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Gold Rate : 16 साल बाद सोने में सबसे बड़ी गिरावट, बढ़ती कीमतों के बीच यह क्या हुआ

Gold Rate : इस साल सोने के दामों में बेहिसाब बढ़ौतरी ने लोगों को परेशान कर रखा। जहां एक ओर लगातार दाम बढ़ने से निवेशकों को राहत मिली है, वहीं दूसरी ओर आम खरीददारों को सोने (Gold Rate) ने परेशान कर दिया है। शादी विवाह के शुभ कार्यों के लिए सोना खरीदना भी मुश्किल हो रहा है। वहीं, इसी बढ़ौतरी के बीच 16 साल का इतिहास भी सोने को लेकर टूटा है।

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Gold Rate : 16 साल बाद सोने में सबसे बड़ी गिरावट, बढ़ती कीमतों के बीच यह क्या हुआ

HR Breaking News (Gold Rate) सोने के दाम इस साल की शुरुआत से ही बढ़ते जा रहे हैं। सोने के दामों में निरंतर बढ़ौतरी का दौर देखने को मिला है। हालांकि कुछ दिन से सोने के दामों (Gold Rate) में गिरावट भी देखने को मिल रही है। गिरावट भी कम नहीं है, जिस प्रकार वृद्धि हुई इसी प्रकार गिरावट भी हुई है। 

 


क्यों बढ़े सोने के दाम 


सोने के दाम बढ़ने का पहला कारण टैरिफ वॉर है। ट्रंप के टैरिफ वॉर की वजह से सोने की कीमत लगातार बढ़ती गई है। सोना इस साल लोगों की पहुंच से बाहर होता गया है।

 

जैसे ही अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ को लेकर घोषणाएं की तो बाजार में अनिश्चितता का माहौल उतपन्न हुआ और निवेशकों ने बाजार से निकालकर अपना पैसा सोने में लगाना शुरु कर दिया, जिससे बाजार में सोने की मांग बढ़ी और सोने के दाम (Gold Rate) भी बढ़ते चले गए। 

 

 

सोने ने बनाए नए रिकॉर्ड


सोने के दामों (Gold Rate) ने इस साल लगातार रिकॉर्ड बनाए हैं। सोने के दाम साल के अंत से बढ़ने शुरु हुए थे, जो इस साल की शुरुआत से भी तेज रहे और अप्रैल के अंतिम सप्ताह तक तेजी बरकरार रही। सोना 22 अप्रैल को 1 लाख को क्रॉस कर गया था।

वहीं, एमसीएक्स पर भी सोना 99358 रुपये पर पहुंच गया था। ऐसे में सोने के दाम बढ़ने के बाद मुनाफावसूली का दौर भी शुरू होता लग रहा है। इसके बाद से सोने के दाम लगातार गिरते जा रहे हैं।

निवेशक नहीं गवां रहे मौका


सोने के दाम जहां अब कुछ दिन से कम हुए हैं तो निवेशक मौका नहीं गवां रहे हैं। कीमतें स्थिर होने तक आम खरीदार बाजार से दूरी बनाए हुए हैं। अब सोने के दाम कम होने पर गहनों की खरीदारी की जा सकती है। 

16 साल बाद इतनी बड़ी गिरावट


सोनार खरीदने में अब 16 साल बाद बड़ी गिरावट देखने को मिली है। 2025 की पहली तिमाही में देश में सोने के गहनों की मांग 25 प्रतिशत कम हो गई है। 16 साल बाद यानी, 2009 के बाद यह सबसे कमजोर शुरुआत है। सोने की मांग में ज्वेलरी की मामले में यह बहुत बड़ी गिरावट है। 

निवेशकों के तौर पर बढ़ी मांग, दस साल में सबसे ज्यादा निवेशकों के तौर पर सोने की मांग 7 प्रतिशत बढ़ी है। यह बढ़कर 46.7 टन पहुंच गई है। पहली तिमाही में सोने की कुल मांग में निवेश की हिस्सेदारी 39.5 प्रतिशत रही है। यह 10 साल का सबसे ऊंचा स्तर है। 

प्राइस वॉच मोड में लोग


सोना एमसीएक्स पर इस साल 99,000 तोला को पार कर चुका है। इस वजह से आम ग्राहकों की पहुंच से सोना दूर निकला है। आम ग्राहक प्राइस वॉच मोड में हैं। बाजार में अनिश्चितता व जियो पॉलिटिक्स में तनाव के चलते सोने में ईटीएफ और सिक्कों के माध्यम से निवेश बढ़ गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के इंडिया सीईओ सचिन जैन का कहना है कि अधिकतर गहनों के खरीदार सोने की कीमत स्थिर होने का इंतजार कर रहे हैं।  


पहली तिमाही में ज्वेलरी बनाम सोना


सोने का प्रकार    मांग (टन में)    सालाना बदलाव

  • गहनों की मांग    71.4     25% कम हुई
  • निवेशकों की मांग    46.7    +7% बढ़ी
  • कुल डिमांड में निवेश की हिस्सेदारी    39.5%    10 साल में सबसे ज्यादा रही है। 


आगे क्या रहेंगे सोने के दाम
 

सोने के दाम भविष्य में परिस्थितियों पर निर्भर करेंगे। अलग अलग एक्सपर्ट्स के अलग अलग दावे हैं। जॉन मिल्स का मानना है कि आगे राजनीतिक हालाता सामान्य होंगे और बाजार के हालत ठीक होने पर निवेशक बाजार में वापसी करेंगे जिससे सोने के दामों में गिरावट आएगी।

सोने की आपूर्ति ज्यादा होने व मांग कम होने से सोना 1800 डॉलर प्रति औंस तक आ सकता है, यानी सोने के दाम भारतीय बाजार के हिसाब से 56 हजार रुपये तोला तक गिर सकत हैं।

वहीं, दूसरी ओर गोल्डमैन का अनुमान आया है कि सोने के दाम निरंतर बढ़ेंगे और साल के अंत तक 4500 डॉलर प्रति औंस तक सोना जा सकता है, जोकि भारतीय मूद्रा के हिसाब से देखें तो 1 लाख 38 हजार रुपये प्रति तोला के आसपास बनता है। 
 

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