EMI वालों को मिलेगी बड़ी राहत, RBI की गाइडलांइस
RBI Update - हाल ही में आरबीआई की ओर से आए एक अपडेट के मुताबिक ये कहा जा रहा है कि ईएमआई वालों को बड़ी राहत मिलने वाली है। ऐसे में आइए नीचे खबर में विस्तार से जानें आरबीआई की नई गाइडलाइंस को...
HR Breaking News, Digital Desk- Home Loan EMI: 10 अगस्त की मॉनेटरी पॉलिसी (monetary policy) में केंद्रीय बैंक (RBI) ने कर्ज लेने वालों को राहत दी है और रेपो रेट (repo rate) में बदलाव नहीं किया है. हालांकि, केंद्रीय बैंक ने फूड इनफ्लेशन के चलते तेजी से आगे महंगाई बढ़ने पर कड़े नीतिगत रुख का संकेत भी दिया. रेपो रेट में न बदलाव का मतलब है कि फिलहाल मकान, वाहन समेत अन्य कर्ज की मासिक किस्त (EMI) में कोई बदलाव नहीं होगा.
यहीं नहीं मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू (monetary policy review) में रिजर्व बैंक ने कंज्यूमर्स के हितों के संरक्षण के मकसद से लोन की ईएमआई के ब्याज दर और टेन्योर को लेकर अधिक पारदर्शिता लाने की पहल की है. अलग अलग बैंकों से बात चीत के आधार पर केंद्रीय बैंक ईएमआई (central bank emi) को लेकर जल्द ही एक गाइडलाइंस ला सकती है.
क्या है ईएमआई पर प्रस्ताव-
RBI के अनुसार अगर जरूरी न हो तो लोन के लंबे टेन्योर से बचने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कर्ज भुगतान की अवधि बढ़ाने का मामला अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग हो सकता है. बैंकों को ऐसे मामलों की निगरानी करने की जरूरत है. बैंक बोर्ड को इनडिविजुअल की क्षमता को ध्यान में रखते हुए लोन की अवधि तय करने की जरूरत है. आरबीआई जल्द ही इस पर विस्तार से गाइडलाइंस जारी करेगा. इसके तहत बैंकों द्वारा अपने ग्राहकों को कर्ज अवधि और ईएमआई के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी होगी. फ्लोटिंग से फिक्स्ड ब्याज दर का विकल्प चुनने या कर्ज समय से पहले खत्म करने का विकल्प देने के साथ लगने वाले शुल्क की जानकारी भी स्पष्ट रूप से देनी होगी.
क्या बैंकों की कर्ज देने की क्षमता पर पड़ेगा असर-
RBI की मॉनेटरी पॉलिसी पर बैंकों ने कहा कि 10 फीसदी इंक्रीमेंटल कैश (incremental cash) रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) लागू करने से बैंकों की कर्ज देने की क्षमता प्रभावित नहीं होगी. बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों ने नीति को बारीक अर्थ वाला बताया और कहा कि नीतिगत दरों पर यथास्थिति उम्मीद के मुताबिक है. बैंकिंग उद्योग के संगठन भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के चेयरमैन ए के गोयल ने कहा कि कैश की इस अस्थायी रोक के बाद भी अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रणाली में पर्याप्त नकदी रहेगी.
‘ भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने सीआरआर पर लिए गए फैसले का सीधे तौर पर उल्लेख नहीं किया, लेकिन नीति घोषणा को ”बेहद बारीक” और सावधानी से तैयार किया गया दस्तावेज बताया. उन्होंने कहा कि सब्जियों की कीमतों में मौजूदा उछाल को देखते हुए महंगाई पर उचित सावधानी बरती गई है. स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के जरीन दारूवाला ने कहा कि सीआरआर पर लिया गया फैसला आश्चर्यजनक है और इससे त्योहारी सत्र से पहले अल्पकालिक दरों पर दबाव पड़ेगा.
2023 में दरों में कटौती की उम्मीद नहीं-
उद्योग मंडल एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था से पैदा हुई चुनौतियों के बावजूद आरबीआई-एमपीसी के पास कई सकारात्मक बातें भी थीं, जैसे 6.5 फीसदी की जीडीपी ग्रोथ, विनिर्माण क्षेत्र में क्षमता उपयोग में बढ़ोतरी और प्रमुख सेक्टर में निजी निवेश. उद्योग निकाय फिक्की के अध्यक्ष शुभ्रकांत पांडा ने कहा कि एमपीसी (mpc) ने नीतिगत दर पर यथास्थिति बनाकर संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है, जो महंगाई को टारगेट करते हुए ग्रोथ का समर्थन करेगा.
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि आरबीआई ने इस बार रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया है, जो उम्मीद के मुताबिक है. दिलचस्प बात यह है कि आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई के अनुमान को 5.1 फीसदी से बढ़ाकर 5.4 फीसदी कर दिया है. दूसरी तिमाही में इसके 6.2 फीसदी रहने का अनुमान है. इससे संकेत मिलता है कि 2023 में दर में कटौती की कोई संभावना नहीं है.