क्रिप्टोकरेंसी को लेकर RBI ने जारी किया बड़ा अपडेट, आपके लिए जानना जरूरी
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर आरबीआई ने बड़ा अपडेट जारी किया है। जिसके तहत आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है क्रिप्टो करेंसी को अगर नहीं रोका गया तो यह फाइनेंशियल क्राइसिस यानी वित्तीय संकट की वजह बन सकती है. आइए नीचे खबर में जानते है इनके बयान का विस्तार से।
HR Breaking News, Digital Desk- RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बड़ा बयान दिया है. उनका कहना है क्रिप्टो करेंसी को अगर नहीं रोका गया तो यह फाइनेंशियल क्राइसिस यानी वित्तीय संकट की वजह बन सकती है. उन्होंने BFSI समिट में कहा कि क्रिप्टो करेंसी को बैन कर देना चाहिए. यह सट्टेबाजी का जरिया.
बता दें कि आरबीआई गर्वनर बीते कई महीनों से क्रिप्टो करेंसी से लगातार आगाह करते रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि भारत में अंडरलाइंग इकोनॉमिक एक्टिविटी मजबूत बनी हुई है, लेकिन कुछ बाहरी फैक्टर्स अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
क्रिप्टो करेंसी की वैल्यू घटी-
आरबीआई गर्वनर ने कहा कि वित्तीय स्थिरता के लिए निजी क्रिप्टो करेंसी बेहद खतरनाक है. क्रिप्टो करेंसी के वैल्यूएशन का कोई आधार नहीं है और ये पूरी तरह अनुमान पर बेस्ड है. इससे देश की मैक्रो इकोनॉमिक कंडीशंस और फाइनेंशियल स्टेबिलिटी को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है.
उन्होंने डिजिटल रुपये को क्रिप्टो करेंसी से अलग बताया. शक्तिकांता दास ने कहा कि क्रिप्टो करेंसी की कुल वैल्यू नीचे गिरकर 140 बिलियन डॉलर तक आ गई है. उन्होंने आगे कहा कि निवेशकों के 40 बिलियन डॉलर स्वाहा हो चुके हैं.
बाहरी फैक्टर्स से इकोनॉमी पर असर-
शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआई 70 फास्ट मूविंग इंडीकेटर्स को ट्रैक करता है और उनमें से ज्यादातर “ग्रीन बॉक्स” में हैं. उन्होंने कहा कि कुछ एक्सटरनल फैक्टर के चलते सुस्त ग्रोथ की चिंता बनी हुई है. एक्सटरनल डिमांड र्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा. बता दें कि इस महीने की शुरुआत में, RBI ने FY23 के लिए अपने विकास अनुमान को पहले के 7 फीसदी से घटाकर 6.8 फीसदी कर दिया है.
फाइनेंशियल सेक्टर की स्थिति बेहतर-
दास ने कहा कि भारतीय फाइनेंशियल सेक्टर लचीला बना हुआ है और काफी बेहतर स्थिति में है. इस उपलब्धि के लिए रेगुलेटर और फाइनेंशियल सेक्टर प्लेयर दोनों को श्रेय जाता है. मॉनेटरी पॉलिसी महंगाई और विकास पर डोमेस्टिक फैक्टर्स द्वारा गाइड होती रहेगी, यूएस फेड के एक्शन पर भी नजर होगी. महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच ‘बेहद समन्वित दृष्टिकोण’ है.
डिपॉजिट और क्रेडिट ग्रोथ-
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि डिपॉजिट और क्रेडिट ग्रोथ के बीच पूर्ण रूप से कोई खास अंतर नहीं है, आधार प्रभाव दोनों के ग्रोथ आंकड़े को अलग-अलग बनाते हैं.
दास ने कहा कि 2 दिसंबर, 2022 तक, कुल संख्या में लोन ग्रोथ 19 लाख करोड़ रुपये थी, जबकि डिपॉजिट ग्रोथ 17.5 लाख करोड़ रुपये थी.