home page

Employee Update - कर्मचारियों के खिलाफ हुई सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

कर्मचारियों के लिए सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला सामने आया है। जिसके चलते सरकार ने कर्मचारियों को फटकार लगाते हुए याचिका की सुनवाई खारिज की है। आइए नीचे खबर में जानते है इससे जुड़ी पूरी जानकारी। 

 | 
Employee Update - कर्मचारियों के खिलाफ हुई सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

HR Breaking News, Digital Desk- मद्रास हाई कोर्ट ने स्कूल के एक सफाई कर्मचारी को नियमित कर्मचारी के तौर पर लाभ देने का फैसला सुनाया था. जिसके खिलाफ तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा.

इस मामले में सुनवाई चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस जेबी पारदीवाला कर रहे थे. इन्होंने अपील को खारिज करते हुए टिप्पणी की है कि वह कोर्ट ऐसी याचिका की सुनवाई नहीं करेगा जिसमें राज्य सरकार एक ‘सफाई कर्मचारी’ के खिलाफ है.

यह समाज का निम्न स्तर-


जब यह केस सुप्रीम कोर्ट में सामने आया तो सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘एक व्यक्ति ने स्कूल की 22 सालों तक सेवा की. और यह 22 साल पूरे होने के बाद वह युवक बिना ग्रुच्युटी और पेंशन के घर जाए… यह हमारी सोसायटी का सबसे निम्न स्तर है. आखिर कैसे सरकार एक गरीब स्वीपर के खिलाफ जा सकती है. यह एक सफाई कर्मचारी के खिलाफ सरकार के होने जैसा है. सॉरी हम इसे खारिज कर रहे हैं.’

22 सालों तक रहा पार्ट टाइम कर्मचारी-


एक व्यक्ति सरकारी हायर सेकंडरी स्कूल में स्वीपर की पोस्ट पर पार्ट टाइम काम कर रहा था. यहां इस व्यक्ति ने 22 सालों तक लगातार काम किया. इस पर राज्य सरकार ने यह तर्क दिया था कि नई भर्ती के अभाव में व्यक्ति को नियमित कर्मचारी के लाभ नहीं दिए जा सकते हैं. जबकि वह व्यक्ति सिर्फ एक पार्ट टाइम कर्मचारी था.


मद्रास हाईकोर्ट का व्यू-
इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने इस पर एक आदेश जारी किया था कि, ‘एक स्कूल जहां पर हजारों बच्चों के स्वास्थ्य और स्वच्छता की देखरेख पार्ट टाइम कर्मचारी वो भी सिर्फ एक स्वीपर के साथ की जा रही है, हम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते. हालांकि इस मामले में राज्य सरकार नियुक्तियों के लिए योजना लेकर आ रही है. हम इस मामले में किसी तरह का हस्तक्षेप करने के मूड में नहीं है, लेकिन आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ऐसी संस्थाओं में किसी एक व्यक्ति के लिए पद होना चाहिए.’