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PM Ann Yojana: क्या सरकार बंद करेगी मुफ्त राशन योजना?

Pradhan Mantri Garib Kalyan Anna Yojana (PM-GKAY): वित्त मंत्रालय ने सरकार को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएम-जीकेएवाई) के बारे में होने वाले अत्याधिक खर्च के बारे में आगाह किया है। उसने कहा है कि सरकार के योजना बंद करनी चाहिए। पढ़े पूरी खबर..

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HR Breaking News, New Delhi: कोरोना काल में आमजन का जीवन-यापन करना मुश्किल हो गया था। ऐसा लग रहा था जैसे पूरी दुनिया को ब्रेक लग गया हो। फैक्ट्ररियां-कारोबार सब बंद हो गए है। सबसे ज्यादा मार रोज कमाकर खाने वाले यानि श्रमिक वर्ग को पड़ी थी। उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना लागू किया था। इससे आमजन व श्रमिक वर्ग को बेहद ज्यादा मिला था। इस योजना का कई राज्यों में अभी भी फायदा मिल रहा है। अब वित्त मंत्रालय ने सरकार को इसके बारे में होने वाले अत्याधिक खर्च के बारे में आगाह किया है। उसने कहा है कि सरकार के योजना बंद करनी चाहिए।   

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गरीबों के लिए मुफ्त अनाज योजना – ‘पीएम-जीकेएवाई’ को सितंबर से आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए क्योंकि इससे सरकारी खजाने पर ज्यादा बोझ आ सकता है। यह आशंका वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाले व्यय विभाग को है। व्यय विभाग के मुताबिक अब जब महामारी का प्रभाव काफी हद तक कम हो गया है, इसकी आवश्यकता नहीं है।


अब तक कितने रुपये हुए खर्च: आपको बता दें कि मार्च 2022 में, सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएम-जीकेएवाई) योजना को और छह महीने यानी सितंबर 2022 तक बढ़ा दिया था। सरकार ने इस योजना पर मार्च तक लगभग 2.60 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं और सितंबर 2022 तक 80,000 करोड़ रुपये और खर्च किए जाएंगे। इससे पीएम-जीकेएवाई के तहत कुल खर्च लगभग 3.40 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। इस योजना में लगभग 80 करोड़ लाभार्थी शामिल हैं।

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क्या है तर्क: विभाग के मुताबिक पीएमजीकेएवाई को जारी रखने के हालिया फैसले के अलावा उर्वरक सब्सिडी बोझ (यूरिया और गैर-यूरिया दोनों) में भारी वृद्धि, रसोई गैस पर सब्सिडी की एक बार फिर शुरुआत, पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क या विभिन्न उत्पादों पर सीमा शुल्क में कमी ने एक गंभीर वित्तीय स्थिति पैदा कर दी है।  

व्यय विभाग ने कहा कि इस वित्त वर्ष के लिये बजट में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है। यह ऐतिहासिक मानकों से बहुत अधिक है। राजकोषीय स्थिति में गिरावट गंभीर प्रतिकूल परिणामों का जोखिम पैदा करती है। बजट में राजकोषीय घाटा 6.4 प्रतिशत या 16.61 लाख करोड़ रुपये आंका गया था। चालू वित्त वर्ष के पहले महीने अप्रैल में यह घाटा 74,846 करोड़ रुपये रहा जो पूरे साल के लक्ष्य का 4.5 प्रतिशत है।