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Success Story- पिता ने ईंट ढोकर और मां ने दूसरों के घर रोटियां बनाकर किया परिवार का गुजारा, बेटा छोटी उम्र में बना IPS

आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहे है जिसमें पिता ने ईंट ढोकर तो मां ने दूसरों के घर रोटियां बनाकर अपने परिवार को पालन-पोषण किया। आज इन्हीं के बेटे ने अपनी मेहनत के दम पर बड़ी कुर्सी हासिल की है। आइए जानते है इनकी सफलता की पूरी कहानी। 
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HR Breaking News, Digital Desk-  IPS Safin Hasan - सिर्फ 22 साल की उम्र में यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा में सफलता हासिल कर साफिन हसन ने सबको चौंका दिया था। साल  2017 में UPSC की परीक्षा में 570वीं रैंक हासिल कर IPS बने साफिन हसन को तमाम रातें भूखे पेट काटनी पड़ी थीं।

उनकी मां दूसरों के घर में रोटियां बनाती थीं और पिता दिन में मजदूरी और रात में ईंट ढोते थे। ताकि गृहस्थी चल सके। साफिन बचपन से ही बहुत ब्राइट स्टूडेंट थे और अपनी मेहनत और लगन के चलते गरीबी को पछाड़कर 22 साल की उम्र यूपीएससी की परीक्षा क्लियर की। आइये जानते हैं साफिन हसन के लाइफ से जुड़ी कहानी-

गरीबी में कटा बचपन, रिश्तेदारों ने दी थी फीस-

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, साफिन हसन की आर्थिक स्थिति काफी बुरी थी। उनकी पढ़ाई के लिए परिवार को तमाम मुश्किलें झेलनी पड़ीं। जहां मां ने दूसरों के घर में काम किया तो पिता को भी मजदूरी करनी पड़ी। लेकिन साफिन हसन ने हार नहीं मानी। उन्होंने किसी तरह 10वीं तक की पढ़ाई गांव में ही पूरी की। फिर पालनपुर के स्कूल में आगे दाखिला लिया। यहां स्कूल प्रशासन ने गरीबी को देखते हुए उनकी  11वीं और 12वीं की फीस माफ कर दी थी। बाद में जब इंजीनियरिंग में दाखिला लिया, तो रिश्तेदारों ने फीस भरने में मदद की।

परीक्षा से ऐन पहले हो गया था एक्सीडेंट-


 बता दें कि साल 2016 में जब साफिन यूपीएससी की परीक्षा दे रहे थे तो मेन्स के पेपर से ठीक पहले उनका एक्सीडेंट हो गया था, लेकिन अच्छी बात यह थी कि उनके दाहिने हाथ में गंभीर चोट नहीं आई थी, लेकिन दर्द था। ऐसे में वे पेन किलर खाकर परीक्षा देने गए और सफलता हासिल की। ट्रेनिंग के बाद जामनगर में उनकी पहली पोस्टिंग हुई थी।

10 साल की उम्र में अफसर बनने का देखा सपना-


रिपोर्ट्स के अनुसार, साफिन जब 10 साल के थे तो उन्होंने मेले में एक कलेक्टर की लाल बत्ती वाली कार देखी और उसके बाद इस बात का फैसला लिया कि वह भी एक दिन एक बड़े अफसर बनेंगे। हसन UPSC से पहले गुजरात पीएससी परीक्षा में भी बैठे थे और 34वीं रैंक हासिल की थी। जिसके बाद उन्हें जिला रजिस्ट्रार की नौकरी भी मिली, लेकिन उन्होंने यूपीएससी के लिए अपनी कोशिश जारी रखी और आईपीएस बनकर ही दम लिया।