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Success Story: - पिता ने बेटे को कहा नौकरी छोड़ी तो प्रॉपटी से कर दूंगा बेदखल, अब बेटा कमा रहा 40 लाख रुपये

Success Story father and son: आज हम आपको कामयाबी (success) कि ऐसी कहानी बताने जा रहे है जिसमें एक पिता ने अपने बेटो को कहा कि अगर नौकरी छोड़ी तो प्रॉपटी से बेदखल कर दूंगा। आज वहीं बेटा मेहनत कर महीने के कमा रहा 40 लाख रुपये। आइए खबर में जानते है बेटे की सफलता की कहानी। 

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HR Breaking News, Digital Desk- बिहार के समस्तीपुर जिले के नयानगर गांव के सुधांशु कुमार को उनके पिता ने बचपन से ही देश के नामी स्कूलों में शिक्षा दी. दिल्ली के हंसराज कॉलेज से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद सुधांशु केरल के मुन्नार में टाटा टी गार्डेन में 1988 में नौकरी मिल गई. अच्छी सैलरी के बाद भी सुधांशु अपनी नौकरी से खुश नहीं थे उन्होंने नौकरी छोड़ दी और बिहार अपने पैतृक घर पहुंच गए.

 

 

नौकरी छोड़ी तो प्रॉपर्टी से बेदखल कर दूंगा-


पिता के सामने उन्होंने नौकरी छोड़ कर गांव में खेती करने का प्रस्ताव रखा. पिता को लगा कि इसकी मन की स्थिति ठीक नहीं है.समझाने की कोशिश लगातार चली लेकिन सुधांशु ने अपनी जिद को नहीं छोड़ी.

उन्होंने कहा मुझे एक मौका तो दीजिए. पिताजी बोले कि गांव वाले मुझे क्या कहेंगे कि बेटे को उच्च शिक्षा दी लेकिन अब गांव में खेती करेगा. इसलिए मैं तुम्हें जमीन जायदाद से ही बेदखल कर दूंगा.

जब खेती की शुरुआत की तो आसपास गांव में काफी मजाक उड़ाया गया. सुधांशु समय के साथ पारंपरिक खेती को आधुनिक तरीके से कर रहे हैं.


सालाना कमाते हैं 50 लाख रुपये-


अपने पेशे से खुश सुधांशु कुमार 31 साल से खेती में लगे हैं. बिहार सरकार के साथ-साथ सुधांशु कुमार को केंद्र सरकार भी कई बार सम्मानित कर चुकी हैं.


खेती की परिभाषा बदलने वाले किसान की कमाई 40 से 50 लाख सालाना हो रही है. किसान और खेती से जुड़े कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठन में अपनी खेती के तरीकों के बारे में संबोधन कर चुके हैं.

किसानों के प्रति लोगों का नजरिया बदलना जरुरी है तभी देश का सही विकास हो सकेगा. मौजूदा समय में INDIAN FARMERS NETWORK के महासचिव हैं.

लीची की खेती ने चौंका दिया-


लीची के लिए उत्तर बिहार सबसे अधिक चर्चा में रहता है लेकिन इनके खेती के करने के तरीके ने सबको चौंका दिया सबसे अधिक कमाई करके दिखाते हैं.

सुधांशु जी के पास 1100 पेड़ है उसके फल पकने से पहले ही देश बड़ी कंपनियां बूक कर लेती हैं. या फिर मेट्रो सिटीज में आनलाईन बूक करके घर तक भेंज दिया जाता है.

आम की खेती करने का तरीका बदल कर कई किस्म के आम पर रिसर्च कर चुके हैं इसके लिए डाक्टर राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्व विद्यालय के साथ मिलकर कई तरह की फसल तैयार कर चुके हैं.

शुरू की नए जमाने की खेती-


सुधांशु कुमार कहते हैं कि अगर किसान तरीके से खेती करे तो उनकी कमाई दो गुना नहीं बल्कि चार गुना हो सकती है. मक्का को लेकर बिहार के किसान परेशान रहते हैं लेकिन हमने कान्सेप्ट ही चेंज कर दिया 1 रुपया लगाता हूं तो 2 रुपये कमाता हूं.
अभी हमारे यहां केले की खेती हो रही है. एक सीजन में एक सप्ताह में 7 लाख रुपये का बेच देता हूं. अभी हमारे पास ड्रेगेन फ्रूट के पौधे लगे हैं अगले साल तक वो भी निकलने लगेगा.सेब लगाने की भी तैयारी चल रही है उसके लिए खेत से लेकर तमाम व्यवस्थाएं की जा रही है.

सुधांशु बताते हैं कि किसानों को गेहूं मक्का और धान को छोड़कर फलों और सब्जियों पर आना पड़ेगा और एक व्यावसायिक सोच के साथ खेती करना पड़ेगा.

जो गांव और आसपास के लोग कभी मजाक उड़ाया करते थे आज वहीं अपने बच्चों से कहते हैं खेती भी करना हो तो पढ़ाई लिखाई के बाद ही करों.

सुधांशु कुमार बताते हैं कि अब तक 2000 से ज्यादा किसानों को अपनी खेती के बारे में प्रशिक्षण दे चुके हैं. मैं जब भी किसानों से मिलता हूं तो उन्हें एक ही बात कहता हूं कि आपकी कमाई दो गुनी नहीं तीन गुनी हो जाएगी लेकिन सोच बदलिए और पारंपरिक खेती के तरीके बदलिए. फलों की खेती में हमने सिंचाई के लिए स्पींकलर से लेकर अत्याधुनिक यंत्रों का इस्तेमाल किया है जिसमें घर बैठे पौधे और पेड़़ों की सिंचाई कर सकते हैं .

माइक्रो इरिगेशन 10 साल पहले शुरू किया-


बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तो कई बार देखने आ चुके हैं . उनके अलावा लगभग सभी बड़े लोग आकर हमारे खेती को देख चुके हैं गांव और आसपास की कहानी यह है कि लगातार 20 साल से हम अपने गांव के मुखिया है.

ईमानदारी से सरकारी योजनाओं को लागू किया हमारे गांव में आपको सौ फीसदी घरों में शौचालय है.90 फीसदी से अधिक 45 से अधिक उम्र के लोगों को टीका दिला चुका हूं.