केंद्र सरकार ने जारी की लिस्ट, इन लोगों को नहीं देना होगा Toll Tax
HR Breaking News, Digital Desk- सड़कें किसी भी देश के विकास की जीवनरेखा होती हैं. सड़कें था राजमार्ग किसी भी देश की संपत्ति होती है. इसलिए इनका रखरखाव भी बहुत जरूरी होता है. जिस तरह हम देश की दूसरी संपत्ति का ध्यान रखते हैं, वैसे ही सड़को और राजमार्गों का भी रखते हैं. लेकिन देश के राजमार्गों और सड़को के रखरखाव के लिए हमें अधिक से अधिक संपत्ति का इसमें निवेश करना होता है.
सड़के इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती हैं क्योंकि इन्ही सड़को के माध्यम से लोग एक शहर से दूसरे शहर या एक नगर से दूसरे नगर आसानी ने आ जा सकते हैं. जब भी आप सड़क के रास्ते जाते हैं तो रास्ते में आने वाले टोल टैक्स पर जरूर रुकना पड़ता है. टोल टैक्स चुाकने पर ही आगे बढ़ने की इजाजत होती है. अब ये टोल टैक्स क्या होते हैं, क्यों लिए जाते हैं और इनके रेट कैसे तय होते हैं?
भारत में कब शुरू हुआ टोल टैक्स-
भारत में पहली बार टोल टैक्स की शुरूआत 1956 में हुई थी. इसकी शुरूआत THE NATIONAL HIGHWAYS ACT, 1956 ACT NO. 48 OF 1956 [11th September, 1956.] के अंतर्गत हुई थी. टोल टैक्स को आम भाषा में टोल भी कहा जाता है. यह एक प्रकार का शुल्क होता है जो किसी भी वाहन चालक को इंटरस्टेट एक्सप्रेसवे, नेशनल या स्टेट हाईवे पार करते हुए देना होता है.
ये हाईवे टोल रोड भी कहे जाते हैं और इनका पूरा प्रबंध नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) करता है. दो टोल बूथ के बीच की दूरी आमतौर पर 60 किमी होती है.
क्यों लिया जाता है टोल टैक्स-
टोल टैक्स का इस्तेमाल सड़कों के रखरखाव और निर्माण इत्यादि में किया जाता है. इस शुल्क के जरिए सरकार हाईवे और एक्सप्रेसवे निर्माण की योजना बनाती है और उनका रखरखाव करती है.
क्या रोड टैक्स और टोल टैक्स एक ही है?
अगर ये सवाल आपके भी मन में आता है तो यह जान लीजिए कि रोड टैक्स और टोल टैक्स दोनों अलग होते हैं. रोड टैक्स RTO द्वारा लिया जाता है जब आप एक ही राज्य में अलग-अलग सड़कों का इस्तेमाल करते हैं. जबकि टोल टैक्स इंटर स्टेट हाईवे का इस्तेमाल करने पर लिया जाता है.
NHAI ने तकनीक का इस्तेमाल करते हुए टोल टैक्स को आसानी से और जल्दी भरने की सुविधा भी दी है. इसी का नाम है FASTag ये वाहन के शीशे के अंदर की तरफ लगा होता है. इससे सीधे वाहन मालिक के अकाउंट से टोल की राशि ले ली जाती है और उसे बिना इंतजार किए टोल क्रॉस करने की अनुमति मिल जाती है.
कैसे तय होता है टोल टैक्स का रेट-
टोल टैक्स का रेट कई बातों पर निर्भर करता है. इसमें वाहन की खरीद कीमत, इंजन की क्षमता, लोगों के बैठने की क्षमता इत्यादि शामिल हैं. इसके अलावा हाईवे की जो दूरी लगभग 60 किमी होती है उसके कम या ज्यादा होने पर भी वसूले जाने वाले टोल टैक्स के रेट में बदलाव हो जाता है. इस साल अप्रैल महीने में सरकार ने टोल टैक्स के दामों में इजाफा किया था. इसके अनुसार हल्के वाहनों के टोल टैक्स में 10 रुपये और भारी वाहनों के टोल टैक्स में 65 रुपये बढ़ाए गए थे.
किन 25 लोगों को नहीं देना पड़ता है टोल टैक्स?
टोल टैक्स या टोल वह शुल्क है जो वाहन चालकों को कुछ अंतरराज्यीय एक्सप्रेसवे, सुरंगों, पुलों और अन्य राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों को पार करते समय चुकाना पड़ता है. इन सड़कों को टोल रोड कहा जाता है और ये भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के नियंत्रण में हैं.
टोल टैक्स का उपयोग सड़क निर्माण और रखरखाव के लिए किया जाता है. इसलिए, यह टोल टैक्स लगाकर नवनिर्मित टोल सड़कों की लागत को कवर करता है. भारत सरकार ने फास्टैग पेश किया है जो कैशलेस टोल टैक्स भुगतान के लिए RFID (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) तकनीक का उपयोग करते हैं.
हालांकि राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के अनुसार, राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों और संग्रह का निर्धारण) नियम, 2008 के नियम 11 के अनुसार टोल टैक्स का भुगतान करने से छूट प्राप्त लोगों और वाहनों की एक सूची है.
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के उपराष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- किसी राज्य का राज्यपाल
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- लोक सभा के अध्यक्ष
- संघ के कैबिनेट मंत्री
- किसी राज्य का मुख्यमंत्री
- सुप्रीम कोर्ट के जज
- संघ राज्य मंत्री
- एक केंद्र शासित प्रदेश के उपराज्यपाल
- चीफ ऑफ स्टाफ जो पूर्ण सामान्य या समकक्ष रैंक का पद धारण करता है
- किसी राज्य की विधान परिषद के सभापति
- किसी राज्य की विधान सभा के अध्यक्ष
- उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीश
- ससद सदस्य
- थल सेनाध्यक्ष के सेना कमांडर और अन्य सेवाओं में समकक्ष
- संबंधित राज्य के भीतर किसी राज्य सरकार के मुख्य सचिव
- सचिव, भारत सरकार
- राज्यों की परिषद सचिव
- सचिव, लोक सभा
- राजकीय यात्रा पर विदेशी गणमान्य व्यक्ति
किसी राज्य की विधान सभा के सदस्य और अपने-अपने राज्य के भीतर किसी राज्य की विधान परिषद के सदस्य, यदि वह राज्य के संबंधित विधानमंडल द्वारा जारी अपना पहचान पत्र प्रस्तुत करता है या नहीं.
परमवीर चक्र, अशोक चक्र, महावीर चक्र, कीर्ति चक्र, वीर चक्र, और शौर्य चक्र से सम्मानित व्यक्ति, यदि ऐसा पुरस्कार प्राप्तकर्ता ऐसे पुरस्कार के लिए उपयुक्त या सक्षम प्राधिकारी द्वारा विधिवत प्रमाणित अपना फोटो पहचान पत्र प्रस्तुत करता है.
हालांकि अन्य श्रेणी भी हैं जिन्हें टोल टैक्स से छूट दी गई है. जिसमें केंद्र और राज्य के सशस्त्र बल वर्दी में. इसमें अर्धसैनिक बल और पुलिस, एक कार्यकारी मजिस्ट्रेट, अग्निशमन विभाग या संगठन, एम्बुलेंस के रूप में उपयोग, अंतिम संस्कार वैन के रूप में उपयोग, यांत्रिक वाहन जो विशेष रूप से शारीरिक अक्षमता से पीड़ित व्यक्ति के उपयोग के लिए डिज़ाइन और निर्मित किए जाते हैं.