Oil Price Down: त्योहारी सीजन में खाने के तेल मे जबरदस्त गिरावट, जानिए आपकी जेब पर क्या होगा असर
HR Breaking News, डिजिटल डेस्क नई दिल्ली, देश में लगातार बढ़ती महंगाई को कम करने के लिए केंद्र सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। दिवाली के त्योहार को अब कुछ ही दिन बचे हैं। हर साल त्योहारी सीजन में लोगों का खर्चा भी बढ़ जाता है। ऐसे में महंगाई उनके लिए बड़ी समस्या हो सकती है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि मोदी सरकार ने देख में खाने वाले तेल (Edible Oil) की कीमत को काबू में रखने के लिए बड़ा कदम उठाया है।
लागू रहेगा खाद्य तेलों पर रियायती आयात शुल्क
रविवार को खाद्य मंत्रालय ने विशिष्ट खाद्य तेलों पर रियायती आयात शुल्क यानी इम्पोर्ट ड्यूटी (Import Duty) की अवधि बढ़ाने का ऐलान किया। सरकार ने इसे अगले साल मार्च तक बढ़ा दिया है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने खाने के तेल की डोमेस्टिक सप्लाई को बढ़ावा देने और रिटेल कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए 31 अगस्त 2022 को यह फैसला लिया था। इस मामले में मंत्रालय ने कहा कि ग्लोबल कीमतों में गिरावट की वजह से डोमेस्टिक खाद्य तेल की कीमतों में नरमी का रुख रहा है। ऐसे में कम वैश्विक दरों और कम आयात शुल्क से भारत में खाद्य तेलों की रिटेल कीमत में गिरावट आई है।
शून्य है आयात शुल्क
अब कच्चे पाम तेल (Palm Oil), RBD पामोलिन, RBD पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल, कच्चे सनफ्लावर ऑयल तेल और रिफाइन्ड सनफ्लावर ऑयल पर मौजूदा शुल्क 31 मार्च 2023 तक अपरिवर्तित रहेगा। इसी के साथ पाम ऑयल, सोयाबीन ऑयल और सनफ्लावर ऑयल की कच्ची किस्मों पर आयात शुल्क फिलहाल शून्य है। हालांकि, पांच फीसदी एग्रूचल्चर सेस और 10 फीसदी सोशल वेलफेयर सेस को ध्यान में रखते हुए इन तीन तेलों की कच्ची किस्मों पर प्रभावी शुल्क 5.5 फीसदी है। वहीं पामोलिन और रिफाइंड पाम तेल पर मूल सीमा शुल्क 12.5 फीसदी, जबकि सोशल वेलफेयर सेस 10 फीसदी है। इस तरह से प्रभावी शुल्क 13.75 फीसदी है।
तेल-तिलहन कीमतों में पिछले हफ्ते गिरावट का रुख
मालूम हो कि पिछले हफ्ते ग्लोबल मार्केट में खाने के तेल का बाजार टूटने से दिल्ली तेल तिलहन बाजार में भी गिरावट का रुख देखने को मिला। डोमेस्टिक मार्केट में सोयाबीन और मूंगफली की नई फसल आने से खाद्य तेलों के दाम टूटते दिखे, जिसका प्रभाव बाकी के खाद्य तेलों पर भी दिखा।