Ancestral Property - पैतृक संपत्ति पर दावा करने का मिलेगा सिर्फ इतना समय, बाद में हाथ से चली जाएगी जमीन
HR Breaking News, Digital Desk- दादा-परदादा से विरासत में मिली संपत्ति को पुश्तैनी संपत्ति कहा जाता है. इस पर अगली 4 पीढ़ियों का अधिकार होता है. परदादा, दादा, पिता और फिर आप, इस तरह से पुश्तैनी संपत्ति के लिए 4 पीढ़ियां हकदार होती हैं. ध्यान रहे कि केवल पिता, दादा या उनके पिता से विरासत में मिली संपत्ति ही पुश्तैनी मानी जाएगी. अगर आपकी नानी या मां से विरासत में आपको कुछ मिला है तो वह पुश्तैनी संपत्ति नहीं होगी.
अब आते हैं इस खबर के मुख्य सवाल पर कि कितने साल तक पुश्तैनी संपत्ति पर दावा कर सकते हैं. कानून के अनुसार, ऐसा केवल 12 वर्ष तक किया जा सकता है. अगर किसी को लगता है कि किसी संपत्ति में उसका पैतृक अधिकार है और उसे गलत तरीके वसीयत से बाहर किया गया है तो वह 12 साल के अंदर कोर्ट में जाकर न्याय मांग सकता है. अगर वह ऐसा करने में असफल होता है तो उसका पुश्तैनी संपत्ति पर अधिकार खत्म हो जाएगा. इसके बाद अगर व्यक्ति के पास वाजिब कारण है तभी कोर्ट उसकी सुनवाई करेगा अथवा वह संपत्ति उसके हाथ से निकल जाएगी.
क्या छिन सकता है पैतृक संपत्ति में अधिकार-
नहीं, ऐसा करना आसान नहीं है. माता-पिता अपनी संतान को केवल अपनी कमाई हुई संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं. हालांकि, कुछ मामले ऐसे देखे गए हैं जब कोर्ट ने बच्चे को पैतृक संपत्ति से भी बेदखल करने की अनुमति दी है. परंतु, यह अपवाद होते हैं और इसमें कोर्ट कचहरी के काफी चक्कर लगते हैं. तब भी यह शत प्रतिशत तय नहीं होता कि कोर्ट का फैसला माता-पिता के पक्ष में चला ही जाएगा.
क्या होती है पुश्तैनी संपत्ति-
आपके पिता, दादा या परदादा से मिली संपत्ति को पैतृक संपत्ति कहा जाता है. इसकी एक और शर्त ये है कि 4 पीढ़ियों तक परिवार में कोई अलगाव नहीं होना चाहिए. अगर एक भी पीढ़ी में घर में बंटवारा होता है तो संपत्ति पैतृक नहीं रह जाएगी. इसका मतलब है कि माता-पिता अपनी संतान को अब विरासत में मिली संपत्ति से भी बाहर कर सकते हैं. गौरतलब है कि विरासत में मिली हर संपत्ति पैतृक/पुश्तैनी नहीं होती है.