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Supreme Court Judgement : कर्मचारियों के प्रमोशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट की जजमेंट, प्वाइंट्स में समझिए

कर्मचारियों के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से एक नया फैसला सामने आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट से साफ है कि जो अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का मामला है यह देखना राज्य का काम है। उसके लिए डाटा तैयार करना भी राज्य का काम है। आइए नीचे खबर में विस्तार से प्वाइंट्स में समझते है।  

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Supreme Court Judgement : कर्मचारियों के प्रमोशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट की जजमेंट, प्वाइंट्स में समझिए

HR Breaking News, Digital Desk- सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एससी एसटी के प्रमोशन में रिजर्वेशन (Promotion in Reservation) के लिए कोई मानदंड तय करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकारी नौकरी में एससी एसटी के प्रमोशन में रिजर्वेशन के लिए राज्य की ड्यूटी है कि वह एससी एसटी के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का डाटा एकत्र करे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परिमाणात्मक यानी मात्रात्मक आंकड़े एकत्र करने के लिए राज्य बाध्य हैं। एससी और एसटी के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के संबंध में मात्रात्मक डाटा पूरी सर्विस या ग्रुप से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है बल्कि अपर्याप्त प्रतिनिधित्व उन पदों के कैडर या ग्रेड के संदर्भ में देखा जाना चाहिए जिन पदों के लिए प्रमोशन मांगा गया है। ऐसे में मात्रात्मक डाटा कैडर के मद्देनजर एकत्र किया जाएगा जिनमें प्रमोशन की दरकार है।


प्रमोशन में रिजर्वेशन के लिए डाटा एकत्र करना राज्य का काम-


सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट से साफ है कि जो अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का मामला है यह देखना राज्य का काम है और उसके लिए डाटा तैयार करना भी राज्य का काम है। ऐसे में राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के अनुरूप ग्रेड बेसिस पर अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का डाटा तैयार करना होगा और उसके बाद एससी एसटी को प्रमोशन में रिजर्वेशन देना होगा। राज्य और केंद्र की दलील थी कि अपर्याप्त डाटा एकत्र करने की बाध्यता नहीं होनी चाहिए क्योंकि इस कारण प्रमोशन में रिजर्वेशन का मामला अटका हुआ है।

सरकारों की दलील थी कि उनके रोस्टर के हिसाब से प्रमोशन में रिजर्वेशन देने की इजाजत होनी चाहिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि नागराज और जनरैल सिंह से संबंधित वाद में उसके पहले के दिए जजमेंट के आलोक में यह कहना चाहते हैं कि वह अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के लिए डाटा एकत्र करने का मानदंड तय नहीं करेगा बल्कि ये राज्य की ड्यूटी है कि वह अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का डाटा तैयार करे। ऐसे में एसी और एसटी के प्रमोशन में रिजर्वेशन के लिए राज्यों को अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का डाटा तैयार करना होगा और उसके बाद वह प्रमोशन में रिजर्वेशन दे सकेंगे।


मात्रात्मक डाटा पूरे सर्विस या ग्रुप के संदर्भ में नहीं बल्कि कैडर के संदर्भ में देखा जाएगा-


जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने कहा कि जहां तक यूनिट के लिए मात्रात्मक डाटा एकत्र करने का सवाल है तो अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का पता लगाने के लिए राज्य की ड्यूटी है कि वह डाटा एकत्र करे। ये मात्रात्मक डाटा पूरे क्लास या ग्रुप या सर्विस के संदर्भ में नहीं हो सकता है बल्कि यह सिर्फ उस ग्रेड या कैटेगरी के लिए होगा जिसमें प्रमोशन चाहिए। यहां यूनिट कैडर के संदर्भ में देखा जाएगा और उसी के लिए अपर्याप्त प्रतिनिधित्व देखना होगा अगर पूरे सर्विस के संदर्भ में डाटा एकत्र किया जाएगा तो यह सब अर्थहीन हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में नागराज और जरनैल सिंह से संबंधित वाद में दिए जजमेंट लागू होंगे।

बीके पवित्रा से संबंधित वाद में सुप्रीम कोर्ट ने निष्कर्ष दिया था कि डाटा ग्रुप के आधार पर एकत्र हो न कि कैडर के आधार पर हो। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि बीके पवित्रा से संबंधित वाद में सुप्रीम कोर्ट का दिया गया फैसला और निष्कर्ष नागराज जजमेंट और जरनैल सिंह केस में दिए पांच जजों के जजमेंट के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम जरनैल सिंह जजमेंट के आलोक में राज्य सरकार पर छोड़ते हैं कि वह अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का डाटा एकत्र करे और वह डाटा कैडर के संदर्भ में हो जिसमें प्रमोशन की मांग है।

संविधान कहता है कि प्रमोशन में रिजर्वेशन के लिए अपर्याप्त प्रतिनिधित्व-


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रमोशन में रिजर्वेशन के लिए बुनियादी जरूरत यह है कि अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का पता लगाया जाए और उसके लिए मात्रात्मक डाटा एकत्र किया जाए। एम नागराज और जरनैल सिंह संबंधित वाद में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि मात्रात्मक डाटा यूनिट यानी कैडर आधारित होगा। डाटा कलेक्शन पूरे सर्विस के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के मद्देनजर एकत्र नहीं होगा बल्कि कैडर के मद्देनजर होगा।

