Success Story- दिन में करते थे वेटर का काम, रात को की मन लगाकर पढ़ाई, जानिए IAS तक सफर
कहते हैं कि लगातार परिश्रम से सफलता जरूर हासिल होती है। इस बात IAS अधिकारी के. जयगणेश पर बिल्कुल सटीक बैठती है। जिन्होंने दिन में तो वेटर का काम किया लेकिन रात को मन लगाकर पढ़ाई की और आईएएस बन गए। आइए खबर में जानते है इनके आईएएस बनने तक का सफर।
HR Breaking News, Digital Desk- कहते हैं कि लगातार परिश्रम से सफलता जरूर हासिल होती है। इस बात IAS अधिकारी के. जयगणेश पर बिल्कुल सटीक बैठती है। तमाम विपरीत परिस्थितियों और छह बार सिविल सर्विस की परीक्षा में फेल होने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अपने सपने को सच कर दिखाया। के. जयगणेश की पारिवारिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी।
इस वजह से कभी उन्हें वेटर की नौकरी भी करनी पड़ी थी। लेकिन अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर उन्होंने सिविल सेवा में 156वीं रैंक हासिल कर IAS बनने का सपना पूरा कर लिया। आइए जानते हैं के. जयगणेश के लाइफ से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें-
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इंजीनियरिंग छोड़ शुरू की थी तैयारी-
के. जयगणेश एक बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता घर चलाने के लिए फैक्ट्री में काम करते थे। जयगणेश बचपन से ही पढ़ाई में अच्छे थे और उन्होंने 12वीं की परीक्षा 91 प्रतिशत अंकों के साथ पास की थी। इसके बाद उन्होंने तांथी पेरियार इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन ले लिया। पढ़ाई पूरी होने के बाद उनकी एक कंपनी में नौकरी भी लग गई, जहां उन्हें 2500 रुपये महीने तनख्वाह मिलती थी। जयगणेश को अपनी नौकरी को लेकर ऐसा लगने लगा था कि 2500 रुपए में उनका घर नहीं चलेगा और उन्होंने नौकरी छोड़ दी और यूपीएससी की पढ़ाई शुरू कर दी।
क्यों करनी पड़ी थी वेटर की नौकरी-
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जब जयगणेश यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे तो उनके पास रहने और खाने के लिए पैसे नहीं थे और इसी वजह से उन्होंने एक होटल में वेटर की नौकरी करनी पड़ी थी। उन्होंने ऐसा इसलिए भी किया क्योंकि इंजीनियरिंग की डिग्री के बावजूद उन्हें कोई ढंग की नौकरी नहीं मिल रही थी और वे घर नहीं लौटना चाहते थे।
दिन में नौकरी और रात को पढ़ाई कर बने IAS-
मूल रूप से तमिलनाडु के उत्तरीय अम्बर के पास स्थित एक छोटे से गांव के रहने वाले के. जयगणेश 4 भाई-बहन हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, जयगणेश दिन के समय वेटर का काम करते थे और रात के समय पढ़ाई। दिन-रात की मेहनत रंग लाई। खुद पर विश्वास ही उनकी सफलता की वजह बना। यूपीएससी की परीक्षा में उन्होंने 156वीं रैंक हासिल की थी। अब उनकी गिनती देश के तेज-तर्रार आईएएस अधिकारियों में होती है।