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Parenting Tips- जुबान लड़ाने वाले बच्चों को सुधारने के लिए अपनाए ये टिप्स, सीधा हो जाएगा आपका बच्चा

आमतौर पर यह देखा जाता है कि कुछ बच्चें बहस बहुत ज्यादा करते है। जिनकी वजह से वे नापसंद बच्चों की गिनती में शामिल हो जाते है। इसके लिए हर मां-बाप की यही कोशिश रहती है कि वे अपने बहस करने वाले बच्चों के व्यवहार में सुधार ला सकें। आइए आज हम आपको बताते है कुछ ऐसे टिप्स जो इस तरह के बच्चों को संभालने और उनका व्यवहार बदलने में आपकी मदद करेंगे।
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 जुबान लड़ाने वाले बच्चों को सुधारने के लिए अपनाए ये टिप्स

HR Breaking News, Digital Desk- मां-बाप को जब बच्चे पलटकर जवाब देने लगें तो कई बार मां-बाप को समझ नहीं आता कि उनकी परवरिश में कहां चूक हो गयी। क्योंकि बच्चों का छोटी-छोटी बात पर बहस करना और तुनककर जवाब देने की आदत ना केवल उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है बल्कि, मां-बाप के लिए भी इस तरह के व्यवहार को बदलने में समय लग सकता है।

बच्चों को बहस करना, मां-बाप से लड़ना या अपनी बातें मनवाने के लिए जिद करने की आदतें बदलने के लिए इसके पीछे के कारणों को समझना चाहिए। दरअसल, इसमें कई बार मां-बाप अनजाने में गलती कर जाते हैं। जब बच्चे आपसे कोई सवाल पूछें और आपको उसकी जानकारी ना हो तो अक्सर यह होता है कि आप खीझकर उसे डांट देते हैं।

बच्चे आपकी इसी प्रतिक्रिया को देखकरयह समझ लेते हैं कि आपका व्यवहार उनके साथ ठीक नहीं और वे भी आपके साथ इसी तरह से बर्ताव करने लगते हैं। जाहिर है कि घर और बाहर लोगों से बहस करने वाले बच्चों को कोई पसंद नहीं करता और इसीलिए हर मां-बाप की यही कोशिश होती है कि वे अपने बहस करने वाले बच्चे का व्यवहार सुधार सकें। यहां हम लिख रहे हैं कुछ  पेरेंटिंग टिप्स जो इस तरह के बच्चों को संभालने और उनका व्यवहार बदलने में आपकी सहायता करेंगी।

बहस करने वाले बच्चों को इन तरीकों से समझाएं - 

पहले बच्चे की बात को समझें, बाद में दें प्रतिक्रिया -
अक्सर देखा जाता है कि बच्चा जिद करके मां-बाप से अपनी बात मनवाने की कोशिश करता है। वह बहाने बनाता है और अजीबोगरीब तर्क भी देता है कि मां-बाप उसकी बात किसी भी हाल में मान लें।

वहीं, दूसरी तरफ मां-बाप की कोशिश होती है कि बच्चे की हर जिद पूरी ना की जाए। इसीलिए वे अक्सर अपने बच्चों को डांट कर चुप करा देते हैं। बच्चे के विचार और उसकी बात ना सुनने की वजह से बच्चे अड़ियल बननेलगते हैं।

इसीलिए, जब भी बच्चा कोई बात आपके सामने रखे तो उसे सुनें। पूरी बात सुनने के बाद ही अपनी बात उससे कहें। इस तरीके से उसके तर्कपूर्ण विचारों को सुनने से उसका आत्मविश्वास बढ़ेगा और आपको भी अकारण उसे डांटने या उसकी भावनाओं को नजरअंदाज करने से बचने में मदद होगी।

अगर आपको कोई बात अच्छी नहीं लगती तो उसे गलत-सही का फर्क समझाएं और जब वह बात समझ जाए तो उसे इस बात के लिए शाबासी दें कि वह समझदारी से स्थिति को हैंडल करने में सहयोग कर रहा है।

बच्चों को दें कुछ ऑप्शन-


बच्चों की बात सुनने के बाद भी कुछ मां-बाप अपनी बात उनपर थोप देते हैं और बच्चे की बात नहीं मानते। इससे बच्चे के मन पर बुरा असर पड़ता है। बच्चे को जिस तरह आप बात करने का मौका दे रहे हैं उसी तरह उसके विचारों पर गौर करें। ऐसा ना करने से बच्चे चीखने-चिल्लाने लगते हैं।

इसीलिए बच्चों की बात सुनने के बाद उन्हें समझाएं कि वह जो करना चाहता है उसके बाद किस तरह की स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं और वे अपनी इच्छा को पूरी करने के लिए किस तरह के सही तरीके इस्तेमाल कर सकते हैं।

बच्चों को जब विकल्प मिलेंगे तो वे अपनी समझ और निर्णय क्षमता का भी इस्तेमाल करेंगे। इससे उन्हें उग्र होने या झगड़ा करने से भी रोका जा सकता है और अपने फैसले की जिम्मेदारी लेने के लिए उन्हें तैयार भी किया जा सकता है।