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Success Story: पिता चाहकर भी नहीं दे पा रहे थे पैसा, ब्याज के पैसे से की परीक्षा की तैयारी, आज बनें आईएएस अधिकारी

 IAS Veer Pratap - अगर इरादे मजबूत हों तो राह में आने वाली कोई भी मुश्किल आपका रास्ता नहीं रोक सकती. यह साबित करती है, वीर प्रताप सिंह की कहानी. जिनके पिता उनकी शिक्षा के लिए चाहकर भी पैसा नहीं जुटा पा रहे थे। इन्होंने ब्याज के पैसों से अपनी परीक्षा पास की है। आइए जानते है इनके आईएएस तक का सफर।
 
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HR Breaking News, Digital Desk- अगर इरादे मजबूत हों तो राह में आने वाली कोई भी मुश्किल आपका रास्ता नहीं रोक सकती. यह साबित करती है, बुलंदशहर के वीर प्रताप सिंह की कहानी. इनके पिताजी ने ब्याज पर पैसा लेकर इनकी पढ़ाई पूरी करवायी लेकिन आर्थिक अभावों के आगे कभी घुटने नहीं टेके. वीर प्रताप सिंह राघव ने पैसे की कमी को कभी पढ़ाई के आड़े नहीं आने दिया.

वीर की वीरता की दास्तां वीर प्रताप सिंह राघव के पिता किसान थे. उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. वे चाहकर भी शिक्षा पूरी नहीं कर पा रहे थे. उनके बड़े भाई भी सिविल सर्विसेस की तैयारी करना चाहते थे. पर पैसे के अभाव में उनकी यह इच्छा अधूरी रह गयी और उन्हें सीआरपीएफ की नौकरी करनी पड़ी. ऐसे में वीर के पिता और बड़े भाई दोनों ने मिलकर ठाना की अब छोटे भाई को सपनों से समझौता नहीं करने देंगे.

उनके पिताजी ने तीन प्रतिशत महीने के ब्याज पर पैसा उधार लिया और बेटे को पढ़ाई के लिये दे दिया. वीर ने भी अपने पिता और भाई के सहयोग का मान रखा और तीसरी बार में यूपीएससी की यह कठिन परीक्षा साल 2018 में 92वीं रैंक के साथ पास कर ली. इस प्रकार दलतपुर गांव के इस बेटे ने सफलता की नयी कहानी लिख दी जो आज सभी युवाओं के लिये प्रेरणास्त्रोत हैं.

शुरुआती शिक्षा वीर का स्कूल गांव से पांच किलोमीटर दूर था. यह लंबी दूरी वे रोज़ तय करते थे और ऐसे ही उन्होंने कक्षा पांच तक की पढ़ाई पूरी की. पुल के न होने के कारण उन्हें कई बार नदी पार करके स्कूल तक का रास्ता तय करना पड़ता था. पर वे किसी भी हाल में निराश नहीं होते थे. वीर प्रताप सिंह ने प्राथमिक शिक्षा आर्य समाज स्कूल करौरा और कक्षा छह से हाईस्कूल तक की शिक्षा सूरजभान सरस्वती विद्या मंदिर शिकारपुर से हासिल की.

उच्च शिक्षा की बात करें तो उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से 2015 में बीटेक पास किया. इसमें दर्शनशास्त्र उनके पास ऑप्शनल सब्जेक्ट के रूप में था. खास बात यह है कि इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के होने के बावजूद वीर प्रताप सिंह मुख्य परीक्षा में दर्शनशास्त्र विषय में सबसे अधिक अंक लाने वाले कैंडिडेट्स की सूची में दूसरे स्थान पर रहे.

न रुके, न थके एक साक्षात्कार में वीर प्रताप सिंह राघव ने अपनी कहानी शेयर करते हुए कहा कि हम देखते हैं कि ज्यादातर सिविल सर्वेंट एलीट क्लास से आते हैं, पर तमाम ऐसे भी होते हैं जो गांवों से निकलकर आईएएस बनते हैं. ऐसे लोगों की कहानी बहुत संघर्ष भरी होती है. इस परीक्षा की तैयारी के विषय में उनका मानना है कि सफलता के लिये कोई शॉर्ट कट नहीं होता, जो व्यक्ति पूरे दिल से बाकी सबकुछ भूलकर मेहनत करता है अंततः वही सफल होता है.

वीर की जिंदगी में कई बार ऐसे अवसर आये जब अभावग्रस्त जीवन ने उन्हें निराश कर दिया लेकिन इरादे के पक्के वीर न तो कभी थके न ही रुके. इन शतत प्रयासों का ही परिणाम है कि दो बार असफल होने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और मंजिल तक पहुंचने के बाद ही दम लिया. वीर की कहानी हमें सिखाती है कि जिनके हौसले अटल होते हैं, उनका रास्ता कोई नहीं रोक सकता.