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Success Story : सिर पर गहरी चोट के बाद भी नहीं टूटा हौसला, आज है 810 करोड़ की कंपनी के मालिक

आज हम आपको एक ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने सिर पर गहरी चोट लगने के बावजूद भी अपने हौसलों को नहीं टूटने दिया और आज करोड़ों की संपत्ति के मालिक है। 
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HR Breaking News (ब्यूरो) : मैथ्स एक ऐसा सबजेक्ट है जिसको लेकर बच्चों के दिमाग में कहीं न कहीं एक डर बैठा रहता है. बच्चे अक्सर गणित से दूर भागते हैं. लेकिन बच्चों के मन से इस डर को निकालने का काम नीलकंठ भानु (Neelakantha Bhanu) ने बखुबी किया है. वैसे तो नीलकंठ भानू का नाम सुना होगा, 2020 में उनका नाम काफी सुर्खियों में था. नीलकंठ ने बच्चों की मैथ्स में रुचि जगाने और उसमें आगे बढ़ने में मदद करने के लिए 2020 में अपना स्टार्टअप Bhanzu लॉन्च किया था.

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उन्होंने माइंड स्पोर्ट्स ओलंपियाड (MSO) के मेंटल कैलकुलेशन वर्ल्ड चैंपियनशिप में इंडिया के लिए पहला गोल्ड मेडल जीता था. उनके नाम पर पांच वर्ल्ड रिकॉर्ड्स हैं. इसके अलावा 50 लिम्का रिकॉर्ड्स हैं. हैदराबाद के नीलकंठ भानु “हर वक़्त अंकों के बारे में सोचते रहते हैं” और अब वो दुनिया के सबसे तेज़ ह्यूमन कैलकुलेटर हैं. चलिए जानते हैं इनके बारे में सबकुछ


सिर में चोट की वजह से एक साल रहे बिस्तर में


नीलकंठ ने बताया मैं एक स्कूल जानें वाला बच्चा था. लेकिन पांच साल की उम्र में एक दुर्घटना की वजह से मुझे एक साल बिस्तर में रहना पड़ा. डॉक्टर ने मेरे माता-पिता को कहा गया था कि मेरे देखने-सुनने-समझने की क्षमता पर असर पड़ सकता है. फिर मैं पजल आदि सॉल्व करने लगा. मैंने अपने दिमाग को व्यस्त रखने के लिए मेंटल मैथ्स कैलकुलेशन करना शुरू किया. धीरे-धीरे इसमें मेरी दिलचस्पी बढ़ती गई.

भानू ने कहा कि मेरे पेरेंट्स ने मेरी दिलचस्पी को देखते हुए मुझे शतरंज के लिए भेज दिया. उस दौरान एक दो अर्थमेटिक चैंपियनशिप हो रहे थे, जिसमें एक में मैंने हिस्सा लिया. मै तीसरे पॉजिशन पर आया. और फिर इसी तरह मैं चैंपियनशिप में हिस्सा लेता गया. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं फास्टेस्ट ह्यूमन कैलकुलेटर बन जाउंगा.


इस तरह करते थे प्रैक्टिस


बचपन में भानु स्कूल से आने के बाद छह से साथ घंटों तक प्रेक्टिस करते थे. लेकिन चैम्पियनशिप्स जीतने और रिकॉर्ड बनाने के बाद से वो हर दिन “इतनी फॉर्मल प्रेक्टिस” नहीं करते हैं. इसके बजाए अब वो अलग तरह से प्रेक्टिस करते हैं, जिसमें वो कहते हैं कि “मैं हर वक़्त अंकों के बारे में सोचता रहता हूं.” भानु बताते हैं, “मैं तेज़ संगीत बजाकर प्रेक्टिस करता हूं, इस बीच लोगों से बात करता हूं, मिलता हूं और क्रिकेट भी खेलता हूं. क्योंकि इससे आपका दिमाग एक वक़्त में कई सारी चीज़ें एक साथ करने के लिए ट्रेन होता है.”

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देसी-विदेशी स्टूडेंट्स तक पहुंचने का इरादा वर्ष 2020 में ब्रिटेन में आयोजित ‘माइंड स्पोर्ट्स ओलंपियाड’ जीतने वाले पहले एशियाई बनने के बाद नीलकंठ भानु ने उसी वर्ष ‘भांजु’ की नींव रखी. जिसकी वैलयूएशन 10 करोड़ डॉलर (810 करोड़ रुपये) पर पहुंच गई है. आज ‘भांजु’ के जरिये वे तीस हजार से अधिक स्टूडेंट्स एवं उनके पैरेंट्स का विश्वास प्राप्त करने में सफल रहे हैं.