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RBI : आपने भी लोन ले रखा है तो अप्रैल में फिर लगेगा डबल झटका

RBI Repo Rate - अगर आपने भी लोन ले रखा है तो ये खबर आपके लिए जरूरी है। दरअसल एक रिपोर्ट के मुताबिक ये कहा जा रहा है जिन लोगों ने लोन ले रखा है उन्हें अपैल में डबल झटका लगने वाला है। 

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RBI : आपने भी लोन ले रखा है तो अप्रैल में फिर लगेगा डबल झटका

HR Breaking News, Digital Desk- भारतीय रिजर्व बैंक अगली एमपीसी बैठक में फिर से रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोत्तरी कर सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि मई 2022 के बाद केंद्रीय बैंक अप्रैल में लगातार सातवीं बार रेपो रेट बढ़ा सकता है.

क्योंकि, रिजर्व बैंक ने बीते 8 फरवरी को रेपो रेट बढ़ाने के बाद कहा कि अभी भी वह अपने उद्देश्य को प्राप्त करने से दूर है. ऐसे में अप्रैल में होने वाली मौद्रिक समिति नीति की समीक्षा बैठक में रेपो रेट बढ़ाए जाने का अनुमान लगाया जा रहा है.

आरबीआई ने 8 फरवरी 2023 को मौद्रिक नीति की बैठक में रेपो दर को फिर से 0.25 फीसदी बढ़ाया है. यह छठी बार है जब केंद्रीय बैंक ने पिछले साल मई से लगातार रेपो दर में वृद्धि की है. पिछली बार आरबीआई ने दिसंबर 2022 में रेपो रेट में 35 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोत्तरी की थी. अब ताजा बढ़ोत्तरी के बाद रेपो रेट बढ़कर 6.5 फीसदी हो गई है.

विश्लेषकों का मानना है कि केंद्रीय बैंक अप्रैल समीक्षा में संभावित 25 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि कर सकता है. एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ का मानना है कि केंद्रीय बैंक 25 बीपीएस रेपो बढ़ा सकता है. क्योंकि आरबीआई-एमपीसी ने माना है कि वे अभी भी अपने उद्देश्य को प्राप्त करने से दूर हैं और टिकाऊ मुद्रास्फीति अभी दूर की कौड़ी लगती है.

मुद्रास्फीति आने वाले महीनों में कम होने की संभावना है, लेकिन रेपो रेट में बढ़ोत्तरी हो सकती है. आरबीआई अगर नीति को कसने के लिए एक मानदंड के रूप में कोर मुद्रास्फीति में टिकाऊ मॉडरेशन के संकेतों को देखना जारी रखना चाहता है तो अप्रैल में रेपो रेट 25 बीपीएस बढ़ेगी. बरुआ ने कहा कि लेकिन हम देखते हैं कि जब तक आरबीआई अपने दर वृद्धि चक्र को रोक नहीं देता तब तक तटस्थता में बदलाव की संभावना नहीं है.

बैंकों पर लोन का ब्याज बढ़ाने का दबाव होगा-


आरबीआई रेपो रेट बढ़ाने का उद्देश्य मार्केट से लिक्विडिटी यानी नकदी के फ्लो को कम करना है. ताकि महंगाई दर को काबू किया जा सके. ऐसे में लगभग सभी बैंकों ने लेंडिंग रेट्स बढ़ा दिए थे, जिसका असर लोनधारकों को बढ़ी हुई ईएमआई के रूप में झेलना पड़ा है. जिसकी वजह से फिर लोन की ब्याज दरों में उछाल आएगा और ईएमआई की राशि बढ़ जाएगी.