Business Idea: हरियाणा की इस महिला ने डेयरी बिजनेस में किया ऐसा स्टार्टअप, लाखों रूपये कमाई के साथ विदेशों में बज रहा डंका
HR Breaking News,(ब्यूरो): ये मेरा हरियाणा यहां दूध-दही का खाना। हरियाणा में लोग दूध और इससे बने व्यंजनों को बहुत चाव से खाते हैं। प्रदेश में कृषि के साथ डेयरी व्यवसाय का खूब काम होता है। लोग शौक से गाय और भैंसें पालते है। इसीलिए यहां के दुधारू पशुओं की कीमत लाखों में होती है। यहां की महिलाएं भी इस व्यवसाय में पुरुषों से कम नहीं है। यह कर दिखाया है सोनीपत जिले की एक महिला ने। उसने 500 महिलाओं को इकट्ठी होकर ऐसा डेयरी बिजनेस स्टार्टअप किया है। इसकी धूम विदेशों तक हो रही है।
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हरियाणा में लोगों की तन-मन की शक्ति का राज है दूध। सोनीपत में यमुना के आसपास के गांवों में दूध की उपलब्धता तो थी, लेकिन उसके माध्यम से कोई व्यवसाय कर लिया जाए, उसकी राह कठिन थी। राजकुमारी(Rajkumari) ने इसी राह को अपने साथ-साथ 10 गांव की पांच सौ से अधिक महिलाओं के लिए सुलभ बनाया। देशी गाय के दूध से बना घी अपने ही घर नहीं, देश-विदेश तक में सेहत का राज बन गया है। यही नहीं उनके द्वारा बनाए जा रहे घी की सप्लाई आस्ट्रेलिया और कनाडा तक की जाती है। राजकुमारी अपना ब्रांड तैयार कर खुद तो कमाई कर ही रही हैं साथ में उनसे जुड़ीं महिलाएं भी सालाना लाखों रुपये की आमदनी कर रही हैं।
देसी घी का सबसे ज्यादा
राजकुमारी ने स्नातक तक पढ़ाई की है। घर में खेती-किसानी में पति का हाथ बंटाती थीं, लेकिन मन में हमेशा स्वावलंबन की राह पर चलने की इच्छा थी। अपने गांव की परिस्थितियों को देखते हुए कई विचार आए और फिर तय किया कि पशुपालन को ही स्वरोजगार(self employed) बनाया जा सकता है। इस पर वर्ष 2010 में देशी गाय का पालन शुरू कर स्वावलंबन की राह चुनी। शुरुआत छोटे स्तर पर चार-पांच गाय से हुई, लेकिन वर्ष 2015 तक उन्होंने इसे एक व्यवसाय का रूप दे दिया। राजकुमारी दूध बेचने के साथ ही शुद्ध घी बनाने लगीं। इससे यमुना के आसपास घर-गांव होने की बाधाएं दूर होने लगीं। उन्होंने यमुना किनारे सब्जी उगाने वालों से संपर्क किया और उनके जरिए गाय का दूध, घी शहर से बाहर मंडी तक आपूर्ति कराने लगीं। मांग बढ़ी तो उन्होंने अपने साथ गांव की अन्य महिलाओं को भी जोड़ना शुरू कर दिया। इस तरह से धीरे-धीरे उनके साथ गांव की महिलाएं जुड़ती गईं और आज आसपास के करीब 10 गांव की 500 से ज्यादा महिलाएं उनके साथ जुड़कर पशुपालन कर रही हैं। उनसे दूध लेकर राजकुमारी खुद घी तैयार करती हैं। कई कंपनियां उनका घी विदेश तक में सप्लाई करती हैं। आस्ट्रेलिया और कनाडा(Australia and Canada) में उनके द्वारा बनाए जा रहे देशी घी की सप्लाई सबसे ज्यादा है।
महिलाओं की जिंदगी बदली
राजकुमारी कहती हैं कि गांवों में दूध-घी की प्रचुरता है, लेकिन पशुपालकों को उचित मार्केट नहीं मिल पाती, जिसके कारण वे खूब मेहनत के बाद भी उतनी आमदनी प्राप्त नहीं कर पाते हैं। गांव की महिलाओं को जब जोड़ना शुरू किया तो ऐसी कई महिलाएं मिलीं, जो काम करना चाहती थीं, लेकिन संसाधन नहीं थे। यह देखते हुए शुरुआत में करीब 40 महिलाओं को अपने पास से गाय दान में देकर दूध लेना शुरू किया। कुछ ऐसी महिलाएं भी मिलीं, जो दूध के मार्केट और मेहनत के मुकाबले भाव को लेकर चिंतित थीं। उनकी आशंकाओं को दूर करते हुए अपने साथ जुड़ी सभी महिलाओं से पूरा दूध बाजार से अधिक भाव पर खरीदने की प्रतिबद्धता जताई। अपने साथ जुड़ी महिलाओं को गायों की देखभाल, उनके लिए चिकित्सक आदि उपलब्ध कराने में भी मदद की। धीरे-धीरे गांवों की महिलाओं का विश्वास बढ़ता गया और आज लगभग पांच सौ महिलाएं साथ जुड़कर पशुपालन कर रही हैं। गाय दान देने के अलावा बहुत सी महिलाओं को लोन दिलाकर गाय खरीदने में मदद की।
