस्था न के बराबर है और शेड भी खाली नहीं है। इससे किसानों को फसल रखने में परेशानी होगी। अब मंडियों में सरकारी खरीद में फसल की बिक्री होना मुश्किल है, क्योंकि सरकारी व निजी भाव में काफी अंतर है।
किसान नहीं करते सरकारी खरीद का इंतजार
मंडी में हैफेड सरकारी खरीद कर रहा है। मगर व्यापारी किसानों को अधिक भाव देकर लुभा रहे है। इस समय देश व बाहरी जगह पर सरसों फसल की मांग भी है। इन दिनों मंडी में कुछ किसान फसल लेकर आना शुरू हो गए है। जिले में कुछ हिस्सों में फसल आनी शुरू हो गई है। मंडी में आते ही किसान भी सीधा व्यापारियों को बेचते है। सरकारी खरीद का इंतजार भी नहीं करते।
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पिछले साल से कम होगी आवक
इसका नुकसान हैफेड को होगा, क्योंकि इस बार पहले से कम आवक होगी। पिछले साल एक लाख 29 हजार 30 क्विंटल सरसों फसल की आवक हुई थी। भाव भी व्यापारियों की अपेक्षा ठीक था। कारण है कि कोविड काल से सरसों तेल की मांग बाजार में बढ़ी है। इसलिए फसल के भाव में बढ़ाेतरी हुई है।
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यह है रेट में अंतर
सरसों का सरकारी रेट 5050 है और निजी भाव में व्यापारी 6 हजार से 6800 रुपये तक फसल का भाव देते है। चना का 5230 व गेहूं का 2015 सरकारी रेट है और व्यापारियों का चने का भाव पांच हजार से 5200 व गेहूं का पांच हजार से 5200 रुपये भाव है। चने की फसल बिक्री के लिए सरकारी रेट पर हो सकती है, क्योंकि व्यापारी चने का भाव कम लगाते है।
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पैसे मिलते है नकद
किसान भी भाव के चक्कर में सरकारी के बजाय व्यापारियों को सीधा फसल बेचते है। एक उनको फसल के रुपये भी नकद मिलते है। वरना सरकारी रेट पर बेचने के बाद महीने बाद खाते में पैसे आते है। कई दिन तक इंतजार करना पड़ता है।
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इन ब्लाक पर कितने पंजीकरण
आदमपुर - 5441
बालसमंद - 3018
बरवाला - 4951
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बास - 2201
हांसी - 7449
खेड़ी जालब - 2365
नारनौंद - 2326
उकलाना - 3848
हिसार - 12024
अधिकारी के अनुसार
मंडी प्रशासन का कहना है कि सफाई व्यवस्था से लेकर किसानों के लिए मंडी में वाटर कूलर भी दूरस्त करवाए जा रहे है। मंडी में सड़कों की मरम्मत भी करवा रही है। व्यापारियाें को भी तिरपाल या अन्य व्यवस्था के प्रबंध के आदेश दिए गए है, ताकि बारिश में फसल खराब ना हो।