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हरियाणा के इस गांव की महिलाएं कमा रही लाखों, कम लागत और मेहनत में करें मशरूम की खेती

Musroom Farming पानीपत के एक गांव की महिलाओं ने मशरूम क्रांति ला दी है। बुजुर्ग निक्को ने की शुरुआत। इसके बाद परिवार भी जुड़ गया। अब गांव की महिलाओं ने स्‍वयं सहायता समूह बनाकर मशरूम का उत्‍पादन शुरू किया। शुरुआत में कृषि विज्ञान केंद्र से खुंभी के बैग लिए थे।
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पानीपत के गांव ऊझा की महिलाओं ने मशरूम क्रांति ला दी है। मशरूम की खेती (Mushroom Farming) कर न ही वे आत्मनिर्भर (Atmanirbhar) बनी, बल्कि दूसरों के लिए भी मिसाल पेश की। मशरूम खेती की शुरुआत बुजुर्ग व अशिक्षित महिला निक्को देवी ने की थी।

निक्को ने घर पर ही खुंभी का उत्पादन कर दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बनी। निक्को खुंभी का उत्पादन करके हर सीजन में करीब दो लाख रुपये की आमदनी कर रही हैं। पति भगवान दास व बेटे की पत्नी सीमा भी अब हाथ बंटाने लगे हैं। उनसे  प्रेरित होकर गांव ऊझा की ही दस महिलाओं ने समूह बनाकर खुंभी उत्पादन शुरू कर दिया है।

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निक्को देवी ने जागरण को बताया कि वह करीब दस वर्ष पहले कृषि विज्ञान केंद्र ऊझा के पास से अपने पशुओं के लिए खेतों से चारा लेने गई थी। कृषि विज्ञान केंद्र में खुंभी उत्पादन को लेकर प्रशिक्षण दिया जा रहा था। उसके मन में आया कि जब ये लोग खुंभी का उत्पादन शुरू कर सकते हैं तो वह क्यों नहीं कर सकती। उसने भी कृषि विज्ञान केंद्र में प्रशिक्षण लिया।


शुरुआत 40 बैग से हुई

उसको कृषि विज्ञान केंद्र की तरफ से 40 बैग खुंभी का बीज दिया गया। उनका खुंभी का काम बहुत अच्छा चल पड़ा। शुरू में कुछ लोग उसका मजाक करते थे कि अनपढ़ बुजुर्ग महिला कैसे खुंभी का उत्पादन करेगी।  खुंभी का सीजन नवंबर से लेकर फरवरी माह तक करीब चार माह चलता है।

इन चार माह में ही उनकी करीब दो लाख रुपये की आमदनी हो जाती है। निक्को देवी को कृषि विज्ञान केंद्र ऊझा, बागवानी विभाग सहित कई अन्य सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।


कृषि विज्ञान केंद्र ऊझा के इंचार्ज डा. राजबीर गर्ग ने बताया कि गांव ऊझा की बुजुर्ग महिला निक्को देवी ने करीब 10 वर्ष पहले यहां पर प्रशिक्षण लिया था। अब पूरा परिवार यही काम कर रहा है। खुद आत्मनिर्भर बनीं, दूसरों को भी प्रेरित किया जा रहा है। फिलहाल महिलाएं स्थानीय बाजार में खुंभी को 110 से 120 रुपये में बेच रही हैं।

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सरकार से दवा-बीज उपलब्ध कराने की मांग

सीमा, बबली, नीलम, रेखा ने बताया कि देशी मशरूम का उत्पादन घर पर ही कर स्वरोजगार से जुड़ी हैं। पराली के साथ खुंभ उत्पादन की प्रक्रिया होती है। उत्पादन के लिए राज्य सरकार निशुल्क बीज उपलब्ध कराए तो हम महिलाएं आगे बढ़ सकेंगी।

महिलाओं ने स्वयं के सहयोग से करीब 15 हजार रुपये की धनराशि एकत्र कर मशरूम उत्पादन कर कार्य शुरू किया। इसके तहत उन्होंने 10 गुना 12 के एक कमरे में करीब 200 बैग लगाए।