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Law Change : केंद्र सरकार इस कानून में करने जा रही बदलाव, घर खरीदारों को होगा फायदा

केंद्र सरकार एक कानून में बदलाव करने जा रही है। जिसके तहत घर खरीदारों को फायदा होगा। इसमें आम घर खरीदारों के हितों के देखभाल सहित कॉरपोरेट इंसॉल्वेंसी की प्रक्रिया को तेज और असरदार बनाने के सुझाव हैं।
 
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HR Breaking News, Digital Desk- कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय ने Insolvency and Bankruptcy Code में बदलाव का प्रस्ताव दिया है. इस मामले पर 7 फरवरी तक सुझाव मांगे गए हैं. इसमें आम घर खरीदारों के हितों के देखभाल सहित कॉरपोरेट इंसॉल्वेंसी की प्रक्रिया को तेज और असरदार बनाने के सुझाव हैं. कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय ने IBC में बदलाव के लिए डिसक्शन पेपर जारी किया है. यह प्रस्ताव घर खरीदने वालों के लिए बढ़िया साबित हो सकता है.

इसके तहत रियल एस्टेट कंपनियों (Real Estate Companies Bankrupcies) के लिए प्रोजेक्ट संबंधी इंसॉल्वेंसी प्रकिया (Insolvency Process) होगी, न कि पूरी कंपनी पर केस चलेगा. पूरी कंपनी IBC के दायरे में आने से बाकी घर खरीदारों के हितों को नुकसान होता है. एक ही कॉरपोरेट डेटर की अलग अलग संपत्तियों के लिए अलग अलग रेजोल्यूशन प्लान दिया गया है, जिससे लिक्विडेशन का खतरा टलेगा. एक्ट में इस बदलाव से कई तरह के फायदे होंगे.

Insolvency Process Hearing: सुनवाई में तेजी आएगी- 


सुनवाई में तेजी के लिए कॉमन इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म विकसित करने का प्रस्ताव है. इंसॉल्वेंसी अर्जी के समय ही इनफॉर्मेशन यूटिलिटी से डिफाल्ट की पुष्टि का प्रस्ताव, जिस केस में डिफाल्ट पहले ही साबित उनमें में इंसॉल्वेंसी मंजूर करना जरूरी होगा. बेवजह अड़ंगे लगाने वाली अर्जियों पर NCLT के पास जुर्माने के अधिकार का प्रस्ताव दिया गया है. इसमें कम से कम रोजाना 1 लाख रुपये की पेनाल्टी लगाने का अधिकार देने का प्रस्ताव है. 

Fast Track Corporate Insolvency-


फास्ट ट्रैक कॉरपोरेट इंसॉल्वेंसी रेजोल्यूशन प्रोसेस की रीडिजाइनिंग का प्रस्ताव है.फास्ट ट्रैक प्रोसेस में फाइनेंशियल क्रेडिटर सारा प्रोसेस देखेंगे और अंत में NCLT से मंजूरी मिलेगी. फास्ट ट्रैक प्रोसेस के लिए कम से कम 66% फाइनेंशियल क्रेडिटर्स की मंजूरी की शर्त है. फास्ट ट्रैक में जरूरत होने पर फाइनेंशियल क्रेडिटर्स मोरेटोरियम की अर्जी दे सकेंगे.

कॉरपोरेट Debtor के साथ कॉरपोरेट गारंटर की संपत्तियां भी रेजोल्यूशन प्रोसेस में जोड़ने का प्रस्ताव है. मकसद ये है कि रेजोल्यूशन प्रोसेस में कोई अड़ंगा नहीं आए. प्री-पैकेज्ड इनसॉल्वेंसी के दायरे में MSME के अलावा दूसरे क्षेत्रों को भी लाने का प्रस्ताव रखा गया है. वॉलेंटरी इंसॉल्वेंसी अर्जी में प्रमोटर के IRP नियुक्ति का नियम हटाने की सिफारिश दी गई है.

Insolvency Resolution Plan: केंद्र को एडमिनिस्ट्रेटर की नियुक्ति का अधिकार- 


पब्लिक इंटरेस्ट वाले मामलों और कुप्रबंधन के मामलों में केंद्र सरकार के पास एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्ति का अधिकार होगा. इसके अलावा, वैल्यू मैक्सिमाइजेशन और देरी से बचने के लिए CoC को चैलेंज मैकेनिज्म का अधिकार होगा. कई बार रेजोल्यूशन प्लान की मंजूरी के बाद भी चुनौतियां देते हैं, जिससे देरी होती है.

रेजोल्यूशन प्लान की मंजूरी के बाद प्रोसेस की निगरानी के लिए मॉनिटरिंग कमेटी का सुझाव रखा गया है. इन्फॉरमेशन मेमोरेंडम में संपत्तियों के वैल्युएशन एस्टिमेट देने का भी सुझाव है.