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Electric Cars : अब हर घर में होगी इलेक्ट्रिक कार, सरकार के हाथ लगा खजाना

हाल ही में देश के एक राज्य में एक ऐसा खज़ाना मिला है जिससे अगले 50 साल तक पूरी दुनिया पर सिर्फ भारत का डंका बजेगा और देश में मिले इस ख़ज़ाने से पडोसी मुल्क चाइना भी घबरा गया है 

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HR Breaking News, New Delhi : वाकई कुदरत की मेहरबानी के आगे सब कुछ फेल हो जाता है. मौजूदा वक्त के खजाने पर कब्जा कर चीन इतरा रहा है. लेकिन, उसका इतराना अब भारी पड़ने वाला है. ईश्वर ने भारत को उससे बड़ा खजाना दे दिया है. यह इतना बड़ा है कि अगले 50 सालों तक भारत, चीन ही नहीं पूरी दुनिया को बैकफुट पर ढकेल सकता है. इस खजाने से भारत करीब एक अरब कारों के लिए बैटरी बना सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर साल 2.2 करोड़ नई गाड़ियां बिकती हैं. इस हिसाब अगर पेट्रोल-डीजल पर पूरी तरह बैन और सभी नई गाड़ियों को इलेक्ट्रिक बना दिया जाए तो भी भारत अगले 50 सालों तक इस खजाने से उनके लिए बैटरी बनाता रहेगा. भारत के हाथ लगे इस खजाने की वजह से सबसे ज्यादा पड़ोसी देश चीन परेशान है. अभी तक इस खजाने पर उसका कब्जा था. वह इस दम पर दुनिया को अपने हिसाब से चला रहा था. लेकिन, दुनिया को हांकने का उसका सपना टूटने वाला है.

दरअसल, हम जिस खजाने की बात कर रहे हैं वह अद्भूत है. वह भविष्य के विकास का आधार है. उसी के दम पर आने वाली दुनिया चलने वाली है. उस दुनिया में पेट्रोल-डीजल का नामो-निशान मिटने वाला है. इस खजाने के अभाव में भारत अब तक दुनिया के मंच पर असहाय महसूस कर रहा था. लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा. इस साल भारत में होने जा रहे जी-20 देशों के सम्मेलन में इस खजाने के दम पर भारत वैश्विक शक्तियों के साथ दमखम से खड़ा दिखेगा. दरअसल, इस खजाने का नाम है लिथियम भंडार. जलवायु परिवर्तन की मार झेल रही दुनिया ऊर्जा के नए स्रोत खोजने में लगी है. पेट्रोल-डीजल का सबसे अहम विकल्प बैटरी आधारित इलेक्ट्रिक गाड़ियां हैं. इस ओर पूरी दुनिया तेजी से दौड़ रही है. लेकिन, यहां पर भारत के पग थोड़े डगमगा रहे थे. भारत के पास वो रेयर मैटेरियल नहीं थे जिससे कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरियां बनाई जाती हैं. इसके लिए वह पूरी तरह आयात पर निर्भर था. इस क्षेत्र में चीन ने जबरदस्त कब्जा कर रखा है. वह एक हिसाब से इलेक्ट्रिक कार बैटरी बाजार को अपने हिसाब से चलाता है. लेकिन, उसकी यह मोनोपॉली अब धरी की धरी रह जाने वाली है.

59 लाख टन का खजाना
चीन की चुनौती का काट ढूंढ़ रहे भारत की झोली कुदरत ने एक झटके में भर दी है. हमारे जम्मू-कश्मीर राज्य के रियासी जिले में 59 लाख टन लिथियम का भंडार मिला है. इस भंडार से इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए बैटरी आयात पर हमारी निर्भरता कम होगी. इस लिथियम से कारों की बैटरी के साथ-साथ मोबाइल, लैपटॉप आदि की भी बैटरियां बनती हैं.

लिथियम का इस्तेमाल
लिथियम अल्कालाइन मेटल है, जो बहुत हल्का और उच्च रिएक्टिव होता है. मुख्य रूप से इसका इस्तेमाल बैटरी बनाने में किया जाता है. इसमें प्रति किलोग्राम सबसे ज्यादा ऊर्चा स्टोर करने की क्षमता होती है. इस कारण इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी बनाने के लिए फिलहाल यह सबसे उपयुक्त मेटल है. टेस्ला से लेकर टाटा तक दुनिया की सभी बड़ी कंपनियां इसी लिथियम से बनी बैटरियां इस्तेमाल करती हैं.

92 करोड़ कारों के लिए बनाई जा सकेगी बैटरी
जम्मू-कश्मीर में जो खजाना हाथ लगा है उसका आकार 59 लाख टन यानी करीब 5.9 अरब किलो है. यह एक बड़ा ही रोचक तथ्य है. इतने लिथियम से हम कितनी बैटरियां बना सकते हैं? ऐसे सवाल लाजिमी हैं. हमने इसी का जवाब तलाशने की कोशिश की. इस बारे में काफी खंगाला गया. इसी संदर्भ में केमिकल प्रोसेस डेवलपमेंट एक्सपर्ट पॉल मार्टिन (Paul Martin) की एक रिपोर्ट मिली. लिंक्डइन वेबसाइट पर 29 नवंबर 2017 को उन्होंने अपनी एक विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट डाली है. इस रिपोर्ट में उन्होंने एक बैटरी वाली कार में कितने लिथियम की जरूरत पड़ती है इसकी गणना पेश की है. उन्होंने तमाम संर्दभ दिए हैं. लेकिन, अंत में अपना निष्कर्ष दिया है कि 1 kWH की बैटरी में 160 ग्राम लिथियम की जरूरत पड़ती है. ऐसे में अगर हम एक औसत कार की बैटरी क्षमता 40 kHw मान लें तो उसमें 6.4 किलो लिथियम की जरूरत पड़ेगी. इस तरह इस लिथियम भंडार से करीब 92 करोड़ बैटरियां बनाई जा सकेंगी. इसके अलावा कर्नाटक के मांड्या जिले में भी 1600 टन लिथियम का भंडार मिला है. इसका भी इस्तेमाल होगा.

चीन का दबदबा
दुनिया में बोलिविया के पास 21 मिलियन टन, अर्जेंटीना के पास 17 मिलियन टन और ऑस्ट्रेलिया के पास 6.3 मिलियन टन लिथियम है. बोलिविया, चीली और अर्जेंटीना को लिथियम ट्राइएंगल कहा जाता है. चीन के पास 4.5 मिलियन टन लिथियम भंडार है, जो दुनिया के कुल भंडार का 7.9 फीसदी है. दरअसल, चीन ने अन्य देशों के लिथियम खदानों में भारी निवेश कर रखा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक उसने 16 अरब डॉलर का निवेश किया है. इस कारण दुनिया के लिथियम मार्केट में उसकी मोनोपॉली है. रिपोर्ट के मुताबिक इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरी के लिए सप्लाई किए जाने वाले लिथियम के 55 फीसदी हिस्से पर चीन का कब्जा है. इसी कारण चीन अपने यहां बेहद तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे रहा है.