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Cheapest Cashew: यहां सड़कों के किनारे बिकते हैं काजू बादाम, आलू प्यार के बराबर रेट

आज हम आपको एक ऐसी मार्किट के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ पर इतने महंगे महंगे ड्राई फ्रूट जैसे काजू, बादाम कौड़ियों के दाम बिकते हैं और यहां से ही पूरे देश में Supply होता है।  आइये जानते हैं इस मार्किट के बारे में 
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 HR Breaking News, New Delhi : यह तो हम सभी जानते हैं कि ड्राई फ्रूट्स का सेवन करना हमारे लिए कितना फायदेमंद होता है। लेकिन बेचारा गरीब आदमी सिर्फ इसी वजह से ड्राई फ्रूट नहीं खाता, क्योंकि इसकी कीमत बहुत ज्यादा होती है। लेकिन अब आपको ड्राई फ्रूट के लिए हजारों रुपए देने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि हम आपको बताते हैं एक ऐसी जगह जहां पर आलू प्याज के दाम पर काजू मिलता है और लोग यहां पर सड़कों के किनारे ही इसे खरीद सकते हैं।

कौड़ियों के दाम पर मिलते हैं काजू
दरअसल, भारत के झारखंड में काजू का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है यहां काजू के उत्पादन के लिए 12 हेक्टेयर जमीन का उपयोग किया जाता है और यहां कम से कम 5 टन काजू होता है। 2013 में 1.01 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में खेती करके 0.75 मिलियन टन उत्पादन के साथ दुनिया में झारखंड कच्चे काजू उत्पादन का सबसे बड़ा राज्य बना था। यहां पर पूर्व और पश्चिम सिंहभूम, सरायकेला, जामताड़ा, पाकुड़ दुमका और देवघर में काजू की खेती बंपर होती है।

सड़क किनारे आलू प्याज के भाव में मिलता है काजू

झारखंड की इन जगहों पर लोग सड़कों के किनारे काजू बेचते हैं, जैसे मानों आलू प्याज और टमाटर बिक रहे हो। यहां के जामताड़ा और नाला गांव में 50 एकड़ जमीन पर काजू की खेती की जाती है। इसी कारण इस जगह को काजू नगरी भी कहा जाता है। कहा जाता है कि झारखंड की जलवायु और मिट्टी काजू की खेती के लिए बेहतरीन है। यहां 1990 से काजू की खेती हो रही है।

क्यों मिलते हैं सस्ते काजू

अब सवाल है कि काजू का रेट तो ₹700 से लेकर 1200 रुपए प्रति किलो तक का होता है, फिर यहां पर इतने कम दाम के काजू क्यों मिलते हैं? दरअसल जिन इलाकों में काजू की खेती होती है वहां पर कोई प्रोसेसिंग प्लांट नहीं है, इसलिए यहां के किसान फलों से काजू नहीं निकाल पाते हैं। यही कारण है कि यहां के लोग बहुत कम दाम में 20-30 या 40 रुपए प्रति किलो में काजू के फल को बेचते हैं, जहां से व्यापारी थोक के भाव में काजू खरीदते हैं और प्रोसेसिंग प्लांट में फल से काजू को निकाल कर उन्हें महंगे महंगे दामों में बाजारों में बेचते हैं।