वहीं बीके पवित्रा संबंधित वाद में सुप्रीम कोर्ट ने निष्कर्ष दिया था कि मात्रात्मक डाटा यूनिट के मद्देनजर होगा और यूनिट का मतलब सर्विस से है कैडर से नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने 68 पेज के जजमेंट में साफ किया कि संविधान के अनुच्छेद-16(4)(ए) कहता है कि प्रमोशन में रिजर्वेशन मिलेगा लेकिन इसके लिए राज्य को देखना होगा कि अपर्याप्त प्रतिनिधित्व हो। प्रमोशन सर्विस के क्लास में होता है। ऐसे में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के लिए मात्रात्मक डाटा ग्रुप या सर्विस के अनुसार होगा तो यह नागराज और जरनैल सिंह संबंधित वाद के फैसले के खिलाफ होगा।

राज्य को कैडर के मद्देनजर जस्टिफाई करना होगा कि अपर्याप्त प्रतिनिधित्व है-


राज्य को प्रमोशन में रिजर्वेशन देने के लिए कैडर के मद्देनजर अपर्याप्त प्रतिनिधित्व को जस्टिफाई करना होगा। ग्रुप और सर्विस के बेसिस पर डाटा एकत्र करने से पता नहीं चलेगा कि कैडर कितना अपर्याप्त प्रतिनिधित्व है। रोस्टर कैडर के हिसाब से बनता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि एससी एसटी के प्रतिनिधित्व का पता लगाने के लिए मात्रात्मक डाटा एकत्र किया जाता है ताकि प्रमोशन में रिजर्वेशन कैडर के हिसाब से हो और जहां अपर्याप्त प्रतिनिधित्व हो वहां प्रमोशन की दरकार का पता चले।

नागराज और जरनैल सिंह जजमेंट में यही व्यवस्था दी गई थी और उसके विपरीत बीके पवित्रा केस में सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी थी कि डाटा कैडर वाइज नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने बीके पवित्रा मामले में दी गई व्यवस्था को कानून के विपरीत करार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम अभी केस वार तरीके से कोई ओपिनियन नहीं दे रहे हैं बल्कि सारी अर्जी में जो एक कॉमन सवाल था उसका हमने अभी जवाब दिया है और अगली सुनवाई 24 फरवरी को की जाएगी।

नागराज जजमेंट-


एससी एसटी को प्रमोशन में रिजर्वेशन देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में नागराज केस में व्यवस्था दी। 2006 के नागराज जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रमोशन में आरक्षण के मामले में सीलिंग लिमिट 50 फीसदी लागू रहेगा, क्रीमीलेयर के सिद्धांत को लागू करने, राज्य को पिछड़ेपन का पता लगाने के लिए डेटा एकत्र करने और अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के बारे में देखना होगा। सरकार अपर्याप्त प्रतिनिधित्व और प्रशासनिक दक्षता को देखेगी।

जरनैल सिंह जजमेंट-


इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में दोबारा यह मामला आया और सवाल था कि नागराज जजमेंट में जो व्यवस्था प्रमोशन में रिजर्वेशन को लेकर दी गई थी क्या उसे दोबारा विचार करने की जरूरत है या नहीं? क्या उस जजमेंट को सात जजों की संवैधानिक बेंच के सामने समीक्षा के लिए भेजा जाए या नहीं।

जरनैल सिंह संबंधित वाद में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने 2018 में दिए गए फैसले को 7 जजों को रेफर करने से मना कर दिया था लेकिन नागराज जजमेंट में दी गई एक व्यवस्था को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि प्रमोशन में रिजर्वेशन देने से पहले राज्य को पिछड़ेपन का डाटा एकत्र करना होगा। यानी एससी एसटी प्रमोशन में आरक्षण से पहले पिछड़ेपन का डेटा एकत्र करने की जरूरत नहीं है बल्कि सिर्फ अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का डाटा एकत्र करना होगा।


केंद्र और राज्य की दलील-


केंद्र सरकार और राज्यों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में तमाम अर्जियां दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि प्रमोशन में रिजर्वेशन के मामले में अभी भी अस्पष्टता है जिस कारण तमाम नियुक्तियां रुकी हुई है। राज्य सरकारों और केंद्र की ओर से कहा गया कि कई मुद्दे ऐसे हैं जो अभी भी ओपन हैं और इस कारण प्रमोशन में रिजर्वेशन नहीं होने से कई पद खाली पड़े हुए हैं। सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 75 साल बाद भी एससी एसटी कैटेगरी के लोगों को फॉरवर्ड क्लास के मेरिट के बराबरी लेवल पर नहीं लाया जा सका है। सरकारों की दलील थी कि रोस्टर के हिसाब से उन्हें प्रमोशन में रिजर्वेशन देने दिया जाए।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह नागराज जजमेंट और जरनैल सिंह संबंधित वाद में दिए फैसले पर दोबारा विचार करने को तैयार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह बताए कि एससी और एसटी को प्रमोशन में रिजर्वेशन देने के लिए उसने क्या एक्सरसाइज किए हैं और क्या इस बात का पता लगाया है कि उनका नौकरी में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व है और रिजर्वेशन देने से ओवरऑल कोई विपरीत असर नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार को इस बात का जस्टिफिकेशन देना होगा कि किसी विशेष कैडर में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व है और रिजर्वेशन देने से कोई प्रशासन की कार्यक्षमता पर कोई विपरीत असर नहीं होगा।