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Farming Tips सोशल मीडिया से सीखकर शुरू की खेती, अब कंपनी खरीदारों की लगी रहती है लाइन

Best Farming tips कहते है लगन अगर सच्ची हो तो मजिंल हासिल करना कोई बड़ी बात नहीं है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है एक किसान ने। जिन्होंने सोशल मीडिया से सीखकर खेती शुरू करके अपनी अलग पहचान कायम की है। अब हॉल में किसान के पास कंपनी खरीददारों की लाइन लगी रहती है। 
 
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Farming Tips सोशल मीडिया से सीखकर शुरू की खेती, अब कंपनी खरीददारों की लगी रहती है लाइन

HR Breaking News, डिजिटल डेस्क नई दिल्ली, श्रीगंगानगर के पन्नीवाला जाटान गांव के रहने वाले 12वीं पास किसान गोपाल सिहाग 10 साल से मूंग, ग्वार और सरसों जैसी ट्रेडिशनल खेती कर रहे थे। कमाई भी कुछ खास नहीं थी। दो साल पहले एक दोस्त के खेत में गए। वहां अंजीर की खेती के बारे में पता चला। दोस्त ने बताया इससे 5 गुना तक मुनाफा कमाया जा सकता है।

 

गोपाल सिहाग ने तय किया- अंजीर की खेती करेंगे। एग्रीकल्चर एक्सपर्ट से बात कर तरीका सीखा, लेकिन सबसे बड़ी चिंता इस बात की थी कि इसे बेचेंगे कैसे?

इस सवाल का जवाब मिला सोशल मीडिया से। गोपाल ने बताया कि एक बार वह सोशल मीडिया पर वीडियो देख रहे थे। एक वीडियो में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के बारे में बताया जा रहा था।

पता चला कई कंपनी खेत से सीधे फ्रूट खरीदती है। इसी को देखते हुए अंजीर की खेती शुरू की। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए पहली बार में 4 लाख से ज्यादा का मुनाफा कमा चुके हैं। उन्हें उम्मीद है कि इस बार दूसरी क्राॅप से वे 22 लाख रुपए तक का प्रॉफिट कमाएंगे।
एक पौधे पर 300 रुपए तक का मेंटेनेंस

अंजीर की खेती दूसरे फ्रूट की खेती से थोड़ी महंगी है। लेबर, ऑर्गेनिक खाद, स्प्रिंकलर सिस्टम, ड्रिप इरिगेशन आदि का खर्चा ज्यादा होता है। ऐसे में एक पौधे पर करीब 300 रुपए का मेंटेनेंस आता है। लेकिन, प्रोडक्शन बढ़ने के साथ आय भी बढ़ती जाती है।

श्रीगंगानगर की जलवायु में प्रोडक्शन संभव
उपनिदेशक कृषि विस्तार डॉ.मिलिंद सिंह ने बताया कि श्रीगंगानगर की जलवायु में अंजीर का प्रोडक्शन संभव है। अंजीर के लिए गर्म जलवायु चाहिए जो यहां है। इलाके में सर्दी भी तेज पड़ती है, लेकिन सर्दी आने तक अंजीर का फल पक जाता है और कांट्रेक्ट फार्मिंग कंपनी इसे खरीद लेती है।

 

अंजीर के फल 45 से 50 दिन में पककर तैयार हो जाते हैं। ऐसे में किसान को भी काेई नुकसान नहीं होता। उनका कहना है कि प्रोसेसिंग यूनिट लग जाए तो यह किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है।


फ्रूट पकने के बाद सीधे खेतों से होते हैं सप्लाई
गोपाल सिहाग ने बताया कि कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग के जरिए यहां के किसानों को बड़ी राहत मिली है। पहले सबसे बड़ी परेशानी यह थी कि फसल तैयार करने के बाद खेतों में या पौधों पर लंबे समय तक यह फ्रूट नहीं रह पाता है।

अंजीर का फल तोड़ने के बाद इसे बेचना जरूरी होता है। फल पकने के बाद कंपनी का व्हीकल खेतों से ही फ्रूट कलेक्ट करता है। वे इसे ले जाकर फाइनल प्रोडक्ट तैयार करते हैं। इसके लिए कंपनी के प्लांट में ड्रायर में फ्रूट्स काे सुखाकर हल्का प्रेस किया जाता है, इसके बाद पैकिंग की जाती है।


6 बीघा में अंजीर की खेती
गोपाल सिहाग के पास 28 बीघा जमीन है। 6 बीघा में अंजीर के पेड़ लगाए हैं। वहीं 15 बीघा में मूंग, ग्वार और सरसों की फसल ले रहे हैं। इससे डेढ़ लाख रुपए की इनकम हुई है। इस साल सरसों से 7 बीघा में ढाई लाख रुपए और मूंग से 1 लाख व ग्वार से 50 हजार रुपए मिले।