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हरियाणा की धरती से नई क्रांति का बिगुल, गेहूं का होगा बंपर उत्पादन

देश में नई क्रांति होगी। गेहूं क्रांति। भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञों ने किया विश्लेषण। देश भर में अनुकूल मौसमी परिस्थितियों और रकबा बढ़ने से होगा संभव। 112 मिलियन टन पैदावार की उम्मीद गत वर्ष 109.52 था उत्पादन।
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देश में लगातार दूसरे वर्ष बंपर गेहूं उत्पादन की उम्मीद है। करनाल स्थित भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञों की टीम ने आरंभिक विश्लेषण के आधार पर दावा किया है कि देश में गेहूं की रिकार्ड पैदावार के स्पष्ट आसार नजर हैं।

फसल के लिए काफी हद तक अनुकूल रहे मौसम ने किसानों की उम्मीद बढ़ाई है तो हरियाणा सहित पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश व अन्य उत्तर भारतीय क्षेत्रों में सर्वे ने साफ किया है कि ज्यादातर क्षेत्रों में इस बार फसल स्वस्थ है। ऐसे में गेहूं उत्पादन 112 मिलियन टन का रिकार्ड स्तर छू सकता है। जबकि पिछले वर्ष 109.52 मिलियन गेहूं ही उत्पादित हुआ था।

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अहम पहलू यह है कि वर्ष 2018-19 के बाद से देश में गेहूं उत्पादन का सौ मिलियन के पार पहुंच रहा है। जबकि 2010-11 से 2017-18 के ग्राफ पर नजर डालें तो यह सौ मिलियन से नीचे बना था। उल्लेखनीय है कि भारत गेहूं उत्पादन में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।

देश से अब काफी मात्रा में गेहूं निर्यात भी किया जाता है। यह धान के बाद भारत की दूसरी प्रमुख फसल है। विशेषज्ञों का कहना है कि पहले की तुलना में किसानों में गेहूं की खेती को लेकर जागरुकता बढ़ी है।


कैसे किया विश्लेषण

आइआइडब्ल्यूबीआर की ओर से हर साल गेहूं की पैदावार का जायजा लेने के लिए अलग-अलग चरण में गहन सर्वे किया जाता है। इस वर्ष भी संस्थान की टीम ने विभिन्न राज्यों में फसल का जायजा लिया। हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और जम्मू के मैदानी क्षेत्रों से लेकर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र तक गेहूं की फसल का स्वास्थ्य बेहद बारीकी से जांचा-परखा गया।

करीब दो सप्ताह तक चली इस प्रक्रिया में स्पष्ट हुआ कि ज्यादातर क्षेत्रों में फसल स्वस्थ है। मौसम की अनुकूलता भी बनी हुई है। इस वर्ष देश में गेहूं का रकबा करीब 31.50 मिलियन हेक्टेयर है। गेहूं की वार्षिक घरेलू खपत 80 से 90 मिलियन टन है। टीम में प्रधान वैज्ञानिक डा. सुधीर कुमार, डा. पूनम जसरोटिया, वैज्ञानिक पीएल कश्यप और डा. रविंद्र कुमार शामिल रहे।

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विशेषज्ञों ने दी यह सलाह

सर्वेक्षण के दौरान टीम ने अलग-अलग क्षेत्रों के किसानों से मिलकर उन्हें आवश्यक सलाह भी दी। उन्होंने फसल की नियमित निगरानी और अच्छी प्रजातियां अपनाने के साथ ही पर्याप्त सिंचाई करने और खरपतवार पर भी ध्यान देने के लिए कहा।

गेहूं बुवाई का रकबा बढ़ा

देश के कई राज्यों में इस बार गेहूं बुवाई का रकबा बढ़ा है। लगभग 33 मिलियन हेक्टेयर में बुवाई हुई, जो सामान्यत तीन मिलियन हेक्टेयर अधिक है। हर वर्ष 30 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई होती थी। इससे उम्मीद बढ़ी है कि देश में 112 मिलियन टन गेहूं उत्पादन होगा। मुख्यत: मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र में रकबा बढ़ा है।


नई प्रजातियों से बढ़ा उत्पादन

संस्थान के निदेशक ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि देश में प्रति हेक्टेयर औसतन 36 क्विंटल गेहूं उत्पादन होता है। पंजाब व हरियाणा जैसे राज्यों में पैदावार अधिक है। संस्थान में विकसित नई प्रजातियां अपनाकर किसान अच्छा उत्पादन ले रहे हैं।

इनमें करण नरेन्द्र, करण वैष्णवी, करण वंदना, डीबीडब्ल्यू-187 और डीबीडब्ल्यूू 47 शामिल हैं। उन्होंने बताया कि नौ फरवरी को भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान का आठवां स्थापना दिवस है। इस विशिष्ट अवसर पर देश के पूर्व कृषि आयुक्त डा. गुरबचन सिंह संस्थान के वैज्ञानिकों से नवीन उपलब्धियों और आगे की तैयारियों पर मंथन करेंगे


देश में पिछले पांच वर्ष में गेहूं उत्पादन का ग्राफ

वर्ष क्षेत्रफल उत्पादन

2016-17 30.79 98.51

2017-18 29.58 99.70

2018-19 29.32 103.60

2019-20 31.36 107.86

2020-21 31.62 109.52

(उत्पादन प्रति मिलियन हेक्टेयर व मिलियन टन में)