Success Story- सपना पूरा करने के लिए छोड़ी IIT, आज 750 करोड़ के बिजनेस के मालिक
अपने सपनों को पूरा करने के लिए एक साल में ही IIT छोड़ झारखंड के अंकित आज 750 करोड़ के बिजनेस के मालिक है। आइए जानते है इनकी सफलता की पूरी कहानी।
HR Breaking News, Digital Desk- झारखंड के छोटे से शहर चाइबासा से आने वाले अंकित प्रसाद हमेशा से ही आंत्रप्रेन्योर बनना चाहते थे. उन्हें शुरू से ही कंप्यूटर्स से बहुत दिलचस्पी थी. यही वजह थी कि उनके पिता ने साल 1995 में उन्हें कंप्यूटर दिलवाया. ठीक इसी समय उनका परिवार जमशेदपुर शिफ्ट हो गया, क्योंकि उनके पिता रंजीत प्रसाद को NIT जमशेदपुर (NIT Jamshedpur) में प्रोफेसर की नौकरी मिल गई.
अंकित और उनके दो साल के भाई राहुल ने अपनी प्राइमरी स्कूलिंग चाइबासा के सरस्वती विद्या मंदिर से पूरी की. वे शुरू में इंग्लिश एल्फाबेट को ठीक से नहीं सीख पा रहे थे. हालांकि, NIT जमशेदपुर में डीएवी स्कूल में एडमिशन के बाद उनकी स्थिति सुधर गई.
खबर के मुताबिक, बचपन से ही दोनों भाइयों को कंप्यूटर्स में खासा दिलचस्पी रही. छह साल की उम्र से ही अंकित को कोडिंग में गहरी रुचि थी.
दोनों ने 2005 में वेब डिजाइन के साथ शुरुआत की और एक छोटी कंपनी की स्थापना की. ये कंपनी लोकल रेस्तरां, सेवा प्रदाताओं और होटलों के लिए वेबसाइट तैयार करती थी. इस छोटे से बिजनेस ने रफ्तार पकड़ी और फिर मुनाफा आना शुरू हो गया. 2005 में ही 10वीं क्लास के बोर्ड रिजल्ट में अंकित को अपने स्कूल के टॉप 3 में जगह मिली. धीरे-धीरे उन्हें IIT के बारे में पता चला और फिर उन्हें दिलचस्पी हुई. अंकित ने बताया, ‘मुझे IIT के प्रति लोगों के जुनून और सफलता की परिभाषा का एहसास हुआ.’ NIT से जुड़ी खबरों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
आंख हुई खराब तो छोड़नी पड़ी कोचिंग-
अंकित ने जल्द ही IIT एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी शुरू कर दी. हालांकि, उनकी खराब आंख की वजह से उन्हें खासा परेशानी उठानी पड़ी. सर्जरी के बाद उनकी आंखें तो ठीक हुई, लेकिन वो टीचर्स द्वारा बोर्ड पर लिखी जाने वाली चीजों को पढ़ नहीं पा रहे थे. अंकित बताते हैं, ‘हमारे वेबसाइट के बिजनेस ने कोचिंग का खर्चा संभाला हुआ था. लेकिन मैं इस पूरे प्रोसेस का मजा नहीं उठा पा रहा था.’ एक साल तक इस तरह बिताने के बाद अंकित ने कोचिंग छोड़ी और खुद से ही IIT क्रैक करने की तैयारी में जुट गए. 2007 में उन्होंने एंट्रेंस एग्जाम दिया और 5000 से ऊपर की रैंक हासिल की. उन्हें IIT में एडमिशन तो नहीं मिला, लेकिन NIT जमशेदपुर में सीट जरूर मिल गई. वह फिर भी IIT में ही एडमिशन लेना चाहते थे.
दूसरे प्रयास में IIT दिल्ली में लिया एडमिशन-
वहीं, अंकित ने बताया, ‘मेरा भाई IIT में अंडरग्रेजुएट डिग्री करना चाहता था. लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाया. ऐसे में मेरे माता-पिता को मुझसे बहुत उम्मीदे थीं, लेकिन मेरा भी पहला प्रयास प्लान के मुताबिक नहीं गया. इसके बाद मैंने खुद को एक और मौका दिया और AIR 400 हासिल किया.’ इसके बाद अंकित को साल 2008 में IIT दिल्ली में मैथमैटिक्स एंड कंप्यूटिंग में इंटीग्रेटेड एमटेक में एडमिशन मिला. IIT दिल्ली में एडमिशन लेने के बाद भी उन्होंने अपना काम जारी रखा. बिजनेस का विस्तार हुआ और फिर आय भी स्थिर हो गई. 2009 से 2010 के बीच अंकित ने कई सारे स्टार्टअप्स के साथ काम किया.
इन सॉफ्टवेयर्स को किया तैयार और फिर छाए-
फ्लिपकार्ट, स्नैपडील और जोमैटो की सफलता ने अंकित को प्रेरित किया और उन्होंने 2012 में अपने भाई के साथ हॉस्टल के कमरे से ‘टच टैलेंट’ नाम का एक सॉफ्टवेयर बनाया. ये एक वेब-आधारित ग्लोबल कम्युनिटी है, जो यूजर्स को आर्ट्स और डिजाइन को डिस्पले करने, शेयर करने और मोनिटाइज करने देती है. ठीस इसी समय उन्होंने क्लास में जाना कम कर दिया और सेमेस्टर एग्जाम में हिस्सा नहीं ले पाए. यही वो वक्त था, जब उन्होंने इंजीनियरिंग डिग्री के बजाय अपनी कंपनी में करियर बनाने का फैसला किया. इस तरह वह IIT दिल्ली से ड्रॉपआउट हो गए और फिर खुद की कंपनी को आगे बढ़ाने में लग गए.
हालांकि, वह बढ़ते स्मार्टफोन इंडस्ट्री में एंट्री करना चाहते थे. यही वजह थी कि उन्होंने 2015 में ‘बॉबल AI’ की स्थापना की, जिसने ‘बॉबल इंडिक’ कीबोर्ड बनाया. इसके जरिए दुनियाभर की लगभग 120 भाषाओं के साथ-साथ 37 भारतीय भाषाओं को कीबोर्ड द्वारा सहायता प्रदान की जाती है. 2020 में बॉबल AI का वैल्यूएशन 500 करोड़ से अधिक दर्ज किया गया.
वहीं ये वैल्यूएशन 2021 की तीसरी तिमाही में बढ़कर 750 करोड़ से अधिक हो गया. उन्होंने 2018 में फॉर्ब्स 30 अंडर 30 लिस्ट में जगह बनाई. यही वह वक्त था, जब लोगों का उनको लेकर धारणा बदलने लगी. इसके अलावा, उन्हें बिजनेस वर्ल्ड मैगजीन की 40 अंडर 40 लिस्ट में भी जगह मिली.