हर महीने बिकता है एक हजार किलो घी
राजकुमारी ने अमृत धारा(Amrit Dhara) नाम से घी का ब्रांड बनाकर बाजार में उतारा। वह खुद ही बिलौना तैयार कर घी बनाती हैं यानी दूध से दही बनाकर पारंपरिक तरीके से उसका बिलौना बनाकर घी निकाला जाता है। आज देश-विदेश में हर महीने एक हजार किग्रा. से ज्यादा घी बिक जाता है और एक किलो घी 1100 से 1650 रुपये तक में बिकता है। बकौल राजकुमारी आज लगभग 15 लाख रुपये महीने का टर्नओवर है। यही नहीं केवल खेती के काम में पति व परिवार का हाथ बंटाने वाली ग्रामीण महिलाएं अब पशुपालन को भी व्यवसाय के रूप में लेने लगी हैं। राजकुमारी के साथ जुड़ी महिलाएं रजनी, सुमन, रितु आदि ने बताया कि पहले उनके पास आमदनी का कोई भी जरिया नहीं था। अब पशुपालन से वे भी सालाना कम से कम ढाई से तीन लाख रुपये कमा रही हैं। इससे परिवार में समृद्धि आने के साथ उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा है।
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ऐसे की शुरुआत
राजकुमारी ने देशी गाय के घी को बेचने की शुरुआत अपने रिश्तेदारों, परिचितों व ग्रामीणों से ही की थी, लेकिन यहां जब पूरी खपत और अपेक्षित मूल्य नहीं मिले तो उन्होंने देशी दवा बनाने वाले वैद्यों से संपर्क किया। शुद्ध घी होने के कारण वैद्य घी खरीदने लगे और वे उससे दवा बनाने लगे। यहां से इनके घी को पहचान मिलनी शुरू हो गई। इसके बाद राजकुमारी ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए आयुर्वेद दवा बनाने वाली कंपनियों से संपर्क किया। वह सिद्धी आर्गेनिक, सिम्फैड, वैदिक प्योर जैसी कई कंपनियों से संपर्क कर वहां घी की सप्लाई देने लगीं। बेहतर क्वालिटी होने के कारण उनके द्वारा बनाए घी की डिमांड बढ़ने लगी। फिर अंबाला के कुछ व्यपारियों ने उनसे संपर्क कर बड़े स्तर पर घी का आर्डर देना शुरू कर दिया। अंबाला के व्यपारी ही उनके घी को आज कनाडा, आस्ट्रेलिया आदि में बेच रहे हैं। वहां इनका घी कच्चे माल के रूप में उपयोग होता है।
गोबर से खड़ा कर दिया बिजनेस
राजकुमारी ने गाय के गोबर से नया बिजनेस भी शुरू किया है। वह गाय के गोबर से केंचुआ खाद बनाकर किचन गार्डनिंग कर रही हैं और सब्जी की पौध तैयार कर उसे बाजार में बेच रही हैं। इसके अलावा उन्होंने गोमूत्र से कीटनाशक भी बनाना शुरू किया है। इसके लिए भी वह अपने साथ जुड़ी महिलाओं को जागरूक कर रही हैं।
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कई मंच पर मिल चुका है सम्मान
महिला सशक्तीकरण(women empowerment) की दिशा में काम करने पर राजकुमारी को कई मंच पर सम्मान मिल चुका है। सम्मान के तौर पर आजीविका मिशन विभाग ने दिल्ली के कनाट प्लेस(Connaught Place) में स्टाल उपलब्ध करवाई है। वहीं आजीविका मिशन की ओर से चंडीगढ़ में आज आयोजित कार्यक्रम में भी राजकुमारी को आमंत्रित किया गया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे।