हरियाणा में आएगी लैंड लीज पालिसी, उद्योगों को मिलेगी सस्ती जमीन
हरियाणा में नए उद्योगों के लिए सस्ती जमीन की जरूरत जल्द पूरी होने वाली है। प्रदेश सरकार ने पंचायत लैंड लीज पालिसी लगभग तैयार कर ली है। इस पालिसी के तहत गांवों की आधी पंचायती जमीन को नए उद्योग स्थापित करने के लिए 33 साल की लीज पर दिया जाएगा। आधी जमीन पंचायतें अपने जरूरी कार्यों और नई विकास परियोजनाओं के लिए इस्तेमाल कर सकेंगी।
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हालांकि उद्योगों को दी जाने वाली आधी जमीन के बावजूद समस्त जमीन की मालिक पंचायतें ही होंगी। लीज पर दी जाने वाली जमीन से प्रदेश सरकार को जितना राजस्व हासिल होगा, उसका एक बड़ा हिस्सा पंचायतों को विकास कार्यों के लिए दिया जाएगा।
हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने पंचायत लैंड लीड पालिसी का खाका लगभग तैयार कर लिया है। नए पंचायत एवं विकास मंत्री देवेंद्र सिंह बबली और विभागीय अधिकारियों के साथ इस पालिसी के पूरे प्रारूप पर फाइनल चर्चा हो चुकी है। उम्मीद की जा रही है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा मार्च में पेश किए जाने वाले बजट में पंचायत लैंड लीज पालिसी को घोषित किया जा सकता है।
प्रदेश सरकार साथ-साथ लैंड पूलिंग पालिसी पर भी गंभीरता से मंथन कर रही है। हरियाणा के प्रत्येक ब्लाक से एक-एक प्रोडक्ट को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने 'पदमा' नाम से पहल की है। इससे राज्य में ग्रामीण लघु और कुटीर उद्योगों की किस्मत बदल सकती है।
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हरियाणा में एमएसएमइ (सूक्ष्म, लघु और मध्यम श्रेणी के उद्योग) को बढ़ावा देने के लिए सरकार लैंड पूलिंग के तहत प्रत्येक ब्लाक में करीब 50 एकड़ जमीन जुटाएगी। राज्य में 90 ब्लाक हैं। इसके लिए करीब साढ़े चार हजार एकड़ जमीन की जरूरत पड़ेगी। आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और गुजरात में यह पालिसी बढ़िया तरीके से अमल में लाई जा रही है।
उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का मानना है कि पंचायत लैंड लीज पालिसी और लैंड पूलिंग पालिसी न केवल पंचायतों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने वाली साबित होगी, बल्कि गांवों के विकास के द्वार खोलते हुए पूरे देहात में नए उद्योग स्थापित करने में मदद मिलेगी। इससे क्षेत्रीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
पंचायत लैंड लीज पालिसी में प्रविधान किया गया है कि यदि किसी पंचायत के पास 500 एकड़ जमीन है तो उसमें से 250 एकड़ जमीन ही नए उद्योगों के लिए लीज पर दी जाएगी। 250 एकड़ जमीन पर पंचायतें अपने काम कर सकेंगी। प्रदेश सरकार द्वारा घोषित अन्य विकास परियोजनाओं के स्थापित होने में भी यह जमीन काम आएगी। राज्य सरकार इसके लिए जल्द ही पंचायती राज कानून में संशोधन करने जा रही है।
पहले चरण में सरकार ने 158 ऐसे गांवों का चयन किया है, जिनके पास 500 एकड़ और इससे अधिक पंचायती जमीन है। योजना को सिरे चढ़ाने में तीन विभागों की अहम भूमिका होगी। इनमें उद्योग एवं वाणिज्य, विकास एवं पंचायत तथा राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग शामिल हैं। पंचायतों के पास बड़ी संख्या में ऐसी जमीन भी है, जो बंजर है और किसी उपयोग में नहीं लाई जा रही।
चायत लैंड लीज पालिसी के तहत नए उद्योग स्थापित करने के लिए शुरुआत में उन गांवों को प्राथमिकता की जाएगी, जिनकी पंचायती जमीन नेशनल या स्टेट हाईवे पर लगती है। इसका फायदा यह होगा कि उद्योगों को बेहतर ट्रांसपोर्ट सेवाएं उपलब्ध हो सकेंगी। सरकार को भी इन्फ्रास्ट्रक्चर पर कम पैसा खर्च करना पड़ेगा।
इसके बाद जिलों की सडक़ों पर लगती जमीन में उद्योग-धंधे स्थापित करने पर जोर रहेगा। पंचायती जमीन पर इंडस्ट्री लगाने के मामले में पहली शर्त तो यही होगी कि बेकार जमीन पर ही औद्योगिक क्षेत्र विकसित होंगे। हर वर्ष लीज मनी में भी बढ़ोतरी संभव है।