Unique Farming : किसान भाई करें ये खेती, लाखों में होगी कमाई
Jackfruit Cultivation : किसान भाइयों को आज हम एक ऐसी खेती के बारे में बताने जा रहे हैं। इस खेती को करने से किसानों को लाखों को मुनाफा होगा। किसान कटहल की खेती कर अपनी आय को दोगुनो कर सकते है आइए नीचे खबर में जानते है पूरी जानकारी.
HR Breaking News (नई दिल्ली) : कटहल की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। सेहत के लिए फायदेमंद होने के साथ ही ये किसानों की आय बढ़ाने में भी काफी मददगार साबित हो सकता है। यदि सही तरीके से इसकी खेती की जाए तो इससे 8 से 10 लाख रुपए की कमाई की जा सकती है। इसकी बाजार मांग होने से इसकी कीमतें भी अच्छी मिल जाती है। खास बात ये हैं कि कटहल के पेड़ को एक बार लगा दिया जाए तो वे कई सालों तक आपको कमाई देता है।
कटहल की खेती में मिट्टी के चयन को दें प्राथमिकता
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वैसे तो कटहल को किसी भी प्रकार की जलवायु और भूमि में उगाया जा सकता है, लेकिन इसका बेहतर उत्पादन लेने के लिए इसकी खेती के लिए गहरी काली मिट्टी अधिक उपयोगी होती है। अब बात करें जलवायु की तो इसकी खेती के लिए शुष्क जलवायु अच्छी रहती है। यूपी में बहुत से किसान कटहल की खेती करके अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं।
आइए जानते है कटहल की खेती के लिए किस्मों के बारे में
1. स्वर्ण पूर्ति
यह सब्जी के लिए एक अच्छी किस्म मानी जाती है। इसका फल छोटा (3-4 कि.ग्रा.), रंग गहरा हरा, रेशा कम, बीज छोटा एवं पतले आवरण वाला तथा बीच का भाग मुलायम होता है। इस किस्म के फल देर से पकने के कारण लंबे समय तक सब्जी के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इसके पेड़ छोटे तथा मध्यम फैलावदार होते हैं जिसमें 80-90 फल प्रति वर्ष लगते हैं।
2. स्वर्ण मनोहर
कटहल की यह किस्म छोटे आकार के पेड़ में बड़े-बड़े एवं अधिक संख्या में फल देने वाली किस्म मानी जाती हैं। इस किस्म में फरवरी के प्रथम सप्ताह में फल लग जाते हैं जिनको छोटी अवस्था में बेचकर अच्छी आमदनी प्राप्त की जा सकती है। फल लगने के 20-25 दिन बाद इसके एक पेड़ से 45-50 कि.ग्रा. फल सब्जी के लिए प्राप्त किया जा सकता है। यह किस्म छोटानागपुर एवं संथाल परगना तथा आस-पास के क्षेत्र के लिए अधिक उपयुक्त पाई गई है। इसकी प्रति पेड़ औसत उपज 350-500 किलोग्राम है।
इस तरह करें कटहल की बुआई व रोपाई
कटहल के पौधे को वानस्पतिक विधि में कलिकायन तथा ग्रैफ्टिंग तैयार किया जाना चाहिए। इस विधि से पौध तैयार करने के लिए मूल वृंत की आवश्यकता होती है जिसके लिए कटहल के बीजू पौधों का प्रयोग किया जाता है। मूल वृंत को तैयार करने के लिए ताजे पके कटहल से बीज निकाल कर 400 गेज की 25x 12x 12 सें.मी. आकार वाली काली पॉलीथीन की थैलियों में बुआई करना चाहिए। थैलियों को बालू, चिकनी मिट्टी या बगीचे की मिट्टी तथा गोबर की सड़ी खाद को बराबर मात्रा में मिलाकर बुवाई से पहले ही भर देना चाहिए। एक बात ध्यान रखें कि कटहल का बीज जल्दी ही सूख जाता है। इसलिए उसे फल से निकालने के तुरंत बाद थैलियों में 4-5 सें.मी. गहराई पर बुआई कर देना चाहिए। भली प्रकार से देखभाल करने पर कटहल के मूलवृंत करीब 8-10 माह में बंडिंग/ग्रैफ्टिंग योग्य तैयार हो जाते है। छोटानागपुर क्षेत्र में बडिंग के लिए फरवरी-मार्च तथा ग्राफ्टिंग के लिए अक्टूबर-नवम्बर का महीना उचित पाया गया है।
कैसे करें कटहल के पौधे का रोपण
कटहल के पौधे को 10& 10 मी. की दूरी पर लगाया जाता है। पौध रोपण के लिए समुचित रेखांकन के बाद निर्धारित स्थान पर मई-जून के महीने में 1x 1x 1 मीटर आकार के गड्ढे तैयार किए जाते हैं। गड्ढा तैयार करते समय ऊपर की आधी मिट्टी एक तरफ तथा आधी मिट्टी दूसरी तरफ रख देते हैं। इन गड्ढों को 15 दिन खुला रखने के बाद ऊपरी मिट्टी दूसरी तरफ रख देते हैं। इन गड्ढों को 15 दिन खुला रखने के बाद ऊपरी मिट्टी में 20-30 कि.ग्रा. गोबर की सड़ी हुई खाद, 1-2 कि.ग्रा. करंज की खली तथा 100 ग्रा.एन.पी. के मिश्रण अच्छी तरह मिलाकर भर देना चाहिए। जब गड्ढे की मिट्टी अच्छी तरह दब जाए तब उसके बीचो-बीच में पौधे के पिंडी के आकार का गड्ढा बनाकर पौधा लगा दें। पौधा लगाने के बाद चारों तरफ से अच्छी तरह दबा दें और उसेक चारों तरफ थाला बनाकर पानी दें।
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ये किसान कटहल की खेती से कमा रहे हैं 20 लाख रुपए
मीडिया में रिपोर्ट्स के अनुसार मेरठ के हस्तिनापुर ब्लॉक के गांव रानीनंगला निवासी मनोज पोसवाल कटहल की खेती करके हर साल 20 लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं। मनोज के अनुसार वे 2010 में एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करते थे। अचानक किसी कारण से उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अपने गांव आकर कहटल की खेती शुरू की। उन्होंने स्टडी के दौरान पढ़ा था कि कटहल का पेड़ चार साल बाद फल देना शुरू कर देता है। 2014 में पहली बार पेड़ों ने फसल देना शुरू किया। पहले वर्ष मनोज ने करीब नौ लाख का कटहल बेचा। अगली बार आमदनी बढक़र 15 लाख और इस बार करीब 22 लाख रुपए का कटहल बेचा। एक बार पेड़ ढंग से विकसित हो जाए तो करीब 45 साल तक फल देता है। इसकी खेती में संयम और धैर्य रखना जरूरी है।
