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Supreme Court ने कर दिया क्लियर, घर-जमीन नीलाम करके भी देना पड़ेगा पत्नी को पैसा

Alimony rights : पति-पत्नी के बीच के कई तरह के विवाद (husband wife dispute) कोर्ट में आते रहते हैं। कुछ मामले गुजारा भत्ते से भी जुड़े होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने गुजारा भत्ते के मामले में बड़ा फैसला (SC decision on alimony) सुनाया है। कोर्ट ने इस फैसले के साथ ही यह भी क्लियर कर दिया है कि बेशक पति को अपनी प्रोपर्टी को भी नीलाम क्यों न करना पड़े, उसे गुजारा भत्ता हर हाल में देना होगा। आइये जानते हैं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बारे में।  
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Supreme Court ने कर दिया क्लियर, घर-जमीन नीलाम करके भी देना पड़ेगा पत्नी को पैसा

HR Breaking News : (SC decision)। एक पति पर अपनी पत्नी और बच्चों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी हर जिम्मेदारी से बढ़कर सबसे पहले होती है। यही उसकी प्राथमिकता भी होनी चाहिए, यह बात सुप्रीम कोर्ट (supreme court decision) के एक फैसले से भी साबित होती है। कोर्ट ने पत्नी को गुजारा भत्ता दिए जाने के एक मामले में यह टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि पति को अपनी प्रोपर्टी (property rights) बेचकर भी पत्नी को गुजारा भत्ता देना होगा, ताकि बच्चों व पत्नी का भरण पोषण (mantinance allowance) सही से हो सके। इससे पति अलग रहने की दुहाई देते हुए बच नहीं सकता है। उसे अपनी प्रोपर्टी बेचकर भी गुजारा भत्ता देना होगा। 


नहीं सुनी पति की कोई बात-


सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court case) में पति की कोई गुहार नहीं सुनी गई। दो जजों की पीठ ने इस मामले में सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट की बैंच ने इस मामले में महिला के पति की ओर से लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया। महिला के पति ने अपील करते हुए कहा था कि उनकी आय उससे अलग हो चुकीं पत्नी के बकाया गुजारा भत्ते (Alimony allowance) का भुगतान करने योग्य नहीं है। उसने यह भी अपील की थी कि उनकी डायमंड फैक्ट्री में भारी हानि हुई है।

इस समय काफी कर्जा है। उस पर काफी लोन भी बकाया है,  इसलिए उसकी स्थिति को समझते हुए निर्णय दिया जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Verdict)  ने कहा कि किसी भी तरह के लोन की ईएमआई (Loan EMI)बच्चों व पत्नी से बढ़कर नहीं है, इसलिए लोन चुकाने से पहले उसे अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देना होगा। पत्नी व बच्चों के पालन पोषण की जिम्मेदारी पति की ही होती है। 


भरण पोषण का खर्च देना सबसे पहला कदम-


सुप्रीम कोर्ट ने भरण पोषण (mantinance allowance) का खर्च दिए जाने को प्राथमिकता बताया। व्यक्ति की लगाई गई याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि एक तलाकशुदा महिला व उनके बच्चों के भरणपोषण (alimony allowance decision) के खर्चे को उठाना पति की पहली जिम्मेदारी और प्राथमिकता है। वैसे भी पति की किसी संपत्ति पर पत्नी और बच्चों का सबसे पहले अधिकार होता है।

यह प्रावधान उत्तराधिकार अधिनियम में भी है। पति की संपत्ति (property rights news)पर पत्नी और बच्चों के बाद कोई बैंक या अन्य संस्थान हक जता सकता है। एक पति के लिए  बाकी सब खर्चे बाद में आते हैं, सबसे पहले उसके लिए पत्नी व बच्चे हैं। चाहे पति को बैंक का कितना ही बड़ा कर्ज क्यों न चुकाना हो।

 

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यह सुनाया फैसला-


इस मामले में पूर्व पति को जल्द से जल्द बकाया गुजारा भत्ता (Supreme Court Alimony) देने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पति की याचिका को  खारिज कर दिया। कोर्ट ने टिप्पणी की है कि कंपनी के कर्ज की बात को बाद में सुना जाएगा, गुजारा भत्ता उससे ज्यादा जरूरी व बड़ा मुद्दा है।


जीवनयापन के अधिकार से जुड़ा है गुजारा भत्ता-


सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Alimony) के जजों की बैंच ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि गुजाराभत्ता सम्मानपूर्वक जीवनयापन के अधिकार से जुड़ा है। कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 21 का भी हवाला दिया है। कोर्ट ने कहा कि किसी कंपनी से लोन वसूलने से बड़ा अधिकार गुजारा भत्ते का है।  गुजाराभत्ता (alimony allowance news) के अधिकार को सुप्रीम कोर्ट ने  मौलिक अधिकार के समान बताया है। 

प्रोपर्टी को बेचकर दे गुजारा भत्ता- 


इस मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)ने कहा है कि फैमिली कोर्ट की ओर से गुजारे भत्ते का भुगतान न करने पर पति पर कार्रवाई कर सकता है। पत्नी को गुजारा भत्ता दिलाने के लिए जरूरत पड़े तो पति की अचल संपत्ति को भी नीलाम (property auction rules) कर दिया जाए। पति के पास इसके लिए कोई और स्रोस नहीं है तो उसकी प्रोपर्टी बेचकर गुजारा भत्ता दिलाया जाए। यानी पूर्व पति को पत्नी को गुजारा भत्ता (gujara bhtta) देना होगा, चाहे इसके लिए उसे अपनी प्रोपर्टी भी क्यों न बेचनी पड़े।