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Renters Update - किराए पर रहने वालों को अब नहीं होगी परेशानी, मकान मालिक की नहीं चलेगी मन मर्जी

अगर आप भी किराए के घर पर रह रहे है तो ये खबर आपके लिए है। दरअसल अब किराए पर रहने वालों लोगों को कोई परेशानी नहीं होगी। अब मकान मालक की नहीं मर्जी नहीं चलेगी। 

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HR Breaking News, Digital Desk- कई मकान मालिक ऐसे होते हैं जो किराया वक्त पर मिलने के वावजूद बात-बात पर किरायेदार को घर से निकाल देने की धमकी देते रहते हैं. वही कई ऐसे मकान मालिक होते हैं जो किरायेदार के घर आए मेहमानों के साथ भी तमीज से पेश नहीं आते हैं.

कुछ तो किरायेदार की गैरमौजूदी में रिपेयर कराने के बहाने घर में घुस जाते हैं. इन सबसे से किरायेदारों को काफी परेशानी होती है. लेकिन भारतीय कानून व्यवस्था में किरायेदार के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए कई प्रावधान किये गये हैं.

इन कानूनी प्रावधानों के बारे में केवल रेंट देने वाले को ही नहीं बल्कि रेंट पर मकान देने वालों को भी पता होना चाहिए-

आईपीसी (IPC) की धारा 339 (Wrongful Restraint): किसी भी व्यक्ति को ऐसी जगह जाने से रोकना जहां जाने का परमिट या अधिकार उसके पास है, कानूनन जुर्म है. किरायेदार और मकान मालिक के बीच जब रेंट एग्रीमेंट होता है तो इसी के साथ यह तय हो जाता है कि निश्चित अवधि के लिए किरायेदार का मकान के एक तय हिस्से पर हक होगा.

यानी जिस हिस्से को किराये पर दिया गया है, वहां मकान मालिक नहीं बल्कि वह व्यक्ति रहेगा जिसे किरायेदार की अनुमति मिली हो. ऐसे में किरायेदार के मेहमानों को घर में इंट्री ना देकर मकान मालिक जुर्म करते हैं.अगर किरायेदार या उसके मेहमान के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हो रही है, अगर वे कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं, तो किसी भी आधार पर कोई भी उनका आना-जाना नहीं रोक सकता. अगर मकान मालिक एसे करते हैं तो किरायादार उनके खिलाफ केस कर सकता है.


आईपीसी की धारा 340 (Wrongful Confinement): किसी को भी बंदी बनाना कानून जुर्म है. अगर मकान मालिक घर का मेन डोर लॉक कर दे और किरायेदार को उसकी दूसरी चाबी न दे, उसका कमरा बाहर से लॉक कर दे या एक तय समय के बाद घर से निकलने पर पांबदी लगा दे, तो उस मकान मालिक को एक महीने से लेकर एक साल तक की जेल हो सकती है.


आईपीसी की धारा 354-सी (Voyeurism): किरायेदार के घर के पास, खासकर महिला किरायेदार के घर के पास या घर में बिना उसकी अनुमति के कैमरा लगाना, जिससे उसकी निजता का हनन हो, कानूनन जुर्म है और इसके लिए तीन से सात साल की सजा और आर्थिक दंड का भी प्रावधान है.


पशुओं के प्रति क्रूरता रोकथाम अधिनियम (Prevention of Cruelty to Animals Act): इस अधिनियम के तहत अपार्टमेंट एसोसिएशन और रेसिडेंट वेलफेयर सोसाइटी के लिए जारी गाइडलाइन के अमुसार पालतू जानवरों पर किसी भी तरह की पांबदी नहीं लगायी जा सकती क्योंकि ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 51 (g) (Fundamental Duties) का उल्लंघन होगा. इसलिए किरायेदार को पालतू जानवर रखने से नहीं रोका जा सकता.


भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 (Right To Life and Personal Liberty): भारतीय सविंधान सभी नागरिकों को कानून के समक्ष समानता और कानूनों का समान संरक्षण उपलब्ध कराता है. अनुच्छेद 21 में स्पष्ट है कि किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन और स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता. इसलिए किरायेदार की गैरमौजूदगी या अनुमति के बिना उसके घर में दाखिल हो जाना "पर्सनल लिबर्टी" का हनन है.


यही नहीं, अगर रेंट अग्रीमेंट की अवधि पूरी नहीं हुई तो बिना नोटिस दिए मकान मालिक किरायेदार को घर से निकलने के लिए नहीं कह सकता. ऐसा करना न सिर्फ रेंट एग्रीमेंट का उल्लंघन होगा बल्कि इसे मानसिक प्रताड़ना भी माना जाएगा.